नोएडा में 3.14 करोड़ रकम पश्चिम बंगाल-असम हुई ट्रांसफर:15 दिनों में बनाया था डिजिटल अरेस्ट, 7 खाते आए सामने, 34 लाख कराया फ्रीज

आरबीआई के पूर्व कर्मचारी और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर हुई 3 करोड़ 14 लाख रुपए की ठगी में पश्चिम बंगाल और असम के अकाउंट का प्रयोग किया गया था। इन अकाउंट में पीड़ित ने 7 बार में रुपए ट्रांसफर किए थे। ऐसे में पुलिस टीम को पश्चिम बंगाल और असम के लिए रवाना किया गया। दो टीमों का किया गया गठन डीसीपी साइबर प्रीति यादव ने बताया कि इन अकाउंट के बारे में डिटेल निकली गई है। मामले में दो टीमों को गठन किया गया है। आरोपियों की तलाश की जा रही है। बता दें, 78 साल के बुजुर्ग को उनकी 71 साल की पत्नी के साथ मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम आने की जानकारी देकर 26 फरवरी से 12 मार्च तक डिजिटल अरेस्ट रख कर ठगी की। इस दौरान मुंबई के कोलाबा थाने के साथ सीबीआई की जांच और फिर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के सामने पेश करने की बात यह ठगी की। 39 लाख रुपए कराए गए फ्रीज इस मामले में पीड़ित के शिकायत के लिए आने के बाद पुलिस ने केस दर्ज करने के साथ इसे नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्ट पोर्टल पर भी अपडेट किया। वहीं सूचना के बाद कार्रवाई करते हुए 39 लाख रुपए फ्रीज कराए गए हैं। साथ ही ठगी करने वाले पूरे नेटवर्क के बारे में जानकारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार इसमें टीम को पश्चिम बंगाल और असम अकाउंट की डिटेल के लिए रवाना किया गया है।

Mar 22, 2025 - 05:00
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नोएडा में 3.14 करोड़ रकम पश्चिम बंगाल-असम हुई ट्रांसफर:15 दिनों में बनाया था डिजिटल अरेस्ट, 7 खाते आए सामने, 34 लाख कराया फ्रीज
आरबीआई के पूर्व कर्मचारी और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर हुई 3 करोड़ 14 लाख रुपए की ठगी में पश्चिम

नोएडा में 3.14 करोड़ रकम पश्चिम बंगाल-असम हुई ट्रांसफर

नोएडा में हाल ही में एक बड़ा वित्तीय घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें 3.14 करोड़ रुपये की रकम पश्चिम बंगाल से असम ट्रांसफर की गई थी। इस मामले में रोचक पहलू यह है कि मात्र 15 दिनों में एक डिजिटल अरेस्ट बनाया गया, जिसमें 7 बैंक खातों की पहचान की गई। इसके तहत लगभग 34 लाख रुपये को फ्रीज किया गया है। यह घटना ने विभिन्न वित्तीय संस्थानों और निगरानी एजेंसियों का ध्यान आकर्षित किया है।

डिजिटल अरेस्ट की प्रक्रिया

इस कांड में इस्तेमाल की गई डिजिटल अरेस्ट प्रक्रिया ने सुरक्षा और डेटा प्रबंधन के क्षेत्र में एक नई मिसाल स्थापित की है। इस प्रणाली के द्वारा जल्दी से आरोपी के बैंक खातों का पता लगाया जा सका और तात्कालिक कार्रवाई की गई। यह प्रक्रिया आगामी समय में वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ एक मजबूत ढांचा दे सकती है।

पुलिस और वित्तीय संस्थाओं की कार्रवाई

पुलिस विभाग और वित्तीय संस्थानों ने मिलकर इस मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई की। 7 बैंक खातों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की गई, जिससे लगभग 34 लाख रुपये को तुरंत फ्रीज किया जा सका। इस घोटाले की जांच अभी भी जारी है और साक्ष्य जुटाना पूरी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भविष्य की चुनौतियाँ

इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल ट्रांजेक्शन के दौर में वित्तीय सुरक्षा एक चुनौती बना हुआ है। हालांकि, सरकार और संबंधित एजेंसियों की पहल से लोगों को इन समस्याओं का समाधान खोजने में मदद मिलेगी। आगामी समय में इस तरह की अनियमितताओं पर काबू पाने के लिए और भी सख्त नीतियों और प्रक्रियाओं की आवश्यकता होगी।

इस घोटाले की बात करना महत्वपूर्ण है ताकि अन्य लोग भी इस समस्या के प्रति जागरूक हो सकें। सही जानकारी और सावधानी बरतने से इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है।

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