अमेरिका से भारतीय रिसर्चर डिपोर्ट नहीं किया जाएगा:कोर्ट का आदेश, बदर खान सूरी पर हमास के लिए प्रोपेगैंडा फैलाने का आरोप
अमेरिका में भारतीय रिसर्चर बदर खान सूरी के डिपोर्टेशन (देश से निकाले जाने) पर अमेरिकी अदालत ने रोक लगा दी है। वर्जीनिया कोर्ट की जज पेट्रीसिया टोलिवर गिल्स ने आदेश दिया कि सूरी को तब तक अमेरिका से नहीं निकाला जाएगा, जब तक अदालत इससे जुड़े आदेश जारी नहीं करती। अमेरिका के इमिग्रेशन अधिकारियों ने सोमवार रात एक भारतीय छात्र बदर खान सूरी को वर्जीनिया से गिरफ्तार किया था। सूरी पर अमेरिका में हमास के समर्थन में प्रोपेगैंडा फैलाने और संगठन से जुड़ी आतंकी से रिश्ता रखने का आरोप है। सूरी स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी का छात्र है। वह सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्ट डॉक्टोरल फैलो के रूप में पढाई कर रहा है। वकील बोले- सूरी की पत्नी फिलिस्तीनी, इसलिए निशाना बने बदर खान सूरी के वकील ने उन पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है। वकील ने अदालत में दायर एक याचिका में कहा कि सूरी को निशाना इसलिए बनाया जा रहा है क्योंकि उनकी पत्नी एक फिलिस्तीनी हैं। उनकी गिरफ्तारी का मकसद फिलिस्तीनी अधिकारों का समर्थन करने वाले लोगों की आवाज को दबाना है। वकील ने अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेज में कहा कि न तो विदेश मंत्री मार्को रुबियो और न ही किसी अन्य सरकारी अधिकारी ने आरोप लगाया है कि सूरी ने कोई अपराध किया है या वास्तव में कोई कानून तोड़ा है। उन्होंने अपने विचार रखे हैं जो कि पूरी तरह से संवैधानिक हैं। सूरी की पत्नी का नाम मफज सालेह है। सूरी 2011 में लोगों की मदद के लिए गाजा पहुंचे थे, इस दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी। मफज ने नई दिल्ली में जामिया यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मफज के पिता अहमद यूसुफ हमास से जुड़े हुए हैं, जिसे अमेरिका ने एक आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है। मफज ने कहा, “मेरे पति की हिरासत ने हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। हमारे तीन बच्चों को अपने पिता की बहुत जरूरत है। वे उन्हें बहुत याद करते हैं। एक मां के तौर पर मुझे अपने बच्चों और खुद की देखभाल के लिए उनके सहारे की सख्त जरूरत है।” लुइसियाना के इमिग्रेशन कैंप में हैं सूरी अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) ने सूरी के डिपोर्टेशन को रोकने के लिए मंगलवार को आपातकालीन प्रस्ताव दायर किया था। फिलहाल सूरी लुइसियाना में एक इमिग्रेशन कैंप में है। ACLU से जुड़ी वकील सोफिया ग्रेग ने कहा कि सिर्फ राजनीतिक विचारधारा की वजह से किसी को उसके घर और परिवार से अलग करना, अमेरिका में रहने का दर्जा छीनना असंवैधानिक है। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्हें सूरी के किसी अवैध गतिविधि में शामिल होने की जानकारी नहीं है। उनकी गिरफ्तारी की कोई ठोस वजह का भी उन्हें पता नहीं चला है। .......................................... बदर खान सूरी से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... अमेरिका में भारतीय छात्र बदर खान सूरी गिरफ्तार:हमास के लिए प्रोपेगैंडा फैलाने का आरोप; वापस भारत भेजा जा सकता है अमेरिका के इमिग्रेशन अधिकारियों ने सोमवार रात एक भारतीय छात्र बदर खान सूरी को वर्जीनिया से गिरफ्तार किया है। सूरी पर अमेरिका में हमास के समर्थन में प्रोपेगैंडा फैलाने का आरोप है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

अमेरिका से भारतीय रिसर्चर डिपोर्ट नहीं किया जाएगा: कोर्ट का आदेश
भारतीय रिसर्चर बदर खान सूरी के खिलाफ हाल ही में एक महत्वपूर्ण अदालत का फैसला सुनाया गया है। अदालत ने निर्णय दिया है कि उन्हें अमेरिका से डिपोर्ट नहीं किया जाएगा। यह फैसला तब आया है जब बदर खान सूरी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने हमास के लिए प्रोपेगैंडा फैलाने का कार्य किया है। अमेरिका में सुरक्षा कारणों से इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया जाता है।
अदालत का निर्णय
अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी प्रस्तुत साक्ष्यों और परिस्थितियों का पूरी तरह से अवलोकन करने के बाद, बदर खान सूरी को अमेरिका में रहने की अनुमति दी गई है। गिरफ्तारी के बाद से ही सूरी ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है। इस मामले में कई जटिलताएं थीं, लेकिन अदालत ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए न्याय की धारा में विश्वास व्यक्त किया है।
आरोपों का ब्योरा
बदर खान सूरी पर आरोप है कि उन्होंने हमास के लिए ऐसे सामग्रियों का प्रचार किया, जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। हालांकि, उनके वकील का कहना है कि सूरी ने केवल शैक्षणिक और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए काम किया है। सूरी का कहना है कि उनके कार्यों का किसी आतंकवादी संगठन से कोई संबंध नहीं है।
उलझन में फंसी न्याय प्रक्रिया
इस पूरे मामले ने अमेरिका में भारतीय समुदाय और अन्य मानवाधिकार संगठनों के बीच चिंता का वातावरण उत्पन्न कर दिया है। कई लोग इसे एक स्वतंत्र व्यक्तित्व के दमन के रूप में देख रहे हैं। लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या निश्चित कानूनी और अनुसंधान गतिविधियों को आतंकवाद से जोड़कर देखा जा सकता है।
समुदाय की प्रतिक्रिया
भारतीय समुदाय ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसकी प्रशंसा की है कि अदालत ने सूरी के अधिकारों की रक्षा की है। यह मामला कई लोगों के लिए यह सोचने का कारण बना है कि कैसे खुले विचारों को खतरे में डाला जा सकता है। समुदाय ने कहा कि न्याय की जीत हुई है।
निष्कर्ष
इस मामले ने अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में नई चर्चा का प्रारंभ किया है। अदालत के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि न्याय की प्रक्रिया हमेशा अपने तरीके से चलती है। बदर खान सूरी की स्थिति को लेकर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखते रहना महत्वपूर्ण होगा।
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