अमेरिका से निकाले गए 300 अप्रवासी पनामा में कैद:इनमें भारतीय भी; होटल की खिड़कियों से मदद मांग रहे, अपने देश जाने को तैयार नहीं
अमेरिका ने बुधवार को 300 अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करके पनामा भेजा है। जहां इन लोगों को एक होटल में हिरासत में रखा गया है। अमेरिका पनामा का इस्तेमाल एक पड़ाव के तौर पर कर रहा है क्योंकि इन अप्रवासियों को उनके मूल देश डिपोर्ट करने में दिक्कत हो रही है। इन अप्रवासियों में से कई अपने देश जाने के लिए तैयार नहीं है। इनका कहना है कि ये लोग अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, वियतनाम और ईरान के हैं। पनामा की होटल में कैद अप्रवासियों की तस्वीर... एक अप्रवासी ने आत्महत्या की कोशिश की न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रवासियों से मोबाइल फोन छीन लिए गए और उन्हें एक होटल में बंद कर दिया गया है। ये लोग अपने वकील से भी नहीं मिल सकते हैं। एक अप्रवासी ने होटल में आत्महत्या की भी कोशिश की, जबकि एक ने भागने की कोशिश में अपना पैर तोड़ लिया। पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो का कहना है कि अप्रवासियों को सुरक्षा के मुद्देनजर हिरासत में रखा गया है। उन्हें सभी जरूरी मेडिकल ट्रीटमेंट और भोजन दिया जा रहा है। भारतीय दूतावास पनामा अधिकारियों से संपर्क में पनामा का भारतीय दूतावास अपने लोगों की देखभाल के लिए लगातार अधिकारियों से संपर्क में है। दूतावास ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा- अधिकारियों ने हमें बताया है कि भारतीयों का एक समूह अमेरिका से पनामा पहुंच गया है। उन सभी को एक होटल में सुरक्षित रखा गया है। दूतावास की टीम ने कांसुलर एक्सेस प्राप्त कर लिया है। एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पनामा विजिट पर पहुंचे थे। इस विजिट में पनामा को एक पड़ाव के तौर पर इस्तेमाल करने की सहमति बनी थी, इस दौरान आने वाला सारा खर्च अमेरिका उठाएगा। 171 अप्रवासी अपने देश जाने को तैयार पनामा के मंत्री फ्रैंक अब्रेगो ने बताया कि 171 अवैध आप्रवासियों मर्जी से अपने देश जाने के लिए तैयार हो गए हैं, जबकि 97 किसी और देश में जाना चाहते हैं। इन लोगों को कोलंबिया-पनामा बॉर्डर के पास डेरियन जंगल में ट्रांसफर कर दिया गया है। यहां से संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी उनके दूसरे देश में ट्रांसफर की व्यवस्था करेगी। अमेरिका इस साल 4 फरवरी से अब तक तीन बार में 332 अवैध भारतीय अप्रवासियों को डिपोर्ट कर चुका है। बताया जा रहा है कि देश के 18 हजार लोगों को भारत भेजा जाएगा, जिनमें करीब 5 हजार लोग हरियाणा के हैं। अमेरिका में करीब 7 लाख अवैध भारतीय अप्रवासी प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक साल 2023 तक अमेरिका में करीब 7 लाख से ज्यादा अवैध प्रवासी भारतीय हैं। यह मेक्सिको और अल साल्वाडोर के बाद सबसे ज्यादा हैं। अमेरिका में अवैध प्रवासियों से डील करने वाली सरकारी संस्था (ICE) के मुताबिक पिछले 3 सालों में अवैध रूप से घुसने की कोशिश में औसतन 90 हजार भारतीय नागरिकों को पकड़ा। ------------------------------------------------------ यह खबर भी पढ़ें... चीन-रूस पर ट्रम्प का दोहरा रवैया:इनके अवैध अप्रवासियों को पैसेंजर प्लेन से भेज रहे; भारत में मिलिट्री प्लेन से भेजा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथग्रहण के 30 दिन पूरे हो गए हैं। इस दौरान ट्रम्प ने हजारों अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सैन्य विमान से डिपोर्ट किया है। हालांकि इस मामले में ट्रम्प का दोहरा रवैया नजर आया है। यहां पढ़ें पूरी खबर...

अमेरिका से निकाले गए 300 अप्रवासी पनामा में कैद: भारतीय भी शामिल
निवासियों और अप्रवासी श्रमिकों की एक नई स्थिति अमेरिका से पनामा की ओर बढ़ी है। लगभग 300 अप्रवासी, जिनमें भारतीय नागरिक भी शामिल हैं, पनामा में विभिन्न होटलों में कैद हैं। यह जानकारी हाल ही में सामने आई है और इससे जुड़ी कई चिंताएँ उत्पन्न हो रही हैं।
क्या है पूरी स्थिति?
अमेरिका द्वारा निकाले जाने के बाद, ये अप्रवासी पनामा में एक अस्थायी स्थिति में हैं। होटल की खिड़कियों से मदद मांगते हुए, इन लोगों ने अपनी दयनीय स्थिति का वर्णन किया है। जाहिर है, वे अपने घर देश लौटने के लिए राजी नहीं हैं, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
आप्रवासी यात्रा में भारतीयों की उपस्थिति
इस घटना में भारतीय नागरिकों की मौजूदगी ने स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा दिया है। कई भारतीय युवक और महिलाएं इस संकट में हैं और उनका जीना मुश्किल हो रहा है। उन्हें न केवल अपने देश लौटने का विकल्प चाहिए, बल्कि पनामा में सुरक्षित स्थितियों की भी आवश्यकता है।
भारतीय दूतावास की भूमिका
भारतीय दूतावास ने स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है और प्रभावित लोगों की मदद करने का आश्वासन दिया है। लेकिन, क्या वास्तव में दूतावास के प्रयास इन अप्रवासियों की मदद कर पाएंगे? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
समुदाय की प्रतिक्रिया
यह मामला केवल अप्रवासी श्रमिकों का नहीं है। समाज और मानवाधिकार संगठनों ने भी इसका संज्ञान लिया है। उन्हें खुशी है कि ये लोग मदद मांग रहे हैं, लेकिन चिंता इस बात की है कि क्या ये लोग उचित सहायता प्राप्त कर पाएंगे।
भविष्य की दिशा
यह जानकारी जारी रहते हुए, लोगों की उम्मीदें भारत सरकार और दूतावास से और अधिक सक्रियता की हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए, विशेष रूप से प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए।
इस पूरे प्रकरण पर नजर रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसकी परिणति केवल उन व्यक्तियों के लिए ही नहीं बल्कि वैश्विक प्रवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण मामला साबित हो सकता है।
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