गुजराती काश पटेल अमेरिकी एजेंसी FBI के डायरेक्टर:सीनेट ने मंजूरी दी; ट्रम्प की पार्टी के दो सांसदों का विरोध में वोट

भारतीय मूल के कश्यप काश पटेल, अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (FBI) के डायरेक्टर बन गए है। अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। गुरुवार को वोटिंग के दौरान उन्हें 51-49 के मामूली बहुमत से पद के लिए चुना गया। डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों के अलावा पटेल के विरोध में दो रिपब्लिकन सांसद सुसान कॉलिन्स और लिसा मर्कोव्स्की दोमात्र ने भी वोट किया। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों को इस बात का डर है कि काश पटेल पद संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के आदेशों का पालन करेंगे और उनके विरोधियों को निशाना बनाएंगे। मंजूरी मिलने के बाद पटेल ने राष्ट्रपति ट्रम्प और अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। अमेरिकी लोगों को नुकसान पहुंचाने वालों को पटेल की चेतावनी सीनेट से मंजूरी के बाद पटेल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की। इस पोस्ट में उन्होंने कहा कि FBI अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाने वालों का इस ग्रह के हर कोने में पीछा करेगी। पटेल ने इसे चेतावनी की तरह लेने के लिए कहा। इसके अलावा काश पटेल ने लिखा कि, FBI की G-मेन से लेकर 9/11 हमले के बाद हमारे देश की सुरक्षा तक एक शानदार विरासत है। अमेरिकी लोग एक ऐसी FBI के हकदार हैं जो पारदर्शी, जवाबदेह और न्याय के लिए प्रतिबद्ध हो। हमारी न्याय प्रणाली के राजनीतिकरण ने जनता के भरोसे को खत्म कर दिया है। हम एक ऐसी FBI बनाएंगे, जिस पर लोग गर्व कर सकें। गुजराती परिवार में जन्मे, माता-पिता युगांडा से भागे काश पटेल भारतीय प्रवासी के बेटे हैं। उनका जन्म एक गुजराती परिवार में हुआ था। काश पटेल के माता-पिता युगांडा के शासक ईदी अमीन के देश छोड़ने के फरमान से डरकर 1970 के दशक में भागकर कनाडा के रास्ते अमेरिका पहुंचे थे। 1988 में पटेल के पिता को अमेरिका की नागरिकता मिलने के बाद एक एरोप्लेन कंपनी में नौकरी मिली। 2004 में कानून की डिग्री हासिल करने के बाद जब पटेल को किसी बड़ी लॉ फर्म में नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने एक सरकारी वकील के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। हालांकि, ड्रीम जॉब के लिए उन्हें 9 साल तक इंतजार करना पड़ा। काश पटेल 2013 में वॉशिंगटन में न्याय विभाग में शामिल हुए। यहां तीन साल बाद 2016 में पटेल को खुफिया मामले से जुड़ी एक स्थायी समिति में कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया। इस विभाग के चीफ डेविड नून्स थे, जो ट्रम्प के कट्टर सहयोगी थे। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति रहने के दौरान ट्रम्प ने 2019 में जो बाइडेन के बेटे के बारे में जानकारी जुटाने के लिए यूक्रेन पर दबाव बनाया था। इस वजह से विपक्ष उन पर नाराज हो गया। किसी कानूनी पचड़े से बचने के लिए ट्रम्प ने इस मामले में मदद के लिए सलाहकारों की एक टीम बनाई। इसमें काश पटेल का भी नाम था। तब उनका नाम देख हर किसी को हैरानी हुई थी। काश पटेल 2019 में ट्रम्प प्रशासन से जुड़ने के बाद तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए। ट्रम्प प्रशासन में वे सिर्फ 1 साल 8 महीने रहे, लेकिन सबकी नजरों में आ गए। मैगजीन द अटलांटिक की एक रिपोर्ट में पटेल को 'ट्रम्प के लिए कुछ भी करने वाला' शख्स बताया गया है। ट्रम्प प्रशासन में जहां पहले से लगभग सभी लोग ट्रम्प के वफादार थे, वहां भी उन्हें ट्रम्प के सबसे वफादार लोगों में गिना जाने लगा था। यही वजह है कि कई अधिकारी उनसे डरते थे। ट्रम्प पर किताब लिखी, उसमें भी मददगार बने काश पटेल नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के सीनियर एडवाइजर के तौर पर काम कर चुके हैं। इस दौरान वे 17 खुफिया एजेंसियों का कामकाज देखते थे। इस पद को संभालने के दौरान पटेल कई अहम मामलों में शामिल थे। वे ISIS लीडर्स, अल-कायदा के बगदादी और कासिम अल-रिमी जैसे नेताओं के खात्मे के अलावा कई अमेरिकी बंधकों को वापस लाने के मिशन में भी शामिल रहे हैं। ट्रम्प के पद छोड़ने के बाद काश पटेल पूर्व राष्ट्रपति के एजेंडे को बढ़ाने की कोशिश करते रहे हैं। काश ने "गवर्नमेंट गैंगस्टर्स: द डीप स्टेट, द ट्रुथ, एंड द बैटल फॉर अवर डेमोक्रेसी" नाम की एक किताब लिखी है। इसमें उन्होंने बताया है कि सरकार में किस कदर भ्रष्टाचार फैला हुआ है। काश पटेल ने ट्रम्प को बच्चों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए एक किताब द प्लॉट अगेंस्ट द किंग भी लिखी है। इसमें उन्होंने एक जादूगर का किरदार निभाया है, जो हिलेरी क्लिंटन से ट्रम्प को बचाने में उनकी मदद करता है। कहानी के अंत में जादूगर लोगों को यकीन दिलाने में कामयाब हो जाता है कि ट्रम्प ने हिलेरी क्लिंटन को धोखा देकर सत्ता हासिल नहीं की है। काश पटेल, डोनाल्ड ट्रम्प के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ का कामकाज भी देखते हैं। पटेल ने 2022 फीफा विश्व कप के दौरान कतर के लिए सुरक्षा सलाहकार के रूप में भी काम किया था। --------------------------------- डोनाल्ड ट्रम्प से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... ट्रम्प सरकार का एक महीना, 16 फैसले:पहले दिन बाइडेन के 78 आदेश पलटे, दुनियाभर में जैसे-को-तैसा टैक्स लगाया; भारतीयों को जंजीरों में डिपोर्ट किया अमेरिका में ट्रम्प सरकार का 1 महीना पूरा हो चुका है। 20 जनवरी को राष्ट्रपति बनते ही ट्रम्प ने 100 से ज्यादा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर दस्तखत कर इतिहास बना दिया था। उन्होंने बाइडेन के 78 आदेशों को पलटा था। पूरी खबर यहां पढ़ें...

Feb 21, 2025 - 10:59
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गुजराती काश पटेल अमेरिकी एजेंसी FBI के डायरेक्टर:सीनेट ने मंजूरी दी; ट्रम्प की पार्टी के दो सांसदों का विरोध में वोट
भारतीय मूल के कश्यप काश पटेल, अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (FBI) के डायरेक्टर ब

गुजराती काश पटेल अमेरिकी एजेंसी FBI के डायरेक्टर: सीनेट ने मंजूरी दी; ट्रम्प की पार्टी के दो सांसदों का विरोध में वोट

हाल ही में, अमेरिकी सीनेट ने काश पटेल को FBI के नए डायरेक्टर के रूप में मंजूरी दी है। काश पटेल, जो एक गुजराती अमेरिकी हैं, ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पोजीशन्स को संभाला है और अब वह FBI के प्रमुख बन गए हैं। यह फैसला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है, विशेष रूप से ट्रम्प के करीबी समर्थकों के लिए, जिन्होंने इस पर विरोध जताया है।

काश पटेल का करियर और उनके योगदान

काश पटेल, जो पहले ट्रम्प प्रशासन में सीनियर ऑफिसर रह चुके हैं, ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी मामलों में महत्वपूर्ण काम किया है। उनके ज्ञान और अनुभव के कारण सीनेट ने उन्हें FBI के डायरेक्टर के लिए चुना। हालांकि, ट्रम्प की पार्टी के कुछ सांसदों ने इस मुहिम के खिलाफ वोट दिया, जिससे इस फैसले पर विभाजन की स्थिति उत्पन्न हुई है।

सीनेट की मंजूरी और राजनीतिक विवाद

सीनेट में काश पटेल की नियुक्ति को लेकर चर्चा के दौरान, कई सांसदों ने अपनी चिंताओं को साझा किया। विशेष रूप से, ट्रम्प पार्टी के दो सांसदों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई। उनका मानना है कि पटेल की विचारधारा FBI की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है। इसके बावजूद, उन्हें बहुमत द्वारा मंजूरी मिली, जो इस बात का संकेत है कि उनके समर्थन में मजबूत तर्क हैं।

भविष्य की चुनौतियाँ

काश पटेल के FBI के डायरेक्टर बनने के बाद, उनके सामने कई चुनौतियाँ आएंगी। उन्हें FBI की जिम्मेदारियों को निभाते हुए न केवल आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करना होगा, बल्कि एजेंसी के भीतर विश्वास भी स्थापित करना होगा। उनके लिए यह आवश्यक है कि वे सभी राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठें और FBI को सभी अमेरिकी नागरिकों के लिए सुरक्षित बनाएं।

यह महत्वपूर्ण है कि काश पटेल अपनी नई भूमिका में सफल हों और FBI में सकारात्मक बदलाव लाएं। उनके कार्यकाल में अमेरिकी सुरक्षा, कानून व्यवस्था और मानवाधिकारों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना एक चुनौती होगी।

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