बिजली विभाग के निजीकरण पर कर्मचारियों का विरोध:कानपुर देहात में काली पट्टी बांधकर किया काम
कानपुर देहात के रसूलाबाद में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने विरोध स्वरूप काली पट्टी बांधकर काम किया और जमकर नारेबाजी की। राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ दक्षिणांचल के अध्यक्ष नीरज तिवारी ने कहा कि बिजली विभाग का निजीकरण कर्मचारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए नुकसानदायक साबित होगा। तिवारी ने चेतावनी दी कि निजीकरण से उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण होगा, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने सरकार से निजीकरण का फैसला तुरंत वापस लेने की मांग की। उनका कहना था कि निजीकरण से न केवल बिजली आपूर्ति प्रभावित होगी, बल्कि कर्मचारियों की नौकरी और सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी। विरोध प्रदर्शन में आशुतोष शुक्ला, मनीष, आनंद, प्रदीप, विरेंद्र, मुकेश, प्रज्ञा सिंह और विपिन सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। सभी ने एकजुट होकर सरकार से निजीकरण के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग की।

राज्य में बिजली विभाग के निजीकरण पर कर्मचारियों का विरोध
बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का विरोध कानपुर देहात में तेज हो गया है। कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर अपने विरोध का इजहार किया है। यह कदम सरकार द्वारा बिजली विभाग के निजीकरण की प्रस्तावित योजना के खिलाफ उनके असंतोष को दर्शाता है।
कर्मचारियों का प्रदर्शन
कानपुर देहात के बिजली विभाग के कर्मचारियों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने काली पट्टी बाँधकर काम किया और इस प्रक्रिया के दौरान सरकार के खिलाफ नारे लगाए। कर्मचारियों का कहना है कि निजीकरण से उनके रोजगार पर खतरा उत्पन्न होगा और आम जनता को बिजली की सेवाओं की गुणवत्ता में कमी आएगी।
निजीकरण के संभावित प्रभाव
बिजली विभाग के निजीकरण के कई संभावित प्रभाव हो सकते हैं। कर्मचारियों का मानना है कि इस कदम से न केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन होगा, बल्कि आम जनता को भी महंगे दरों का सामना करना पड़ेगा। विरोध प्रदर्शन के माध्यम से वे अपने अधिकारों की रक्षा की कोशिश कर रहे हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया
इस विरोध पर सरकार की प्रतिक्रिया भी देखने लायक होगी। ऑफिसर्स का कहना है कि निजीकरण से विभाग की कार्यक्षमता में सुधार आएगा। हालांकि, कर्मचारी इसके खिलाफ हैं और वे इस प्रक्रिया का विरोध जारी रखेंगे।
बिजली विभाग के निजीकरण पर कर्मचारियों का यह विरोध आगे बढ़ेगा या सरकार इसे नजरअंदाज करेगी, यह देखना दिलचस्प होगा। इस मुद्दे के प्रति कर्मचारियों की सक्रियता इस बात का संकेत है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने को तैयार हैं।
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