महाकुंभ से उठी मांग- भारत में भी चले राम मुद्रा:30 देशों में चली थी, महेश योगी की संस्था ने शुरू की थी

हिंदू राष्ट्र और सनातन बोर्ड के बाद महाकुंभ से एक और बड़ी मांग उठी है। कहा जा रहा है कि भारत में भगवान श्रीराम के फोटो वाले नोट चलन में लाए जाएं। ये मांग दिवंगत पूर्व PM मनमोहन सिंह के वक्त भी उठी थी, जब वो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गर्वनर थे। तब RBI ने तर्क दिया था कि भारत में दो तरह की मुद्राएं नहीं चल सकतीं। नीदरलैंड में श्रीराम के फोटो वाली मुद्रा को डिजाइन कराने और चलन में लाने के लिए जिस संस्था ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस’ ने योगदान दिया, उसी ने एक बार फिर से ये मांग दोहराई है। इस संस्था से जुड़े बड़े अर्थशास्त्री अब RBI से मिलने का प्लान बना रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि मोदी सरकार में इस मांग पर ध्यान दिया जा सकता है। ये मुद्रा हॉलैंड, जर्मनी समेत 30 देशों में चली थी। यह संस्था महेश योगी से जुड़ी है, जो सबसे धनी आध्यात्मिक संस्था मानी जाती है। करेंसी डिजाइन टीम में शामिल रहे महर्षि संस्थान प्रमुख बोले- सरकार को इसकी उपयोगिता बताएंगे ‘द ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस’ संस्था से जुड़े महर्षि संस्थान का आश्रम प्रयागराज के अरैल में है। संस्थान के प्रमुख ब्रह्मचारी गिरीश जी महाराज ने दैनिक भास्कर को बताया- सारे लोग रुपया, डॉलर, यूरो रटते रहते हैं। हर किसी को धन-संपत्ति चाहिए। लेकिन, अपने वैदिक लिटरेचर में रामजी की बात हुई है। महर्षि महेश योगी ने सोचा कि लोग दिनभर राम-राम कैसे रटेंगे? तय हुआ कि राम नाम की मुद्रा चला दी जाए। इस पर बातचीत आगे बढ़ी और विशेषज्ञों से सलाह ली गई। सबसे पहले नीदरलैंड में राम मुद्रा प्रिंट की गई। हम उसमें इनवॉल्व थे। छपाई के दौरान हम प्रिंटिंग प्रेस जाते थे। 10 डॉलर के बराबर एक राम मुद्रा की कीमत रखी गई। फिर हॉलैंड, जर्मनी, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया समेत 30 देशों में राम मुद्रा चली। ये बड़ा और अच्छा प्रयोग था। बहुत लोगों ने इसको पसंद किया। इसके तुरंत बाद हमारी संस्था से जुड़े बड़े इकोनॉमिस्ट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास गए थे। संस्था चाहती थी कि इस मुद्रा का चलन भारत में भी हो। उस वक्त मनमोहन सिंह आरबीआई के गर्वनर थे। आरबीआई ने तर्क दिया था कि भारत में एक मुद्रा (रुपया) चलती है। इसलिए संभव नहीं कि दूसरी मुद्रा चलन में लाई जाए। ब्रह्मचारी गिरीश जी महाराज कहते हैं- अब दोबारा से ये मांग उठ रही है कि राम मुद्रा भारत में भी लागू हो। संस्था में जो वरिष्ठ लोग फाइनेंस का काम देखते हैं, वो सरकार से बात करेंगे। हम सरकार को इस मुद्रा की उपयोगिता बताएंगे। ये एक डेवलपमेंट करेंसी है, जो फिक्स टाइम के लिए होती है। हॉलैंड में संस्था का हेडक्वार्टर, 160 अरब से ज्यादा की संपत्ति विश्व शांति का वैश्विक देश यानी ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस (GCWP)। अक्टूबर, 2000 में ये संस्था महर्षि महेश योगी ने शुरू की थी। 12 जनवरी, 1918 को छत्तीसगढ़ में राजिम शहर के पास पांडुका गांव में जन्मे महर्षि महेश योगी का मूल नाम महेश प्रसाद था। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। 13 साल तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की। शंकराचार्य की मौजूदगी में महर्षि महेश योगी ने रामेश्वरम में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी। हिमालय क्षेत्र में दो साल का मौन व्रत रखा। साल,1955 में उन्होंने ट्रेसडेंशन मेडिटेशन (TM) की शिक्षा देनी शुरू की। 1957 में उन्होंने TM आंदोलन शुरू किया, जो पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुआ। 1990 में महर्षि महेश योगी ने हॉलैंड में अपना मुख्यालय बनाया और स्थायी रूप से वहीं बस गए। दुनियाभर में इनकी संस्थाओं के 70 लाख से ज्यादा अनुयायी हैं। 5 फरवरी, 2008 को उनका निधन हो गया था। महर्षि महेश योगी का एक आश्रम प्रयागराज के अरैल में है, जो करीब 100 एकड़ में फैला है। ये आश्रम खुद महर्षि योगी ने स्थापित किया था। कहा जाता है, महर्षि योगी दुनिया के सबसे रईस आध्यात्मिक गुरु थे। 2008 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, इस संस्था के पास दुनियाभर में 160 अरब रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। एक राम मुद्रा की कीमत 10 अमेरिकी डॉलर महर्षि योगी की संस्था ग्लोबल कंट्री ऑफ वर्ल्ड पीस ने अक्टूबर, 2002 में अपनी संस्था की एक मुद्रा भी जारी की। राम नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले 1, 5 और 10 के नोट हैं। इन नोटों पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की फोटो लगी है। नोटों पर रामराज्य मुद्रा लिखा है। इस मुद्रा पर कामधेनु गाय के साथ कल्पवृक्ष की तस्वीर भी बनी है। अमेरिका के मध्य पश्चिमी भाग में स्थित आयोवा राज्य की ‘महर्षि वैदिक सिटी’ में इस संस्था ने ये नोट बांटे थे। फिर ऐसे ही नोट नीदरलैंड में भी बांटे गए। कागज की एक राम मुद्रा की कीमत 10 अमेरिकी डॉलर तय की गई। इस रेट से कोई भी शख्स राम मुद्रा को खरीद सकता है। अमेरिका के 35 शहरों में राम पर आधारित बॉन्ड भी चलते हैं। नीदरलैंड की डच दुकानों में एक राम मुद्रा के बदले 10 यूरो मिल सकते हैं। हालांकि एक पुरानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नीदरलैंड के सरकारी बैंक ने बताया था कि राम मुद्रा को कभी लीगल टेंडर (आधिकारिक मुद्रा) घोषित नहीं किया गया। वो सिर्फ एक कागज का टुकड़ा था, जिसकी कुछ कीमत तय की गई थी। उसे लोग श्रम या उत्पाद के बदले एक-दूसरे को देते-लेते थे। -------------------------------- यह खबर भी पढ़ें प्रेमानंद महाराज का संदेश- हमारी कोई दूसरी ब्रांच नहीं, कंठी-माला नहीं बेचते, सत्संग भी फ्री; 7 पॉइंट में एडवाइजरी जारी की 'हम कंठी-माला, पूजा-श्रृंगार नहीं बेचते हैं। हमारे आश्रम में सत्संग फ्री है। आप लोग किसी तरह के फ्रॉड से बचें। आश्रम के नाम पर कुछ लोग व्यवसाय कर रहे हैं, उनसे बचें।' यह कहना है संत प्रेमानंद महाराज के ट्रस्ट श्री हित राधा केली कुंज का। दरअसल, प्रेमानंद महाराज की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ़ी है। कहा जा रहा है कि ऐसे में कई लोग उनके नाम पर दुकानें चला रहे हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर

Feb 15, 2025 - 04:59
 55  501822
महाकुंभ से उठी मांग- भारत में भी चले राम मुद्रा:30 देशों में चली थी, महेश योगी की संस्था ने शुरू की थी
हिंदू राष्ट्र और सनातन बोर्ड के बाद महाकुंभ से एक और बड़ी मांग उठी है। कहा जा रहा है कि भारत में भगव
महाकुंभ से उठी मांग- भारत में भी चले राम मुद्रा:30 देशों में चली थी, महेश योगी की संस्था ने शुरू की थी News by indiatwoday.com हमें भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में गहरी रुचि है, और हाल ही में महाकुंभ में राम मुद्रा की मांग ने इस परंपरा को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। महाकुंभ, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है, भारतीय धर्म और संस्कृति का एक बड़ा आयोजन है। इस बार महाकुंभ में 'राम मुद्रा' की मांग उठी है, जो कि 30 देशों में पहले ही लागू की जा चुकी है। इस मुहिम को महेश योगी की संस्था ने शुरुआत दी थी, जो सामाजिक और आर्थिक समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है।

राम मुद्रा क्या है?

राम मुद्रा एक विशेष डिजिटल मुद्रा है, जिसका उद्देश्य धार्मिक आस्थाओं को प्रोत्साहित करना और भारतीय जनता को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस मुद्रा के माध्यम से लोग धार्मिक दान कर सकते हैं और अन्यों की मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही, व्यापारियों के लिए यह एक प्रभावशाली साधन है, जिससे वे अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं।

महाकुंभ और इसकी महत्ता

महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है, जहां दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके आयोजन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होता है। इस दौरान, अगर राम मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे दान और व्यापार के क्षेत्र में भी नया आयाम जुड़ सकता है।

महेश योगी की संस्था का योगदान

महेश योगी की संस्था ने राम मुद्रा के विचार को आगे बढ़ाने का काम किया है। यह संस्था समाज के विभिन्न वर्गों को सशक्त बनाती है और सामाजिक कार्यों में सहायता करती है। उनकी कल्याणकारी योजनाएं अनेक देशों में सफलतापूर्वक लागू हो चुकी हैं।

निष्कर्ष

महाकुंभ में राम मुद्रा की मांग उस परिवर्तन का प्रतीक है, जिसकी आवश्यकता आज के डिजिटल युग में है। यह हमारी संस्कृति और धर्म को एक नई दिशा दे सकता है। सरकार और अन्य संबंधित संस्थाओं को इस पहल का समर्थन करना चाहिए ताकि हमारे देश में भी यह मुद्रा सफल हो सके। Keywords: महाकुंभ 2023, राम मुद्रा, महेश योगी संस्था, डिजिटल मुद्रा, भारतीय संस्कृति, धार्मिक दान, वित्तीय सहायता, भारतीय अर्थव्यवस्था, महाकुंभ का महत्व, 30 देश, social empowerment, economic prosperity, religious beliefs.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow