श्मशान घाट पर फहराया गया तिरंगा:डोम समाज ने मनाया गणतंत्र दिवस, संविधान और देश के प्रति जताई प्रतिबद्धता
गाजीपुर में 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक अनूठी पहल देखने को मिली। मित्रसेन प्रधान अंत्येष्टि स्थल पर सभूति राज डोम ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस दौरान 'जय संविधान, जय जवान, जय किसान' के नारे गूंजे और ढोल-नगाड़ों की थाप ने माहौल को देशभक्ति से सराबोर कर दिया। संविधान के महत्व पर प्रकाश कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पूर्व प्रधान अविनाश प्रधान ने संविधान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संविधान ने समाज में व्याप्त अस्पृश्यता को समाप्त कर सभी को समान अधिकार प्रदान किए हैं। साथ ही उन्होंने मां गंगा की स्वच्छता पर भी जोर दिया। पर्यावरण संरक्षण में योगदान श्मशान घाट के योगदान का जिक्र करते हुए बताया गया कि अब तक दस हजार से अधिक शवों को गंगा में प्रवाहित होने से रोका गया है। यह स्थल न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं को अंतिम संस्कार की सुविधा भी प्रदान कर रहा है। कार्यक्रम में शामिल लोग कार्यक्रम में ओम प्रकाश, सुवाष, पौवा, सुरेश, धीरज यादव समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। सुनील प्रधान लालू ने कार्यक्रम का संचालन किया और ग्राम प्रधान सुनीता गिरि द्वारा भेजे गए मिठाई के वितरण के साथ समारोह का समापन हुआ।

श्मशान घाट पर फहराया गया तिरंगा: डोम समाज ने मनाया गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस की पवित्रता और महत्व
हर साल 26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, जो भारतीय संविधान के लागू होने का प्रतीक है। यह दिन न केवल राष्ट्रीयता और सामूहिकता का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे देश की स्वतंत्रता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इस वर्ष, डोम समाज ने विशेष रूप से श्मशान घाट पर तिरंगा फहराया, जो उनके अडिग समर्पण और संविधान के प्रति उनकी निष्ठा को प्रदर्शित करता है।
डोम समाज की पहल
डोम समाज ने इस विशेष अवसर पर श्मशान घाट पर तिरंगा फहराने का आयोजन किया, जिसमें सभी ने एकजुट होकर देशभक्ति का जश्न मनाया। इस आयोजन के माध्यम से उन्होंने यह संदेश दिया कि हर वर्ग और समुदाय को अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए। यह एक समर्पित प्रयास है जो समाज में समानता और एकता की भावना को बढ़ावा देता है।
संविधान और देश के प्रति प्रतिबद्धता
डोम समाज के सदस्यों ने संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह हमें एकजुट होने, समानता का सम्मान करने और सभी के अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है। इस तरह के आयोजनों से यह सुनिश्चित किया जाता है कि आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूक किया जाए।
निष्कर्ष
श्मशान घाट पर तिरंगा फहराकर डोम समाज ने सभी को प्रेरित किया है कि हम सभी को अपने देश और संविधान के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करता है। आने वाले वर्षों में इस तरह के आयोजनों की आवश्यकता और भी अधिक बढ़ जाएगी ताकि हम एक सशक्त और समर्पित समाज का निर्माण कर सकें।
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