हिमाचल में पानी के स्रोत पर पंचायत का अवैध कब्जा:चुराह के चिडोग गांव के 40 परिवार और स्कूल पानी को तरसे, प्रशासन मौन
हिमाचल प्रदेश के चुराह क्षेत्र में सलेला बाड़ी पंचायत द्वारा जल शक्ति विभाग के पानी के स्रोत पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है। पंचायत प्रधान ने विभाग के शाली स्रोत से अपने घर के लिए पानी का रुख मोड़ लिया, जिससे विभाग द्वारा स्थापित इंटेक और स्रोत टैंक में पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है। इस कार्रवाई से चिडोग गांव के लगभग 30-40 परिवारों को पीने के पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति इतनी विकट है कि प्राइमरी स्कूल शालेला बाड़ी में भी पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि पंचायत ने मनरेगा योजना का दुरुपयोग करते हुए मनमाने ढंग से पानी के स्रोत से पानी का मार्ग परिवर्तित कर दिया है। जल्द मामला हल नहीं हुआ तो संघर्ष की चेतावनी प्रभावित लोगों ने इस मामले की शिकायत कई बार प्रशासन और विभाग के पास की है। यहां तक कि 1100 हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। आक्रोशित ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस मामले की जांच नहीं की गई तो वे प्रशासन और सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करेंगे और चक्का जाम भी करेंगे। जल शक्ति विभाग के एसडीओ बलविंदर सिंह ने स्वीकार किया है कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं था। उन्होंने आश्वासन दिया है कि विभागीय पाइपलाइन से छेड़छाड़ का कड़ा संज्ञान लिया जाएगा और ग्रामीणों को जल्द ही पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।

हिमाचल प्रदेश के चुराह क्षेत्र के चिडोग गांव में पिछले कुछ समय से पानी की समस्या ने ग्रामीणों को चिंतित कर दिया है। यहां के 40 परिवार और स्थानीय स्कूल ने पानी की गंभीर कमी का सामना किया है, जबकि पंचायत ने पानी के प्राकृतिक स्रोतों पर अवैध कब्जा कर लिया है। इस मुद्दे पर प्रशासन की चुप्पी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
समस्या का विस्तार
चिडोग गांव में पानी के प्राकृतिक स्रोतों पर पंचायत द्वारा किए गए अवैध कब्जे के कारण स्थानीय लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ रही है। कई घरों में पीने के पानी की घातक कमी है। न केवल परिवार, बल्कि स्कूल भी इस पानी की कमी से प्रभावित हैं, जिसके कारण बच्चों को अपनी पढ़ाई में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासनिक चुप्पी
इस गंभीर समस्या पर प्रशासन का मौन रहना लोगों के लिए हैरान करने वाला है। स्थानीय निवासियों ने कई बार अपनी चिंताओं को प्रशासन के समक्ष रखा है, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। लोग यह सोचने पर मजबूर हैं कि क्या उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
समुदाय और सहयोग
ग्रामीणों ने एकत्रित होकर इस अवैध कब्जे के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय लिया है। वे पंचायत के खिलाफ एकजुट होकर प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। स्थानीय नेताओं को उनकी समस्या का समाधान निकालने के लिए सक्रिय रूप से काम करने की आवश्यकता है।
भविष्य की संभावाना
चिडोग गांव में पानी की समस्या न केवल वहां के निवासियों के लिए बल्कि शिक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। यदि प्रशासन इस विषय पर त्वरित कदम नहीं उठाता है, तो ग्रामीणों की स्थिति और खराब हो सकती है। स्थानीय जल प्रबंधन के लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है।
समुदाय को पानी के बिना जीने की स्थिति से बाहर लाने के लिए, सही मार्गदर्शन और सहयोग की आवश्यकता है। इसे हल करने के लिए एक ठोस योजना की आवश्यकता है, जिसमें पंचायत, प्रशासन और स्थानीय लोगों का सहयोग शामिल हो।
अंत में, सभी का यह कर्तव्य बनता है कि वे मौजूदा समस्याओं की ओर ध्यान दें और मिलकर समाधान निकालें। चिडोग गांव का मामला केवल एक स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक मुद्दा है जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
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