हिमाचल में जनवरी में सूखे जैसे हालात:4 जिलों में शीतलहर का अलर्ट; नॉर्मल से 78% कम बारिश, किसानों-बागवानों की टेंशन बढ़ी

हिमाचल प्रदेश में सर्दियों में ही सूखे जैसे हालात पनपने लगे हैं। जनवरी में अब तक सामान्य से 78 प्रतिशत कम बारिश हुई है। इससे किसानों-बागवानों की टेंशन बढ़ती जा रही है। बर्फबारी नहीं होने से टूरिज्म इंडस्ट्री पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इससे पर्यटन कारोबारी मायूस हैं और अच्छी बर्फबारी के इंतजार में हैं। मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश में 1 से 26 जनवरी तक 66.4 मिलीमीटर सामान्य बारिश होनी चाहिए। मगर, इस बार जनवरी में मात्र 14.7 मिलीमीटर बादल बरसे हैं। इससे पहले मानसून सीजन में भी सामान्य से 19 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मानसून के बाद यानी पोस्ट मानसून सीजन में अक्टूबर और नवंबर में सामान्य से 98 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। दिसंबर के दूसरे और तीसरे सप्ताह में जरूर अच्छी बारिश व बर्फबारी हुई थी। मगर दिसंबर के आखिरी सप्ताह के बाद से बारिश नहीं हो रही। हालांकि मौसम विभाग कई बार अच्छी बारिश-बर्फबारी की चेतावनी दे चुका है। मगर हर बार वेस्टर्न डिस्टरबेंस बिन बरसे कमजोर पड़ रहा है। इससे सूखे की मार पड़ने लगी है। 4 जिलों में शीतलहर का अलर्ट मौसम विभाग ने आज ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर और मंडी जिला में शीतलहर चलने का येलो अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में रात और सुबह के वक्त ठंडी हवाएं चलने से कड़ाके की सर्दी पड़ेगी। शीतलहर की वजह से प्रदेश के मैदानी इलाकों में रातें तीन दिन से ठंडी हो रही है, जबकि शिमला में रात का तापमान भी निरंतर बढ़ रहा है। कल रात से फिर बिगड़ेगा मौसम मौसम विभाग की माने तो कल रात से पश्चिमी विक्षोभ दोबारा सक्रिय हो रहा है। इससे अगले 4 दिन तक पहाड़ों पर फिर से बारिश-बर्फबारी का पूर्वानुमान है। 28 से 30 जनवरी तक अधिक ऊंचे और मध्यम ऊंचाई वाले भागों में बादल बरसेंगे, जबकि 31 जनवरी को प्रदेश के ज्यादातर भागों में मौसम खराब रहेगा। तापमान में भारी उछाल, केलांग का पारा नॉर्मल से 11.8 डिग्री अधिक बारिश-बर्फबारी से पहले तापमान में भारी उछाल आया है। प्रदेश का औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 5.5 डिग्री अधिक हो गया है। केलांग का तापमान में नॉर्मल की तुलना में सबसे ज्यादा 11.8 डिग्री का उछाल आया है और यहां का पारा 4.8 डिग्री सेल्सियस हो गया है। शिमला का तापमान सामान्य से 8.0 डिग्री के उछाल के बाद 19.8 डिग्री सेल्सियस, सुंदरनगर का 7.6 डिग्री के उछाल के बाद 26.4 डिग्री, भुंतर का 7.3 डिग्री के उछाल के बाद 24.5 डिग्री, ऊना का 4.3 डिग्री के उछाल के बाद 26.0 डिग्री, नाहन का 5.3 डिग्री ज्यादा के साथ 23.0 डिग्री, मनाली का अधिकतम तापमान 7.0 डिग्री के उछाल के बाद 17.2 डिग्री और बिलासपुर का अधिकतम तापमान सामान्य की तुलना में 5.2 डिग्री के उछाल के बाद 24.1 डिग्री सेल्सियस हो गया है।

Jan 27, 2025 - 08:59
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हिमाचल में जनवरी में सूखे जैसे हालात:4 जिलों में शीतलहर का अलर्ट; नॉर्मल से 78% कम बारिश, किसानों-बागवानों की टेंशन बढ़ी
हिमाचल प्रदेश में सर्दियों में ही सूखे जैसे हालात पनपने लगे हैं। जनवरी में अब तक सामान्य से 78 प्रत

हिमाचल में जनवरी में सूखे जैसे हालात: 4 जिलों में शीतलहर का अलर्ट

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सूखे की गंभीर स्थिति

हिमाचल प्रदेश में जनवरी माह में सूखे जैसे हालात बन रहे हैं। चार जिलों में मौसम विभाग ने शीतलहर का अलर्ट जारी किया है। सामान्य से 78% कम बारिश के चलते किसानों और बागवानों की चिंता बढ़ गई है। इस स्थिति ने कृषि और बागवानी में कार्यरत लोगों की आर्थिक स्थिरता को खतरे में डाल दिया है।

मौसम का आकलन

हाल के आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में वर्षा की कमी की वजह से कृषि क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। स्थानीय कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मौसम की स्थितियों से फसलों की पैदावार में नुकसान हो सकता है। शीतलहर के कारण भी फसलें प्रभावित होने की आशंका है।

किसानों की परेशानियां

किसानों का मानना है कि यदि बारिश नहीं होती है, तो धान, गेहूं और अन्य फसलों की उपज बहुत कम हो जाएगी। इसके साथ ही बागवानों के लिए भी यह समय चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। कम तापमान और बारिश की कमी फलों की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। किसानों ने सरकार से समर्थन की अपील की है।

सरकारी प्रयास

सरकारी स्तर पर इस स्थिति को संभालने के लिए कई उपाय किए जाने की उम्मीद है। सरकार मौसमी राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है जिससे किसानों को वित्तीय सहायता मिल सके। इसके अलावा, मौसम की मॉनिटरिंग और संसाधनों की उपलब्धता को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।

बागवानी पर प्रभाव

बागवानी क्षेत्र में भी इस सूखे के कारण बड़ी चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं। बागवानों को फसल का काटने का समय सही से निर्धारित करना होगा, जिससे उनकी क्वालिटी और मात्रा दोनों बनी रह सकें। किसान संगठन भी इस मुद्दे पर सरकार के पास गए हैं ताकि उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।

निष्कर्ष

इस स्थिति में, किसानों और बागवानों को सतर्क रहने की जरूरत है। उचित योजना बनाकर और सरकारी सहायता का लाभ उठाकर इस संकट का सामना किया जा सकता है। सरकार को चाहिए कि वह इस विषय को गंभीरता से लेकर आवश्यक कदम उठाए।

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