व्हाइट हाउस बोला- मस्क आधिकारिक फैसले नहीं ले सकते:उनकी जिम्मेदारी सिर्फ राष्ट्रपति को सलाह देना, वे सरकारी कर्मचारी नहीं
अमेरिका में राष्ट्रपति ऑफिस व्हाइट हाउस ने एक कोर्ट में जवाब दिया कि अमेरिकी बिजनेसमैन इलॉन मस्क सिर्फ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सलाहकार हैं। वे डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DoGE) के एम्पलॉयी नहीं हैं, इसलिए उनके पास सरकार के अंदर फैसले लेने का अधिकार नहीं है। दरअसल, न्यू मेक्सिको की अगुआई में 14 अमेरिका राज्यों ने वॉशिंगटन डीसी के एक फेडरल कोर्ट में ट्रम्प और मस्क के खिलाफ केस किया है। ये राज्य इलॉन मस्क को DoGE प्रमुख बनाए जाने से नाराज हैं। राज्यों के मुताबिक, इलॉन के हाथ में बड़ी ताकत आ गई है, जो अमेरिकी संविधान के उल्लंघन में है। इस केस को लेकर व्हाइट हाउस में ऑफिस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के डायरेक्टर जॉशुआ फिशर ने कोर्ट में जानकारी दी कि मस्क की भूमिका सिर्फ सलाहकार की है। उनका काम सिर्फ राष्ट्रपति को सलाह देना और प्रशासन की तरफ से निर्देशों को कर्मचारियों तक पहुंचाने का है। मस्क को ऐसी ताकत मिलना संविधान के लिए खतरा इस मुकदमे में कहा गया है कि सरकारी वर्कफोर्स को हटाने और एक ही बार में पूरे के पूरे डिपार्टमेंट को खत्म कर देने की जो असीमित ताकत राष्ट्रपति ट्रम्प से मस्क को मिली है, वो उन लोगों के लिए बेहद चौंकाने वाली होती जिन्होंने इस देश को आजादी दिलाई। मुकदमे में कहा गया है, लोकतंत्र को इससे बड़ा खतरा नहीं हो सकता कि देश की पूरी ताकत एक शख्स के हाथ में आ जाए जाए, जिसे चुना भी नहीं गया है। राष्ट्रपति को फेडरल एजेंसियां खत्म करने का अधिकार नहीं मुकदमे में ये भी कहा गया कि संविधान का अपॉइंटमेंट क्लॉज कहता है कि मस्क जैसी अथॉरिटी पाने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति औपचारिक तौर पर नॉमिनेट करें और सीनेट उस पर मुहर लगाए। संविधान अमेरिकी राष्ट्रपति को यह अधिकार नहीं देता है कि वे कार्यपालिका के स्ट्रक्चर और सरकारी खर्चों से जुड़े मौजूदा कानूनों में बदलाव करें। लिहाजा देश के राष्ट्रपति को नई फेडरल एजेंसियां बनाने या किसी एजेंसी को खत्म करने का अधिकार नहीं है। राज्यों की मांग- मस्क के एक्शन को गैर-कानूनी करार दें इन राज्यों ने कहा है कि मस्क व्हाइट हाउस के लिए एडवाइजर से कहीं ज्यादा है। उन्होंने कम से कम 17 फेडरल एजेंसियों में दखल दे दिया है। राज्यों ने मांग की है कि मस्क ने अब तक अधिकारियों के स्तर पर सरकार में जो भी एक्शन लिए हैं, उन्हें गैर-कानूनी करार कर दिया जाए। DoGE प्रमुख बनने के बाद मस्क के ऊपर ये दूसरा मुकदमा यह DoGE प्रमुख बनाए जाने के बाद मस्क के खिलाफ दाखिल किया गया दूसरा केस है। इससे पहले मैरीलैंड के फेडरल कोर्ट में भी संविधान के उल्लंघन का दावा करते हुए उन पर एक केस दर्ज किया गया था। चुनाव जीतने के बाद ट्रम्प ने किया था DoGE बनाने का ऐलान नवंबर में चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DoGE) नाम से एक नया विभाग बनाने का ऐलान किया था, जो सरकार को बाहर से सलाह देगा। डोनाल्ड ट्रम्प ने इसकी कमान इलॉन मस्क और भारतवंशी बिजनेसमैन विवेक रामास्वामी को सौंपी थी। बाद में विवेक रामास्वामी को इससे हटा दिया गया।

व्हाइट हाउस बोला- मस्क आधिकारिक फैसले नहीं ले सकते
हाल ही में व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि एलन मस्क, जो एक प्रमुख उद्यमी और टेक्नोलॉजी के लिए मशहूर हैं, आधिकारिक सरकारी फैसले लेने की स्थिति में नहीं हैं। व्हाइट हाउस का यह बयान उस समय सामने आया जब मस्क की गतिविधियों और बयानों ने कई बार विवाद उत्पन्न किए हैं। इस स्थिति में, व्हाइट हाउस का कहना है कि मस्क की जिम्मेदारी केवल राष्ट्रपति को सलाह देना है और वे किसी भी तरह के सरकारी कर्मचारी नहीं हैं।
मस्क की भूमिका को समझना
व्हाइट हाउस ने यह भी स्पष्ट किया कि मस्क की सलाह लेने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें सरकारी फैसले लेने का अधिकार है। मस्क, जो स्पेसएक्स और टेस्ला जैसी कंपनियों के创立者 हैं, अपनी सलाह और इनोवेशन के लिए जाने जाते हैं, लेकिन सरकारी नीतियों पर उनका प्रभाव सीमित है।
फैसले और सलाह की प्रवृत्ति
जब सरकारी नीतियों की बात आती है, तो यह महत्वपूर्ण है कि केवल विश्वसनीय सरकारी अधिकारी ही निर्णय लें। मस्क जैसे व्यक्तियों का योगदान सलाह देने में होता है, लेकिन यह निर्णय लेने में नहीं। यह स्थिति लोकतंत्र की मूलभूत संरचना के तहत आती है, जहां निर्णय राजनीतिक रूप से चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा लिए जाते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
यदि हम भविष्य में देखे, तो मस्क जैसे प्रौद्योगिकी नेताओं को सलाह देने की भूमिका और महत्वपूर्ण होने की संभावना है। लेकिन यह भी जरूरी है कि उनका प्रभाव और भूमिका स्पष्ट रूप से सीमित रहे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं सही दिशा में चलती रहें, व्हाइट हाउस की यह स्पष्टता आवश्यक है।
इस प्रकार, मस्क की स्थिति को लेकर व्हाइट हाउस का यह बयान सिर्फ एक स्पष्टीकरण नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण संकेत है कि निजी क्षेत्र के नेताओं का सरकारी नीतियों में कितना स्थान होना चाहिए।
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