कोल आदिवासियों का वन विभाग के खिलाफ आक्रोश:पीएम आवास के मकान तोड़े जाने पर भड़के लोग, आमरण अनशन की दी चेतावनी
चित्रकूट के मानिकपुर में कोल आदिवासियों और वन विभाग के बीच विवाद गहराता जा रहा है। भैरमबाबा बस्ती के आदिवासियों ने शुक्रवार को तहसील कार्यालय पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि वन विभाग ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे उनके मकानों को अचानक गिरा दिया। आदिवासी सेना के राष्ट्रीय संयोजक शिवपूजन कोल के अनुसार, वन विभाग ने बिना किसी पूर्व सूचना के मकानों को यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया कि यह भूमि वन विभाग की है। प्रभावित परिवार अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। महिला प्रदर्शनकारी भोंडी ने कहा कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला तो वे परिवार सहित आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। वन विभाग का कहना है कि आदिवासियों ने बिना अनुमति वन क्षेत्र में निर्माण कार्य शुरू कर दिया था, जिसके कारण कार्रवाई की गई। हालांकि, आदिवासी समुदाय का आरोप है कि प्रशासन उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उत्पीड़न नहीं रुका तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। अब देखना यह है कि प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाता है।

कोल आदिवासियों का वन विभाग के खिलाफ आक्रोश
भारत में कोल आदिवासियों ने वन विभाग के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया है। हाल ही में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत निर्मित मकानों को तोड़े जाने के मुद्दे पर स्थानीय लोग काफी नाराज हैं। इस घटनाक्रम ने समुदाय के बीच गहरी चिंता और असंतोष उत्पन्न किया है। कई लोगों का मानना है कि यह कार्य उनके अधिकारों का उल्लंघन है और इसे तुरंत रोकने की आवश्यकता है।
विपरीत परिस्थितियाँ और प्रदर्शन
स्थानीय कोल आदिवासी समुदाय ने वन विभाग की कार्रवाई के खिलाफ एकजुट होकर प्रदर्शन करना शुरू किया है। उनका कहना है कि ऐसे अत्याचारों से उनकी जीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। मुख्यमंत्री और अन्य सरकारी अधिकारियों से आश्वासन के बावजूद, उनका मुद्दा अनसुलझा रहने से उन्होंने आमरण अनशन की चेतावनी दी है। सामुदायिक नेता यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि उनकी आवाज़ सुनी जाए।
आमरण अनशन की चेतावनी
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आमरण अनशन पर जाने के लिए मजबूर होंगे। यह कदम उनके लिए अंतिम उपाय होगा और यह दर्शाता है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कितने गंभीर हैं। स्थानीय नेताओं ने बताया कि इस अनशन का उद्देश्य केवल उनके परिवारों की सुरक्षा नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के अधिकारों की रक्षा भी है।
समुदाय का एकजुटता
कोल आदिवासी समुदाय के लोग अपने अधिकारों के लिए एकजुटता से खड़े हैं। वे चाहते हैं कि सरकार उनके साथ संवाद स्थापित करे और उनकी चिंताओं को गंभीरता से ले। कई सामाजिक कार्यकर्ता भी इस मामले में उनके समर्थन में आगे आये हैं, यह समझाते हुए कि आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण कितना आवश्यक है।
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