आतंकी तहव्वुर राणा की अर्जी फिर खारिज:अमेरिकी कोर्ट में प्रत्यर्पण रोकने की मांग की थी, कहा- पाकिस्तानी मुस्लिम हूं, भारत गया तो मारा जाऊंगा
2008 मुंबई हमलों के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की याचिका अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। तहव्वुर ने भारत आने से बचने के लिए याचिका दायर की थी। इसमें उसने कहा था कि पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम होने की वजह से उसे भारत में प्रताड़ित किया जाएगा। राणा ने याचिका में कहा था कि वह कई बीमारियों से पीड़ित है, अगर उसका प्रत्यर्पण नहीं रोका गया तो वह भारत में सर्वाइव नहीं कर पाएगा। इसलिए उसके प्रत्यर्पण पर इमरजेंसी स्टे लगाया जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की जज एलेना कगान ने यह दलील नहीं मानी और याचिका खारिज कर दी। तहव्वुर राणा को 2009 में FBI ने गिरफ्तार किया था। राणा को अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन करने के लिए दोषी ठहराया गया था। फिलहाल वह लॉस एंजिल्स के एक हिरासत केंद्र में बंद हैं। अमेरिकी कोर्ट ने प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका को पहले भी खारिज किया था 13 नवंबर 2024 को राणा ने निचली अदालत के प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसे 21 जनवरी को खारिज कर दिया गया था। इससे पहले उसने सैन फ्रांसिस्को की एक अदालत में अपील की थी, जो खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने फैसले में कहा था कि दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जा सकता है। मुंबई हमले की 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा का नाम भी आरोपी के तौर पर दर्ज है। इसके मुताबिक राणा ISI और लश्कर-ए-तैयबा का मेंबर है। चार्जशीट के मुताबिक राणा हमले के मास्टरमाइंड मुख्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली की मदद कर रहा था। पाकिस्तानी मूल का बिजनेसमैन है तहव्वुर राणा 64 साल का तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। उस पर पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली की मदद करने का आरोप है। हेडली 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। तहव्वुर हुसैन पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम करता था। इसके बाद वह 1997 में कनाडा चला गया और वहां इमिग्रेशन सर्विसेस देने वाले बिजनेसमैन के तौर पर काम शुरू किया। यहां से वह अमेरिका पहुंचा और शिकागो सहित कई लोकेशंस पर फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से कंसल्टेंसी फर्म खोली। अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक, राणा कई बार कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड भी गया था। वह लगभग 7 भाषाएं बोल सकता है। हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली के बचपन का दोस्त है तहव्वुर पिछले साल कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने तर्क दिया था कि तहव्वुर इस हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है और उसे पता था कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम कर रहा है। हेडली की मदद करके और उसे आर्थिक मदद पहुंचाकर तहव्वुर आतंकी संस्था और उसके साथ आतंकियों को भी सपोर्ट कर रहा था। राणा को जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है, क्या बात कर रहा है। उसे हमले की प्लानिंग और कुछ टारगेट्स के नाम भी पता थे। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि राणा इस पूरी साजिश का हिस्सा था और इस बात की पूरी आशंका है कि उसने आतंकी हमले को फंडिंग करने का अपराध किया है। तहव्वुर ने हेडली को मुंबई में ऑफिस खोलने में मदद की राणा ने ही हेडली को मुंबई में फर्स्ट वर्ल्ड नाम से एक ऑफिस खोलने में मदद की। यह ऑफिस उसने अपनी आतंकी गतिविधियों को छुपाने के लिए खोला था। हेडली ने इमिग्रेशन कंसल्टेंसी के जरिए भारत घूमना और उन लोकेशन को ढूंढना शुरू किया, जहां लश्कर-ए-तैयबा आतंकी हमला कर सकता था। उसने मुंबई में ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की रेकी की। बाद में यहीं पर हमले भी हुए। अमेरिकी सरकार का कहना है, ‘हेडली ने अपने बयान में बताया है कि राणा ने फर्स्ट वर्ल्ड से जुड़े एक शख्स को आदेश दिया कि वो हेडली के लिए मुंबई में फर्स्ट वर्ल्ड ऑफिस खोलने से जुड़ी फर्जी कहानी को सच दिखाने वाले डॉक्यूमेंट्स बनाए। राणा ने ही हेडली को सलाह दी कि भारत विजिट करने के लिए वीजा कैसे हासिल करना है। ये सारी बातें ईमेल और अन्य दस्तावेजों से प्रमाणित हुई हैं।’ अक्टूबर 2009 में गिरफ्तार हुआ था राणा अमेरिका के शिकागो में अक्टूबर 2009 में FBI ने ओ'हेयर एयरपोर्ट से तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था। उस पर मुंबई और कोपेनहेगन में आंतकी हमले को अंजाम देने के लिए जरूरी सामान मुहैया कराने का आरोप था। हेडली की गवाही के आधार पर तहव्वुर को 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद पांच साल उसे निगरानी में रहना था। 2011 में राणा को दानिश न्यूजपेपर मॉर्गेनाविसेन जाइलैंड्स-पोस्टेन पर हमले की साजिश रचने का दोषी पाया गया था। इस अखबार ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद पर 12 विवादित कार्टून्स छापे थे। इसके विरोध में ऑफिस पर हुए हमले में एक कार्टूनिस्ट का सिर कलम कर दिया गया। अगले ही साल यही 12 कार्टून ‘चार्ली हेब्दो’ नाम की फ्रांसीसी मैगजीन ने छापे, जिसके बदले में 2015 में चार्ली हेब्दो के ऑफिस पर हमला करके 12 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 2011 में भारत के NIA ने राणा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की 2011 में ही भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने राणा समेत 9 लोगों पर मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने और अंजाम देने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की। 2023 में मुंबई पुलिस की तरफ से पेश की गई 400 पेज की चार्जशीट में पुलिस ने लिखा कि राणा 11 नवंबर 2008 को भारत में दाखिल हुआ और 21 नवंबर तक यहां रहा। इस दौरान वह दो दिन मुंबई के पवई में होटल रिनैसां में रहा। राणा को भारत लाने के लिए 6 साल से कोशिश कर रही भारत सरकार भारत ने सबसे पहले 4 दिसंबर 2019 को डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की रिक्वेस्ट दाखिल की। उसकी अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए 10 जून 2020 को एक शिकायत दाखिल की गई। भारत की तरफ से प्रत्यर्पण की मांग के खिलाफ राणा ने लोअर कोर्ट से लेकर सैन फ्रांसिस्को में US कोर्ट ऑफ अपील्स तक में याचिका दाखिल की। हर जगह से उसकी याचिका को खारिज कर 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आतंकी तहव्वुर राणा की अर्जी फिर खारिज
अमेरिकी कोर्ट ने हाल ही में भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए आतंकी तहव्वुर राणा की मांग को खारिज कर दिया है। राणा ने अपनी अर्जी में यह तर्क दिया था कि वे एक पाकिस्तानी मुस्लिम हैं और भारत जाने पर उनकी जान को खतरा हो सकता है। अदालत ने इस अर्जी को मानते हुए उनकी चिंताओं को दरकिनार कर दिया।
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया
भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने राणा की गिरफ्तारी के लिए अनुरोध किया था, जिसके तहत उन्हें भारत लाने के लिए वास्तविक कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया। अमेरिका में उनके वकीलों ने हर संभव प्रयास किया, लेकिन अदालत ने इस मामले में अपने निर्णय निंदनीय बताए हैं।
भारत में संभावित खतरे
राणा ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि उनका भारत में जाना उनके लिए खतरनाक हो सकता है, लेकिन अदालत ने उनकी चिंताओं को अस्वीकार करते हुए ठोस सबूत की आवश्यकता पर जोर दिया। इसे देखते हुए यह स्पष्ट है कि सुरक्षा चिंताएं हमेशा ध्यान में रखी जाती हैं, लेकिन कानूनी प्रक्रिया में प्रमाण बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
यह मामला यह दर्शाता है कि कैसे विभिन्न देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग स्थापित किया जाता है। भारत और अमेरिका के बीच मजबूत सहयोग से चर्चित मुद्दे पर कार्यवाही हो रही है। इस मामले में कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी, ताकि आतंकवाद का प्रभावी रूप से सामना किया जा सके।
राणा की दलीलें जान बचाने की हैं, लेकिन न्यायपालिका का कार्य केवल संवेदनशीलता को देखते हुए अपने निर्णय लेना है। News by indiatwoday.com
निष्कर्ष
आतंकी तहव्वुर राणा की अर्जी का खारिज होना यह संज्ञान कराता है कि आतंकवाद के मामलों में न्याय और कानूनी प्रक्रिया को सर्वोपरि रखा जाएगा। इस मामले में आगे क्या होता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। Keywords: आतंकी तहव्वुर राणा, अमेरिका कोर्ट, प्रत्यर्पण रोकने की मांग, पाकिस्तानी मुस्लिम, भारत जाएगा तो मारा जाएगा, आतंकवाद, भारत अमेरिका सहयोग, सुरक्षा चिंताएं, कानूनी प्रक्रिया, भारतीय न्यायपालिका.
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