दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले को:बांदा कोर्ट ने सुनाई 10 साल की जेल और 3 हजार रुपए जुर्माना

बांदा में एक दहेज हत्या के मामले में कोर्ट ने पति को दोषी करार दिया है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. बब्बू सारंग ने आरोपी को 10 साल की सजा और 3 हजार रुपए का जुर्माना सुनाया है। जुर्माना न भरने पर एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। मामला पैलानी थाना क्षेत्र का है। पीड़िता के पिता कल्लू उर्फ कलुवा ने 13 जून 2022 को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी सुधा की शादी 19 फरवरी 2019 को हरवंश पुरवा निवासी मुकेश से हुई थी। शादी के बाद ससुराल पक्ष दहेज में तीन लाख रुपए की मांग कर रहा था। आरोप है कि 7 जून 2022 को पति मुकेश समेत ससुराल के लोगों ने सुधा को जबरन जहर पिलाकर मार डाला। पुलिस जांच में सास, ससुर, जेठ और नंदोई पर फाइनल रिपोर्ट लगी। केवल पति मुकेश के खिलाफ 18 अगस्त 2022 को आरोप पत्र दाखिल किया गया। मामले में अभियोजन पक्ष ने पांच गवाह पेश किए। सभी साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने पति को दोषी पाया और सजा सुनाई।

Mar 2, 2025 - 09:59
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दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले को:बांदा कोर्ट ने सुनाई 10 साल की जेल और 3 हजार रुपए जुर्माना
बांदा में एक दहेज हत्या के मामले में कोर्ट ने पति को दोषी करार दिया है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ.

दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले को: बांदा कोर्ट ने सुनाई 10 साल की जेल और 3 हजार रुपए जुर्माना

बांदा की न्यायालय ने हाल ही में दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने वाले आरोपी को 10 साल की जेल और 3 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह मामला दहेज की प्रथा के खिलाफ चल रहे संघर्ष का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। न्यायालय ने इस मामले में आरोपी की मानसिकता और उसके किए गए अपराध की गंभीरता पर विचार किया।

मामले की जानकारी

साल 2020 में बांदा जिले में एक महिला की हत्या का मामला सामने आया था, जिसमें उसके पति पर दहेज के लिए उसकी हत्या का आरोप लगाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पति ने दहेज के लिए अपनी पत्नी पर कई बार शारीरिक और मानसिक अत्याचार किया था। अंततः, परेशान होकर पत्नी ने अपने जीवन का अंत कर लिया।

न्याय प्रक्रिया

इस मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने गवाहों और सबूतों के आधार पर आरोपी के खिलाफ मजबूत मामला पेश किया। न्यायालय ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए आरोपी को दोषी ठहराया। यह निर्णय न केवल पीड़ित के लिए न्याय की इस प्रक्रिया का एक उदाहरण है, बल्कि अन्य पीड़ितों के लिए भी एक उम्मीद की किरण है।

दहेज प्रथा के खिलाफ कानून

दहेज एक सामाजिक बुराई है, जो आज भी भारतीय समाज में व्यापक रूप से फैली हुई है। भारतीय सरकार ने इसे समाप्त करने के लिए कई कानून बनाए हैं, जैसे कि दहेज निषेध अधिनियम। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि अदालतें दहेज हत्या के मामलों को गंभीरता से ले रही हैं और सख्त सजा दे रही हैं।

यह निर्णय ना केवल अपराधी के लिए सजा है, बल्कि समाज में एक संदेश भी है कि दहेज संबंधित अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। न्यायालयों का यह दृष्टिकोण समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।

समाज के लिए संदेश

इस फैसले से यह स्पष्ट है कि समाज को दहेज प्रथा के खिलाफ उठ खड़े होने की आवश्यकता है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वे दहेज की मांग करने वालों का विरोध करें और दहेज के बिना विवाह को प्रोत्साहित करें। यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सीख है।

आखिरकार, दहेज के खिलाफ जागरूकता फैलाना और जरूरतमंदों की मदद करना हम सबकी जिम्मेदारी है।

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