संगीत सोम की याचिका पर संशोधन को लेकर सुनवाई पूरी:भाजपा नेता को सपा विधायक अतुल प्रधान को देना पड़ा 5 हजार रुपये हर्जाना

भाजपा नेता संगीत सिंह सोम की चुनाव याचिका में संशोधन को लेकर सुनवाई पूरी हो गई है। हाई कोर्ट ने याचिका दाखिल करने में लापरवाही बरतने पर संगीत सोम पर पांच हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया था। इसे अदा करने के बाद कोर्ट ने संशोधन पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट के आदेश पर संशोधन अर्जी के एवज मे सोम ने सपा विधायक अतुल प्रधान को 5,000 रुपए हर्जाना अदा किया, जिसे अतुल प्रधान के अधिवक्ता ने विरोध के साथ स्वीकार किया। संगीत सोम ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सरधना सीट से अतुल प्रधान के निर्वाचन के खिलाफ चुनाव याचिका दाखिल किया था। बाद में उन्होंने टाइपिंग मिस्टेक का हवाला देकर संशोधन मांगा, जिसमें 'मेरठ' की जगह 'मुजफ्फरनगर' लिखा जाना बताया था। विपक्षी वकील ने देरी को आधार बनाकर आपत्ति दर्ज की थी, जिस पर कोर्ट ने याची की लापरवाही मानते हुए हर्जाना लगाया था।

May 25, 2025 - 00:27
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संगीत सोम की याचिका पर संशोधन को लेकर सुनवाई पूरी:भाजपा नेता को सपा विधायक अतुल प्रधान को देना पड़ा 5 हजार रुपये हर्जाना
भाजपा नेता संगीत सिंह सोम की चुनाव याचिका में संशोधन को लेकर सुनवाई पूरी हो गई है। हाई कोर्ट ने या

संगीत सोम की याचिका पर संशोधन को लेकर सुनवाई पूरी: भाजपा नेता को सपा विधायक अतुल प्रधान को देना पड़ा 5 हजार रुपये हर्जाना

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भाजपा नेता संगीत सिंह सोम की चुनाव याचिका में संशोधन को लेकर सुनवाई पूरी हो गई है। हाल ही में उत्तर प्रदेश की हाई कोर्ट ने याचिका दाखिल करने में लापरवाही बरतने पर संगीत सोम पर पांच हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, सोम को यह राशि अदा करने का निर्देश दिया। अदालत के आदेशानुसार, सुनवाई के बाद सोम ने सपा विधायक अतुल प्रधान को 5,000 रुपये का हर्जाना अदा किया, जिसे अतुल प्रधान के अधिवक्ता ने आपत्ति के साथ स्वीकार किया।

सुनवाई का विवरण

इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ द्वारा की गई। सोम ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सरधना सीट से अतुल प्रधान के निर्वाचन के खिलाफ चुनाव याचिका दाखिल की थी। प्रारंभ में, सोम ने एक टाइपिंग मिस्टेक का हवाला देकर संशोधन मांगा था, जिसमें 'मेरठ' की जगह 'मुजफ्फरनगर' लिखा जाना बताया गया। यह त्रुटि मामले की जटिलताओं को बढ़ाने का कारण बनी।

लीगल पॉलिसी और अदालतीं नजरिया

विपक्षी वकील ने इस मामले में देरी को आधार बनाकर आपत्ति दर्ज की थी, जिस पर अदालत ने याचिका दाखिल करने में सोम की लापरवाही मानते हुए हर्जाना लगाया। इससे यह स्पष्ट होता है कि अदालत आमतौर पर मामलों को समय पर निपटाने पर जोर देती है। यह निर्णय निश्चित रूप से आगामी चुनावी प्रक्रियाओं में एक मिसाल प्रदान करेगा।

अवसर और चुनौती

संगीत सोम का यह मामला न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इससे यह सीखने को मिलता है कि चुनावी प्रक्रिया में लापरवाही के परिणाम गंभीर हो सकते हैं। भाजपा और सपा के बीच सत्ता संघर्ष में, यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि विधायकों और नेताओं को ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि उनकी किसी भी प्रकार की गलती उन्हें नुकसान न पहुंचे।

भविष्य की संभावनाएँ

भविष्य में इस प्रकार के मामलों में सुधार के लिए आदर्श प्रक्रिया बनाने की आवश्यकता है। समय पर दायर की गई याचिकाएं और सही जानकारी को आगे बढ़ाना, न्यायिक प्रक्रिया की अखंडता को बरकरार रखने में मदद करेगा। इस मामले में आए निर्णयों का असर आने वाले चुनावों में भी दृष्टिगत हो सकता है।

निष्कर्ष

संगीत सोम की याचिका पर संशोधन को लेकर यह सुनवाई एक महत्वपूर्ण स्थिति है जो राजनीतिक और न्यायिक दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। समय रहते सुधार करके, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे।

संगीत सोम के मामले जैसे मामलों पर नजर रखना अत्यंत आवश्यक है, ताकि सभी नेताओं को एक मजबूत संदेश मिल सके कि कानून की धाराएँ सभी के लिए समान हैं। अब देखना यह होगा कि इस मामले के बाद न्यायालय भविष्य में इस प्रकार के मामलों को कैसे संभालता है।

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