अवसाद से जूझ रहे अधेड़ ने फांसी लगाकर दी जान:सुसाइड नोट में लिखा…मैं अपनी मर्जी से जान दे रहा हूं, मेरे परिवार को पुलिस परेशान नहीं करे

कानपुर के बर्रा में अवसाद से जूझ रहे एक टेनरी कर्मी ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ। सुसाइड नोट में लिखा था कि मैं अपनी मर्जी से सुसाइड कर रहा हूं, मेरे परिवार को परेशान नहीं किया जाए। इसके साथ ही घर की अन्य तमाम बातें लिखी थी। पुलिस और फोरेंसिक ने जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। भोर में पत्नी कमरे में पहुंची तो देखा पति का फंदे पर लटका हुआ शव जूही कला में रहने वाले जाेयदेव बोस (54) टेनरी में मार्केटिंग विभाग में काम करते थे। परिवार में पत्नी सुष्मिता और बेटा शौर्य हैं। पत्नी एयरफोर्स स्कूल में शिक्षिका हैं। छोटे भाई शंकर बोस ने बताया कि भाई ने दो साल पहले टेनरी की नौकरी छोड़ दी थी। जिसके बाद से वह अवसाद में चल रहे थे। देर रात उन्होंने दुपट्टे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। भोर में पत्नी सुष्मिता ने पति का शव फंदे पर लटकता देखा तो शोर मचाया। पड़ोसियों की सूचना पर बर्रा पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और जांच पड़ताल की। इस दौरान टीम को कमरे में ही एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें उन्होंने अपनी मर्जी से जान देने की बात लिखते हुए परिवार के सदस्यों को परेशान न करने की बात लिखी थी। हालांकि जोयादेव ने आत्महत्या की वजह स्पष्ट नहीं की। परिवार के लोग सुसाइड के पीछे अवसाद को कारण मान रहे हैं।

Apr 6, 2025 - 23:59
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अवसाद से जूझ रहे अधेड़ ने फांसी लगाकर दी जान:सुसाइड नोट में लिखा…मैं अपनी मर्जी से जान दे रहा हूं, मेरे परिवार को पुलिस परेशान नहीं करे
कानपुर के बर्रा में अवसाद से जूझ रहे एक टेनरी कर्मी ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। कमरे से एक सुसा

अवसाद से जूझ रहे अधेड़ ने फांसी लगाकर दी जान: सुसाइड नोट में लिखा…

हालात का ब्योरा

एक दुखद घटना में, एक अधेड़ व्यक्ति ने अवसाद के चलते आत्महत्या कर ली। यह घटना उनकी मानसिक स्वास्थ्य की गंभीरता को उजागर करती है। सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा, “मैं अपनी मर्जी से जान दे रहा हूं, मेरे परिवार को पुलिस परेशान नहीं करे।” इस घटना ने स्थानीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया है और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बातचीत को जरूरी बना दिया है।

मानसिक स्वास्थ्य का अहमियत

आज के समय में, मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। अवसाद, चिंता और तनाव के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। समाज में इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गहनता से समीक्षा की जानी चाहिए। लोग अक्सर अवसाद का सामना अकेले करते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।

परिवार और समाज की जिम्मेदारी

इस तरह के मामलों में परिवार और समाज की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। परिवार को अपने सदस्यों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और उन्हें समय पर सहायता प्रदान करनी चाहिए। समाज को भी चाहिए कि वे ऐसे मामलों में संवेदनशीलता के साथ काम करें और मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से एक सहायक वातावरण बनाएं।

विशेषज्ञों की राय

मनोरोग विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना न केवल व्यक्ति के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए आवश्यक है। लोग मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण समझें और समय पर मदद लें। समुदाय को भी चाहिए कि वे मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाएं और एक-दूसरे का समर्थन करें।

News by indiatwoday.com

समापन विचार

यह दुखद घटना हमें बताती है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए और सही समय पर सहायता लेनी चाहिए। हमारी समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है ताकि कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की दुखद परिस्थिति में ना पहुंचे। Keywords: अवसाद, आत्महत्या, मानसिक स्वास्थ्य, सुसाइड नोट, परिवार, व्यक्ति, समाज, मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, अवसाद के लक्षण, मदद लेना, ondersteuning, जीवन के लिए मुकाबला करना, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना.

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