नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की कैद:कोर्ट ने 68 हजार रुपए का लगाया जुर्माना, दो साल बाद आया फैसला

जौनपुर में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने कड़ा फैसला सुनाया है। अपर सत्र न्यायाधीश पाक्सो उमेश कुमार की अदालत ने आरोपी को 20 साल की कठोर कैद और 68,000 रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामला जुलाई 2022 का है, जब सराय ख्वाजा थाना क्षेत्र में 13 वर्षीय नाबालिग लड़की को जयकेश नाम का व्यक्ति अपने दो साथियों पंकज और अवधेश के साथ मिलकर बहला-फुसलाकर भगा ले गया। पीड़िता की मौसी ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि 7 जुलाई की सुबह 4:05 बजे आरोपियों ने उनकी भांजी को अगवा कर लिया, जिसके साथ कुछ जेवर और 5,000 रुपए भी गायब हो गए। पुलिस ने 12 जुलाई को पीड़िता को बरामद किया। घर लौटने पर लड़की ने बताया कि जयकेश ने उसके मामा और मौसी को जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने जांच के बाद न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। शासकीय अधिवक्ता राजेश उपाध्याय और कमलेश राय द्वारा प्रस्तुत गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने मुख्य आरोपी जयकेश को दोषी पाया। यह फैसला समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है कि नाबालिगों के साथ अपराध करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी।

Jan 18, 2025 - 18:05
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नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की कैद:कोर्ट ने 68 हजार रुपए का लगाया जुर्माना, दो साल बाद आया फैसला
जौनपुर में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने कड़ा फैसला सुनाया है। अपर सत्र न

नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की कैद: कोर्ट ने 68 हजार रुपए का लगाया जुर्माना, दो साल बाद आया फैसला

हाल ही में एक अदालत ने एक गंभीर अपराध के मामले में निर्णय सुनाया है, जिसने समाज में सुरक्षा और न्याय का एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। नाबालिग के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को 20 साल की कठोर सजा सुनाई गई है। यह फैसला दो साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आया, जिसने पीड़ित को न्याय दिलाने की दिशा में उम्मीद जगाई है।

फैसले का विवरण

इस फैसले में न्यायालय ने 68 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने यह माना कि ऐसे अपराध समाज में असुरक्षा का माहौल पैदा करते हैं और इसके प्रति सख्त कार्रवाई जरूरी है। अदालत ने न केवल सजा को सही ठहराया, बल्कि पीड़ित की दयनीय स्थिति और उसके परिवार पर पड़े प्रभाव को भी ध्यान में रखा।

कानूनी प्रक्रिया की चुनौतियाँ

इस मामले में अदालत की कार्यवाही दो वर्षों तक चली, जिसमें कई सुनवाई और कानूनी जटिलताएँ शामिल थीं। ऐसे मामलों में न्यायालय की कार्यवाही में समय लगना आम है, लेकिन न्याय की उपलब्धता यह दर्शाती है कि हमारी कानून प्रणाली आखिरकार सही दिशा में कार्य कर रही है।

सामाजिक प्रभाव

यह फैसला न सिर्फ पीड़ित के लिए एक न्याय के रूप में कार्य करता है, बल्कि समाज में अन्य संभावित अपराधियों के लिए भी एक चेतावनी है। इसके द्वारा युवाओं को यह संदेश मिलता है कि अपराधियों को उनके कार्यों के लिए सजा दी जाएगी, चाहे वे कितने भी शक्तिशाली हों। इस तरह के मामलों में न्याय की उपलब्धता से समाज में विश्वास बढ़ता है और सुरक्षा का एहसास मजबूत होता है।

समाज के लोगों को चाहिए कि वे ऐसे मामलों में जागरूक रहें और पीड़ितों का समर्थन करें। यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी मिलकर एक ऐसा माहौल बनाएँ जिसमें बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और ऐसे गंदे अपराधों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों।

हालिया मामले ने यह सिद्ध किया है कि न्याय की लंबी प्रक्रिया के बावजूद, सच्चाई और न्याय आखिरकार जीतते हैं। इसके साथ ही, यह भी स्पष्ट होता है कि समाज को अपनी सुरक्षा के प्रति सजग रहना आवश्यक है।

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