बेटे को उड़ान पसंद थी...वहीं चला गया:कानपुर में शहीद की मां बोलीं- वीडियो कॉल से प्लेन दिखाता था; आज भाई करेंगे अंतिम संस्कार
'मुझे रोज वीडियो कॉल करते। कहते- देखिए मम्मी यही वो हवाई जहाज है, जिससे मैं उड़ूंगा। जब लौटकर आते, तब भी मुझे कॉल करके दिखाते कि उड़कर आया हूं। तुम्हारा तो यही रुटीन था। अगर कॉल नहीं आता, तो दिल घबराने लगता। ये बताओ कल कॉल क्यों नहीं किया। मुझे क्यों नहीं बताया।' यह कहते हुए मां राजमनी यादव का दर्द उनकी आंखों के रास्ते बहने लगता है। उन्होंने बेटे सुधीर कुमार यादव का शव देखा, तो बेसुध हो गईं। महिलाओं ने उन्हें संभाला। जब कुछ संभली, तो रोते हुए बेटे को याद करने लगी। बोलीं- ये मोबाइल हाथ में रहेगा, मगर अब बेटे का कॉल नहीं आएगा। क्योंकि, दिखाने वाला चला गया। वह कहती हैं कि उसको आसमान की उड़ान पसंद थी। नहीं पता था कि वह वहीं चला जाएगा। अब मैं किसके सहारे जिंदा रहूंगी? गुजरात के पोरबंदर में हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए सुधीर कुमार का पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके घर श्यामनगर पहुंचा। यहां वायु सेना के जवान उन्हें अपने कंधे पर लेकर आए। फूलों की माला देख चीख पड़ी मां पिता नवाब यादव और मां राजमनी पुरानी यादों को याद करते हुए फफक-फफक कर रोते रहे। इसी बीच एक रिश्तेदार ने मां राजमनी के हाथ में फूलों की माला पकड़ा दी। मां चीख पड़ीं…। कहने लगीं- बेटा ये माला तो तुम्हें हमारे ऊपर चढ़ानी थी, मगर ये क्या हो गया? हमें ऐसे दिन क्यों देखने पड़ रहे? मां बेसुध हो गईं, तो उन्हें बड़े बेटे धर्मेंद्र और पति ने बड़ी मुश्किल से सहारा दिया। तस्वीर पर चिट्ठी रखकर सबको रुला दिया पत्नी ने परिवार के बीच शहीद की पत्नी आवृत्ति नैथानी में भी खड़ी थीं। कांपते हाथों में एक चिट्ठी लिए थीं। वह आहिस्ता-आहिस्ता पति के पार्थिव शरीर के पास पहुंचीं। चिट्ठी को सुधीर की तस्वीर के नीचे रख दिया। आंखों से बहते आंसू के साथ कहने लगीं- प्लीज…एक बार इसे जरूर पढ़ लेना। मैंने सब कुछ लिख दिया है। मुझे तुम्हारे ऊपर गर्व है। तुमने हमेशा जॉब के लिए ईमानदारी दिखाई। मैं उससे बहुत खुश हूं। तुम जहां भी रहना, खुश रहना। वहां मौजूद हर शख्स नम आंखों से यह सब देख रहा था। सब उस लम्हे को कोस रहे थे, जब सुधीर हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने के लिए गए थे। पिता बोले- लोग उसको याद रखें, सरकार कुछ ऐसा कर दे पिता नवाब ने दैनिक भास्कर से कहा- अब हमने बेटा तो खो दिया है। अब सरकार से कुछ नहीं चाहिए। हो सके तो घर के पास सुधीर के नाम पर एक चौराहा बना दें, ताकि लोग शहीद को याद रखें। गर्व महसूस करें। ज्यादा से ज्यादा बच्चे सेना में जाएं। परिजनों के साथ उस भीड़ में कुछ ऐसे भी लोग थे, जो पार्थिव शरीर को लेकर वहां आए थे। पत्नी आवृत्ति ने उन सब लोगों से बातचीत की। कहा- वह आप सब लोगों की हमेशा तारीफ करते थे। सभी की चिंता करते थे। जितना भी खाली वक्त होता, वह सिर्फ पढ़ाई करते। जब भी उन्हें फोन करो, वह अपनी ड्यूटी पर होते या पढ़ाई करते रहते थे। बड़े भाई ने किया सैल्यूट, मुखाग्नि देंगे भीड़ के बीच मौजूद सुधीर यादव के बड़े भाई धर्मेंद्र यादव अपने आंसू छिपाते हुए भाई के पार्थिव शरीर के पास तक पहुंचे। उन्होंने भाई को माला पहनाने के बाद सैल्यूट किया। इस दौरान वह अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक सके। कभी मां को सहारा देते थे, तो कभी आवृत्ति को ढांढस बंधा रहे थे। कभी गुमसुम से एक कोने में खड़े हो जाते। बुधवार को वह अपने छोटे भाई को मुखाग्नि देंगे। कब और कैसे हादसा हुआ, जानिए- गुजरात के पोरबंदर में रविवार दोपहर 12 बजे इंडियन कोस्टगार्ड का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, कोस्टगार्ड का ICG ALH MK-III हेलिकॉप्टर ध्रुव नियमित उड़ान पर था, जो दोपहर 12.15 बजे पोरबंदर हवाई अड्डे के रनवे पर लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया। हेलिकॉप्टर के गिरते ही उसमें आग लग गई। इंडियन कोस्टगार्ड ने बताया- हेलिकॉप्टर में 2 पायलट समेत 3 लोग सवार थे। हादसे में तीनों की जान चली गई, जिनकी पहचान सुधीर कुमार यादव, मनोज प्रधान और सौरभ कुमार के रूप में हुई है। सूचना मिलते ही तटरक्षक बल के DIG पंकज अग्रवाल और जिला पुलिस प्रमुख भागीरथ सिंह जाडेजा समेत पुलिस अधिकारी भी अस्पताल पहुंचे। तीनों जवानों के शव पोस्टमॉर्टम के लिए पोरबंदर के भावसिंहजी सरकारी अस्पताल भेजे गए हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर

कानपुर में शहीद की मां की भावनाएं: बेटे की उड़ान और अंतिम संस्कार
News by indiatwoday.com: कानपुर में एक अत्यंत दुखद घटना सामने आई है जहां एक शहीद के परिवार ने अपने प्रियजन को खो दिया है। शहीद के बेटे को उड़ान भरने का बहुत शौक था और उसकी मां ने एक वीडियो कॉल पर बताया कि कैसे वह अपने परिवार को प्लेन दिखाया करता था। यह सुनकर दिल दहल जाता है कि एक ऐसा जवान, जिसने देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति दी, उसके परिवार में कितनी गहरी गहरी शोक की लहर है।
बेटे का सपना और उसकी विनम्रता
शहीद की मां ने अपने बेटे की यादों को साझा करते हुए कहा, "उसने हमेशा कहा कि एक दिन वह बड़ा पायलट बनेगा। उसे उड़ान भरना बहुत पसंद था और वह हमेशा अपने सफ़र के वीडियो हमें दिखाता था। अब उसे खोने का दुख हमारे दिलों में हमेशा रहेगा।" यह शब्द न केवल एक माताओं की उदासी को दर्शाते हैं बल्कि यह भी बताते हैं कि उनका बेटा कितना साहसी और योग्य था।
अंतिम संस्कार की तैयारी
शहीद के भाई ने बताया कि आज अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है। परिवार के लोग इस दुखद समय में एक दूसरे का सहारा बनकर खड़े हैं। "हम सभी मिलकर अपने भाई को श्रद्धांजलि देंगे," उन्होंने कहा। शहीद के अंतिम विदाई पर स्थानीय लोगों, दोस्तों और रिश्तेदारों की भीड़ जुटेगी, जो अपने इस नायक को सम्मान देने आएंगे।
शहीद की वीरता को सलाम
हर भारतीय के दिल में ऐसे शहीदों के लिए अपार प्रेम और श्रद्धा है। उनका बलिदान हमें साहस और संकल्प की प्रेरणा देता है। इस कठिन समय में हमें उनके परिवार के साथ खड़े रहना चाहिए और उनके प्रति अपना समर्थन दिखाना चाहिए।
हमारे शहीदों की शहादत को याद करते हुए, हम यह भी सुनिश्चित करें कि उनके परिवार को इस कठिन समय में हर संभव मदद मिले। समाज को आगे आकर इन परिवारों का सहारा बनना चाहिए। इस सारे मामले पर और अधिक जानकारी के लिए, कृपया indiatwoday.com पर जाएं।
सारांश
कानपुर की यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हमारे शहीदों के बलिदान का महत्व कितना बड़ा है। उनके सपने और उनकी इच्छाएं हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी। शहीद के परिवार की आहात मन को छू जाती है और हमें आगे बढ़ने का साहस देती है।
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