लखनऊ में कुम्भ महाकुम्भ नाटक का मंचन:उन्नाव के एक छोटे गांव की कहानी ने दिया सामाजिक सौहार्द का संदेश

लखनऊ के गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में कुम्भ महाकुम्भ नाटक का मंचन किया गया। निर्देशन फिल्म अभिनेता और रंगकर्मी महेश चंद्र देवा ने किया, जबकि कथा लेखन किरन लता ने किया। उन्नाव के एक छोटे से गाँव के कहानी उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक निदेशालय के सहयोग से मदर सेवा संस्थान ने कार्यक्रम का आयोजन किया। नाटक की कहानी उप्र के उन्नाव जिले के एक छोटे से गाँव रामपुर की है। गाँव के जीवन को चित्रित किया गया। यहां एक ठंडी रात में बैजू ने इलियास खान की कबीरपंथी गीत 'झीनी झीनी बिनी चदरिया' गा रहे होते हैं। इस दौरान गाँव के सरपंच मोहम्मद अमन और उनके साथी गीत का आनंद लेते हैं। बैजू के जाने के बाद, सरपंच के पोते-पोतियां गोलू ख़ुशी और गुड़िया शिखा वाल्मीकि कुम्भ मेले के बारे में सवाल करते हैं। गाँव के बुजुर्ग मनोहर कृष्णा सिंह बच्चों को समुद्र मंथन की कहानी सुनाते हैं। बच्चों की जिज्ञासा को देखते हुए, सरपंच उन्हें कुम्भ मेले में ले जाने का वादा करते हैं। नाटक में गाँववालों के बीच खुशी, संघर्ष और आस्था को दर्शाया गया। संगीत और गायन में इलियास खान और ढोलक पर दिलीप त्रिवेदी और मंजीरा पर शावेश ने कमाल दिखाया। नाटक का सह लेखन हरी वर्मा और सह निर्देशन मोहम्मद अमन ने किया l नाटक में अन्य कलाकार श्रीकांत गौतम, शिखा, पूर्णिमा सिद्धार्थ, श्लोक वाल्मीकि, पलक, पिंकी कनौजिया, सुमित कनौजिया, तनु कश्यप, विकास राजपूत, संतोषी, आदिर्रका उमराव के साथ अन्य कलाकारों ने भाग लिया।

Nov 26, 2024 - 14:55
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लखनऊ में कुम्भ महाकुम्भ नाटक का मंचन:उन्नाव के एक छोटे गांव की कहानी ने दिया सामाजिक सौहार्द का संदेश
लखनऊ के गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में कुम्भ महाकुम्भ नाटक का मंचन किया गया। निर्देशन फिल्म अभिनेता और रंगकर्मी महेश चंद्र देवा ने किया, जबकि कथा लेखन किरन लता ने किया। उन्नाव के एक छोटे से गाँव के कहानी उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक निदेशालय के सहयोग से मदर सेवा संस्थान ने कार्यक्रम का आयोजन किया। नाटक की कहानी उप्र के उन्नाव जिले के एक छोटे से गाँव रामपुर की है। गाँव के जीवन को चित्रित किया गया। यहां एक ठंडी रात में बैजू ने इलियास खान की कबीरपंथी गीत 'झीनी झीनी बिनी चदरिया' गा रहे होते हैं। इस दौरान गाँव के सरपंच मोहम्मद अमन और उनके साथी गीत का आनंद लेते हैं। बैजू के जाने के बाद, सरपंच के पोते-पोतियां गोलू ख़ुशी और गुड़िया शिखा वाल्मीकि कुम्भ मेले के बारे में सवाल करते हैं। गाँव के बुजुर्ग मनोहर कृष्णा सिंह बच्चों को समुद्र मंथन की कहानी सुनाते हैं। बच्चों की जिज्ञासा को देखते हुए, सरपंच उन्हें कुम्भ मेले में ले जाने का वादा करते हैं। नाटक में गाँववालों के बीच खुशी, संघर्ष और आस्था को दर्शाया गया। संगीत और गायन में इलियास खान और ढोलक पर दिलीप त्रिवेदी और मंजीरा पर शावेश ने कमाल दिखाया। नाटक का सह लेखन हरी वर्मा और सह निर्देशन मोहम्मद अमन ने किया l नाटक में अन्य कलाकार श्रीकांत गौतम, शिखा, पूर्णिमा सिद्धार्थ, श्लोक वाल्मीकि, पलक, पिंकी कनौजिया, सुमित कनौजिया, तनु कश्यप, विकास राजपूत, संतोषी, आदिर्रका उमराव के साथ अन्य कलाकारों ने भाग लिया।

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