अयोध्या में कुपोषण का खतरा:2.28 लाख बच्चों में से 7520 कुपोषित, तीन सुपरवाइजर का वेतन रोका
अयोध्या में बाल विकास विभाग की हालिया रिपोर्ट ने जिले में कुपोषण की चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है। जिले के 2,381 आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 2,28,018 बच्चों की जांच में 7,520 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। इनमें 1,199 बच्चे अति कुपोषित (सैम) और 6,321 बच्चे मध्यम गंभीर कुपोषित (मैम) श्रेणी में हैं। प्रशासन ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर कुपोषित बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच वीएचएसएनडी सत्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर शनिवार को की जा रही है। गंभीर मामलों में बच्चों को मेडिकल कॉलेज दर्शननगर के पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जा रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी एके त्रिपाठी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में 264 और 2024-25 में 286 अति कुपोषित बच्चों को पुनर्वास केंद्र भेजा गया। लापरवाही बरतने वाली आंगनवाड़ी सुपरवाइजर अमानीगंज की बंदना, रुदौली की सुधा और तारून की शकुंतला का वेतन रोक दिया गया है। जिलाधिकारी ने सख्त निर्देश दिए हैं कि कुपोषित बच्चों को पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने में लापरवाही बरतने वाली मुख्य सेविकाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। जिलाधिकारी ने कुपोषण के खिलाफ जंग को और तेज करने के लिए सभी संबंधित विभागों को प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, ताकि बच्चों को स्वस्थ भविष्य प्रदान किया जा सके।

अयोध्या में कुपोषण का खतरा: 2.28 लाख बच्चों में से 7520 कुपोषित, तीन सुपरवाइजर का वेतन रोका
News by indiatwoday.com
अयोध्या में कुपोषण की गंभीरता
अयोध्या की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है जहाँ 2.28 लाख बच्चों में से 7520 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि क्षेत्र में पोषण की कमी और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है। विशेष तौर पर, सरकारी योजनाओं और सुपरवाइजर की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
कुपोषण का प्रभाव
कुपोषण बच्चों के विकास में बाधा डालता है और यह समस्या दीर्घकालिक स्वास्थ्य मुद्दों का कारण बन सकती है। बच्चों के सही पोषण में कमी से न केवल शारीरिक विकार, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इस प्रकार की स्थिति के समाधान के लिए संवेदनशीलता और तत्परता की आवश्यकता है।
सुपरवाइजर का वेतन रोकना
अयोध्या की प्रशासनिक प्रणाली ने तीन सुपरवाइजर का वेतन रोकने का निर्णय लिया है। यह कार्रवाई उन सुपरवाइजर के कार्य की समीक्षा के चलते की गई है, जो अपने कर्तव्यों को निभाने में असफल रहे हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनकी जिम्मेदारियों का पालन सही तरीके से किया जाए।
सरकारी योजनाओं की जिम्मेदारी
सरकार ने कुपोषण की समस्या को समाप्त करने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इसमें माँ और बच्चे की बेहतर देखभाल पर ध्यान दिया जाता है। हालाँकि, सही कार्यान्वयन क्रियान्वयन और जमीनी स्तर पर निगरानी की कमी से यह योजनाएं प्रभावी नहीं हो पा रही हैं।
क्या कदम उठाने की जरूरत है?
सामुदायिक स्तर पर जागरूकता बढ़ाना, बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करना और पोषण पर केंद्रित कार्यक्रमों को बेहतर तरीके से लागू करना जरूरी है। इसके साथ ही, सरकारी अधिकारियों और सुपरवाइजरों को उनकी भूमिकाओं के प्रति जवाबदेह बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
उपसंहार
अयोध्या में कुपोषण की समस्या ने सभी की आँखें खोल दी हैं। यह एक संकेत है कि हमें बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान देना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ स्वस्थ और मजबूत बन सकें। अधिक जानकारी के लिए, कृपया indiatwoday.com पर जाएं। Keywords: अयोध्या कुपोषण, बच्चों में कुपोषण अयोध्या, सरकारी योजनाएं अयोध्या, कुपोषण रोकने के उपाय, स्वास्थ्य सेवाएं अयोध्या, सुपरवाइजर वेतन रोकना, स्वास्थ्य परीक्षण बच्चों का, पोषण की कमी, अधिकारियों की जिम्मेदारी, अयोध्या समाचार
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