एएमयू में होली न हुई…तो ईद भी नहीं मनाई जाएगी:अलीगढ़ में पूर्व मेयर शकुंतला भारती बोली; यूनिवर्सिटी किसी की जागीर नहीं, यह सबकी है
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में होली मनाने की अनुमति न मिलने का विवाद लगातार गहराता जा रहा है। इस मामले में अब अलीगढ़ की पूर्व मेयर ने बयान जारी किया है और कहा है कि अगर एएमयू में होली न हुई, तो ईद भी नहीं मनाने दी जाएगी। ये उनकी खुली चेतावती है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी सबकी है। चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख या फिर ईसाई हो। यह किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं है। उनको कोई अधिकार नहीं है कि वह किसी के त्योहार को मनाने से रोके। उन्होंने कहा कि यह हिंदुस्तान है, न कि पाकिस्तान। यहां किसी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा। होली एकता, त्याग और प्यार का प्रतीक एएमयू प्रकरण में पूर्व मेयर ने कहा कि होली हमारी एकता, प्यार और त्याग का प्रतीक है। इसलिए वह लोग इस तरह की गंदी हरकतें करना छोड़ दें। उन्होंने कहा कि प्रशासन अपनी सूझबूझ का परिचय दे और वहां पर होली मनाने की अनुमति छात्रों को प्रदान करे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के त्योहारों की शुरूआत यूनिवर्सिटी के अंदर से ही होती है। लेकिन हिंदू छात्रों को होली मनाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। यह पूरी तरह से गलत है। यूनिवर्सिटी के अंदर होली मनाई जाएगी और इसे कोई भी नहीं रोक सकता है। गंदी मानसिकता के लोगों को भेजो पाकिस्तान पूर्व मेयर शकुंतला भारती ने कहा कि यूनिवर्सिटी के अंदर गंदी मानसिकता का प्रदर्शन कर रहे लोगों को पाकिस्तान भेज देना चाहिए। जब यूनिवर्सिटी के अंदर बारहवफात, चेहल्लुम, मुहर्रम जैसे मौकों पर जुलूस और ताजिये निकाले जाते हैं, तो होली भी मनाई जाएगी। इसके लिए वह प्रदेश के मुखिया से भी मांग करेंगी और उन्हें सारी जानकारी देंगी।

एएमयू में होली न हुई…तो ईद भी नहीं मनाई जाएगी: अलीगढ़ में पूर्व मेयर शकुंतला भारती बोली
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में होली का त्योहार मनाए जाने को लेकर पूर्व मेयर शकुंतला भारती ने एक महत्वाकांक्षी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि होली का त्योहार यूनिवर्सिटी में नहीं मनाया जाएगा, तो ईद भी नहीं मनाई जा सकेगी। उनकी इस टिप्पणी ने एएमयू के समाजिक और धार्मिक ताने-बाने में एक नई बहस छेड़ दी है।
यूनिवर्सिटी का सर्वजनिक हक
शकुंतला भारती ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि एएमयू किसी विशेश वर्ग या समुदाय की जागीर नहीं है, अपितु यह सभी के लिए है। उनका मानना है कि भारतीय संस्कृति में विभिन्न त्योहारों का मनाया जाना आवश्यक है, जो एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
संस्कृति और एकता का महत्व
भारती ने इस बात पर जोर दिया कि यदि एएमयू में कोई त्योहार मनाने से रोका जाता है, तो इसका प्रभाव समस्त समुदायों पर पड़ता है। यह भी ध्यान में रखना आवश्यक है कि त्योहारों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जो विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारा बढ़ाता है।
महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएं
उनकी इस टिप्पणी ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। एएमयू के छात्र और अन्य लोग इस मुद्दे पर अलग-अलग राय व्यक्त कर रहे हैं। कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अन्य इसे पूर्वाग्रह से भरा हुआ मान रहे हैं।
अलीगढ़ के इस मामले ने एक बार फिर से त्योहारों पर मचा हंगामे और धार्मिक सहिष्णुता की आवश्यकता को उजागर किया है। धार्मिक festivalks की सभी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि समाज में एक सहिष्णु और एकजुटता का माहौल बना रहे।
अंत में
शकुंतला भारती का यह बयान एएमयू के सांस्कृतिक और धार्मिक माहौल को लेकर एक नई चर्चा का सूत्रपात करता है। यह दर्शाता है कि हमारे समाज में विविधता को स्वीकार करना आवश्यक है।
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