बांग्लादेश में सेना ने गश्त बढ़ाई:बख्तरबंद गाड़ियों से घूम रहे सैनिक; पिछले महीने 2 हजार से ज्यादा लोग हिरासत में लिए

बांग्लादेश में सेना ने लगातार गश्त बढ़ा रही है। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक सेना ने पिछले कुछ दिनों में अपने अभियानों में तेजी की है। इसमें कहा गया है कि सेना ने देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनाती बढ़ा दी है। सैन्यकर्मी बख्तरबंद गाड़ियों के साथ देशभर में सक्रिय नजर आ रहे हैं। सेना ने एजेंसियों के साथ मिलकर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पिछले महीने 2 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। सेना पिछले साल अपनी तैनाती के बाद से अब तक 10 हजार से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले चुकी है। यूनुस बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार बने रहेंगे बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उथल पुथल के बीच सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे। इससे पहले माना जा रहा था कि वो राजनीतिक और सैन्य दबाव के चलते इस्तीफा दे सकते हैं। मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद प्लानिंग एडवाइजर वाहिदुद्दीन महमूद ने कहा- मोहम्मद यूनुस हमारे साथ बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम लोगों को भी नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। न्यूज एजेंसी यूएनबी के मुताबिक सलाहकार परिषद की एक बैठक के बाद जल्द मंत्रियों के साथ बैठक होगी। वहीं, सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने स्पष्ट रूप से दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया है। दूसरी ओर, विपक्षी दल BNP और जमात-ए-इस्लामी के बीच चुनाव को लेकर चर्चा और सड़कों पर संघर्ष की रणनीतियां बन रही हैं। छात्र संगठन बोले थे- न्याय नहीं मिला तो लोकतंत्र मजाक बन जाएगा नेशनल सिटिजन पार्टी (NSP), जमात-ए-इस्लामी के स्टूडेंट विंग छात्र शिबिर और वामपंथी छात्र संगठनों ने एकमत होकर कहा है कि जब तक पिछली सरकार के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं की निष्पक्ष जांच नहीं होती, चुनाव का कोई मतलब नहीं। एनसीपी के छात्र नेता नाहिद इस्लाम का कहना है कि अगर देश के सभी वर्ग इस तरह असहयोग करेंगे तो डॉ. यूनुस इस्तीफा दे देंगे। हमने उनसे अनुरोध किया है कि वे इस्तीफा न दें, लेकिन चुनाव से पहले न्याय जरूरी है। BNP बोली- बिना चुनाव कोई भी सरकार अवैध पूर्व पीएम खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने डॉ. यूनुस की सरकार से तुरंत चुनाव रोडमैप की मांग की है। पार्टी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि रोडमैप के बिना वर्तमान सरकार का समर्थन संभव नहीं है। सूत्रों के अनुसार, बीते सप्ताह BNP और जमात-ए-इस्लामी के बीच 4 बैठकें हुई हैं, जिनमें आंदोलन की रणनीति पर चर्चा हुई। सेना के दबाव में डॉ. यूनुस के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई हैं। वहीं चर्चा है कि वे चुनाव कराए बिना राजनीतिक दलों से बातचीत कर फिर से एक राष्ट्रीय सरकार बनाने की कोशिश कर सकते हैं। BNP ने स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव के बिना किसी भी राष्ट्रीय सरकार को वह वैध नहीं मानेगी। खालिदा जिया ने भी दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की BNP ने भी यूनुस पर दबाव बढ़ाते हुए दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द चुनावी रोडमैप तैयार कर इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं करती, तो उनका सरकार के साथ सहयोग जारी रखना मुश्किल हो जाएगा। अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने अब तक चुनावों को जनवरी-जून 2026 के बीच कराने की बात कही है। सेना इसे दिसंबर 2025 से आगे खींचने को लेकर नाराज है। इसके चलते आगे टकराव तेज हो सकते हैं।यूनुस के अलावा कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी भी चुनाव टालने के पक्ष में हैं। सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि सरकार को पांच साल तक बने रहने की उम्मीद थी, जिसे सेना-छात्रों के दबाव ने गंभीर संकट में डाल दिया है। गृह मंत्रालय के सलाहकार भी कह चुके हैं कि जनता चाहती है कि यह सरकार पांच साल तक बनी रहे।सैन्य अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी रही, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। -------------------------------------- बांग्लादेश से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें.... म्यांमार को तोड़ अलग स्टेट बनाना चाहते हैं बांग्लादेशी नेता, आजाद रोहिंग्या स्टेट के लिए चीन से मदद मांगी बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी पार्टी के नेताओं ढाका में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के नेताओं के साथ बैठक में म्यांमार के रोहिंग्या बहुल इलाके में एक आजाद रोहिंग्या स्टेट बनाने का प्रस्ताव रखा था। जमात के नेताओं ने यह प्रस्ताव 27 अप्रैल को दिया था। एक्सपर्ट ने आशंका जताई है कि अगर इस प्रस्ताव पर सहमति बन जाती है तो इससे भारत के सित्तवे पोर्ट को खतरा हो सकता है। पूरी खबर पढ़ें...

May 25, 2025 - 09:27
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बांग्लादेश में सेना ने गश्त बढ़ाई: बख्तरबंद गाड़ियों से घूम रहे सैनिक; पिछले महीने 2 हजार से ज्यादा लोग हिरासत में लिए

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लेखक: प्रिया शर्मा, सुषमा देवी, टीम इंडिया ट्वोडे

परिचय

बांग्लादेश में सुरक्षा हालात को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, बांग्लादेश सेना ने देशभर में अपनी गश्त को तेज कर दिया है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में सेना ने बख्तरबंद गाड़ियों के साथ शहरों और गांवों में तैनाती बढ़ा दी है। इसके चलते कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पिछले महीने 2 हजार से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।

गश्त की बढ़ती गतिविधियाँ

सुरक्षा बलों द्वारा उचित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा तैनाती का यह निर्णय रक्षा मंत्रालय द्वारा लिया गया है। सुरक्षा बल बख्तरबंद गाड़ियों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में गश्त कर रहे हैं। सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, पिछले महीने में हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या 2000 को पार कर गई है। इन गिरफ्तारियों को एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय के रूप में देखा जा रहा है, जो कि राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

सरकार का नेतृत्व और आलोचनाएँ

इस बीच, बांग्लादेश की सरकार के मुख्य सलाहकार, मोहम्मद यूनुस, हाल के राजनीतिक और सैन्य दबावों के बावजूद अपने पद पर बने रहने की पुष्टि कर चुके हैं। यूनुस ने कुछ महत्वपूर्ण बैठकें बुलाई हैं, जिसमें उन्होंने आगे की रणनीतियों और चुनावों को लेकर चर्चा की है। हालांकि, उनकी सरकार पर विपक्षी दल BNP और जमात-ए-इस्लामी का दबाव बढ़ता जा रहा है, जो चुनावों को टालने के आरोप लगाते हैं।

विपक्ष का प्रतिक्रिया

भूतपूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की अगुवाई में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने चुनावी रोडमैप की मांग की है। उनकी मांग है कि अगर सरकार जल्द चुनाव का ऐलान नहीं करती, तो वे सहयोग जारी रखना मुश्किल समझेंगे। वहीं, छात्र संगठनों का भी इस मुद्दे पर सामान विचार है, जो न्याय की मांग कर रहे हैं।

भविष्य की राजनीति

बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है, और राजनीतिक दलों के बीच बढ़ते तनाव ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। सेना प्रमुख ने दिसम्बर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया है, जो आने वाले समय में टकराव की सम्भावना को बढ़ाता है।

समापन

बांग्लादेश में सेना की बढ़ती गश्त और गिरफ्तारी की संख्या से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा बल अपनी कार्रवाई को तेज कर रहे हैं। इस बढ़ते दबाव के संदर्भ में, सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है जिससे कि राजनीतिक स्थिरता को बनाए रखा जा सके। यदि चुनावों का ऐलान जल्द नहीं होता है, तो आने वाले दिनों में राजनीतिक संकट गहरा हो सकता है।

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