भगोड़े ललित मोदी की वानुअतु की नागरिकता रद्द:PM जोथम ने पासपोर्ट कैंसिल करने का आदेश दिया
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पूर्व कमिश्नर और भगोड़े ललित मोदी की वानुअतु की नागरिकता रद्द होगी। वानुअतु के प्रधानमंत्री जोथम नापाट ने नागरिकता आयोग को ललित मोदी को जारी पासपोर्ट रद्द करने का आदेश दिया है। वानुअतु डेली पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला उन रिपोर्ट्स के आधार पर लिया गया है, जिनमें ये दावा किया गया था कि ललित मोदी भारत में प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश कर रहा है। इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में कई रिपोर्ट्स छपी थीं। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के बयान में कहा गया कि इंटरपोल ने दो बार ललित मोदी के खिलाफ अलर्ट जारी करने से मना कर दिया था। इसके चलते उसके पासपोर्ट आवेदन को रिजेक्ट नहीं किया गया था। उसका बैकग्राउंड जांचने के बाद भी उसे किसी अपराध में दोषी नहीं पाया गया था। भारत का पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन किया वानुअतु की नागरिकता लेने के बाद ललित मोदी ने भारतीय पासपोर्ट को सरेंडर करने के लिए आवेदन किया था। विदेश मंत्रालय ने 7 मार्च को बताया था कि ललित ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में पासपोर्ट जमा किया था। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि ललित मोदी ने वानुअतु की नागरिकता ले ली है। हम उनके खिलाफ मामले को कानून के अनुसार आगे बढ़ाते रहेंगे। 8 मार्च को X पोस्ट करते हुए ललित मोदी ने लिखा- भारत की किसी भी अदालत में मेरे खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है। यह सिर्फ मीडिया की कल्पना है। 15 साल हो गए, लेकिन वे अब भी कहते हैं कि वे मेरे पीछे पड़े हैं। भारत से क्यों भागा ललित मोदी? ललित मोदी 2005 से 2009 तक राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष था। 2008 में उसने IPL शुरू किया। BCCI ने उसे IPL का अध्यक्ष और कमिश्नर बनाया। 2010 में ललित पर IPL में करप्शन के आरोप लगे। ललित ने मॉरीशस की कंपनी वर्ल्ड स्पोर्ट्स को IPL का 425 करोड़ का ठेका दिया था। मोदी पर 125 करोड़ रुपए कमीशन लेने के आरोप लगे। ये भी कहा गया कि उसने दो नई टीमों की नीलामी के दौरान गलत तरीके अपनाए। 2010 में BCCI ने IPL के तीसरे सीजन के फाइनल के तुरंत बाद ललित को सस्पेंड कर दिया। 2010 में ही अंडरवर्ल्ड से धमकियों का हवाला देते हुए ललित मोदी भारत से भाग कर लंदन चला गया। ED ने उसके खिलाफ 'ब्लू कॉर्नर' नोटिस जारी किया। उसका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया। 2011 में BCCI ने अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई। तब के कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और तब के BCCI अध्यक्ष एन श्रीनिवासन इसके सदस्य थे। 2012 में ललित मोदी ने कहा कि उसने 2009 के IPL में CSK में इंग्लैंड के ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ को लाने में श्रीनिवासन की मदद की। 12 हजार करोड़ रुपए की कंपनी का मालिक है ललित मोदी ललित मोदी, मोदी इंटरप्राइजेज का प्रेसिडेंट है। मोदी इंटरप्राइजेज की कुल नेटवर्थ 12 हजार करोड़ रुपए की है। कंपनी एग्रो, टोबैको, पान मसाला, माउथ फ्रेशनर, कन्फेक्शनरी, रिटेल, एजुकेशन, कॉस्मेटिक, एंटरटेनमेंट और रेस्तरां का बिजनेस करती है। भारत के अलावा मोदी इंटरप्राइजेज का कारोबार मिडिल ईस्ट, वेस्ट अफ्रीका, साउथ-ईस्ट अफ्रीका, साउथ-ईस्ट एशिया, ईस्ट यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अमेरिका और सेंट्रल अमेरिका तक फैला है। वहीं मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ललित मोदी की कुल संपत्ति 4.5 हजार करोड़ रुपए की है। ललित मोदी के पास तीन फेरारी हैं, जिनकी कीमत 15 करोड़ रुपए है। -------------------------- ललित मोदी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... आज का एक्सप्लेनर:भारत से भागे ललित मोदी ने वानुअतु की नागरिकता क्यों ली; ज्वालामुखी और भूकंपों वाला देश, आबादी महज कस्बे जितनी IPL के पूर्व चेयरमैन और भगोड़े ललित मोदी ने भारत की नागरिकता छोड़ने के लिए आवेदन किया है। अब वह छोटे-छोटे द्वीपों के देश वानुअतु का नागरिक बन गया है। प्रशांत महासगार में बसे इस द्वीपीय देश की कुल आबादी 3 लाख है, जो देहरादून जैसे एक शहर की आबादी से भी आधी है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

भगोड़े ललित मोदी की वानुअतु की नागरिकता रद्द: PM जोथम ने पासपोर्ट कैंसिल करने का आदेश दिया
हाल ही में, प्रधानमंत्री जोथम की सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसके अनुसार भगोड़े ललित मोदी की वानुअतु की नागरिकता को रद्द कर दिया गया है। यह कदम उन विवादों और आरोपों की एक कड़ी में आता है, जो ललित मोदी पर लगते रहे हैं। यह कदम न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
ललित मोदी की पृष्ठभूमि
ललित मोदी, पूर्व आईपीएल कमिश्नर, पर कई वित्तीय अनियमितताओं और धोखाधड़ी के आरोप हैं। भारत में उनके खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही है। जब वह 2010 में आईपीएल के विवादों के बाद भारत से भागने में सफल रहे, तब से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विवादास्पद व्यक्ति बन गए। उनकी उच्च जीवनशैली और विदेशी नागरिकता ने उनके खिलाफ आवाजें उठाई हैं।
वानुअतु सरकार का निर्णय
PM जोथम द्वारा लिए गए इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य विदेशों में फंसे नागरिकों को सुरक्षित रखना है। यह कदम उन देशों के लिए एक संदेश है जहाँ भ्रष्टाचार या क्राइम से जुड़े लोग नागरिकता लेने की कोशिश कर रहे हैं। वानुअतु की नागरिकता एक आकर्षक विकल्प बन गई है, लेकिन इस निर्णय के बाद अब इस पर सवाल उठ सकते हैं।
भारत का रुख
इस मामले में भारत सरकार की स्थिति स्पष्ट है। ललित मोदी जैसे भगोड़े कारोबारी उनके खिलाफ उठाए गए कदमों को उचित ठहराते हुए यह दर्शाते हैं कि देश कानून के प्रति प्रतिबद्ध है। इससे यह भी पता चलता है कि भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति गंभीर है।
भविष्य की योजनाएं
गौर करने वाली बात यह है कि अस्वीकृत नागरिकता के बाद ललित मोदी का अगला कदम क्या होगा। क्या वह पुनः अपने अधिकार हासिल करने के लिए प्रयास करेंगे या वानुअतु में ही रुकने का निर्णय लेंगे? यह सवाल अधर में है।
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