संभल के किसान को 16 साल बाद मिला न्याय:जानलेवा हमले के तीन सगे भाईयों को 10-10 साल की जेल

संभल के किसान को 16 साल के बाद न्याय मिला है। किसान के साथ मारपीट करने वाले तीन सगे भाइयों को न्यायालय ने 10-10 साल की जेल और 35-35 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। बाजरे के खेत में पशुओं को छोड़ने पर खेत मालिक ने विरोध किया था जिस पर सगे भाइयों ने उसे लाठी-डंडों से पीटकर घायल किया था। उक्त पूरा मामला जनपद संभल के थाना हयातनगर क्षेत्र के गांव लहरशीश से जुड़ा है। मुरादाबाद की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या 13 जितेंद्र सिंह की अदालत ने 16 साल पुराने मामले में सुनवाई करने के बाद महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। गांव निवासी किसान गामा सिंह को गांव के तीन सगे भाइयों मलखान, महीपाल एवं हरदेव ने लाठी-डंडों से पीटा था और फरसा और कुल्हाड़ी मारकर उसे गंभीर रूप से घायल किया था। पूरा मामला 31 अगस्त 2008 का है मामला 31 अगस्त 2008 का है, गामा सिंह के खेत में गांव के मलखान ने अपने पशु छोड़ दिए थे जिसकी वजह से बाजरे की फसल खराब हो गई थी, किस गामा सिंह ने इसका विरोध किया था। न्यायालय ने 16 साल बाद किसान गामा सिंह को न्याय देते हुए उसके साथ मारपीट करने वाले सेज तीन भाइयों मलखान, हरदेव और महीपाल को 10-10 साल कैद की सजा के अलावा 35-35 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।

Jan 7, 2025 - 15:10
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संभल के किसान को 16 साल बाद मिला न्याय:जानलेवा हमले के तीन सगे भाईयों को 10-10 साल की जेल
संभल के किसान को 16 साल के बाद न्याय मिला है। किसान के साथ मारपीट करने वाले तीन सगे भाइयों को न्याया

संभल के किसान को 16 साल बाद मिला न्याय

News by indiatwoday.com

जानलेवा हमले के तीन सगे भाईयों को 10-10 साल की जेल

संभल जिले के एक किसान को 16 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार न्याय मिला है। स्थानीय अदालत ने उस जानलेवा हमले के मामले में तीन सगे भाईयों को 10-10 साल की सजा सुनाई है, जिसमें किसान को गंभीर चोटें आई थीं। यह मामला वर्ष 2007 में घटित हुआ था, जब किसान पर हमला किया गया था, जिसके बाद उसने न्याय की तलाश शुरू की।

इस मामले की सुनवाई के दौरान कई गवाहों के बयान दर्ज किए गए और आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत प्रस्तुत किए गए। अंततः, न्यायालय ने सबूतों के आधार पर सजा सुनाई, जिससे पीड़ित किसान के परिवार ने राहत की सांस ली।

किसान की बहादुरी और संघर्ष

किसान ने 16 वर्षों तक खुद को भले ही थका हुआ महसूस किया, लेकिन अपनी हार नहीं मानी। परिवार की आर्थिक स्थिति से जूझते हुए, उन्होंने न्यायालय की प्रक्रिया में अपने अधिकारों का रक्षक बनकर काम किया। इस मामले ने स्थानीय समुदाय में भी बड़ा प्रभाव डाला है, जहां किसानों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।

न्याय का महत्व

इस मामले ने यह दर्शाया है कि न्याय मिलने में समय लग सकता है, लेकिन अंततः सच्चाई की जीत होती है। किसान की संघर्ष की कहानी न केवल उनके लिए, बल्कि समाज के सभी सदस्यों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अब स्थानीय किसान न्याय के प्रति अपनी उम्मीदें बढ़ाते हुए अधिक साहसिकता से अपने मामलों को सामने ला सकते हैं।

अंत में, यह न्याय का प्रतीक है कि अब भी अदालतें ऐसे मामलों में गंभीरता से विचार कर रही हैं और अपराधियों को उनके कृत्यों के लिए दंडित कर रही हैं।

समापन विचार

किसानों के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है कि उन्हें अपनी न्याय की लड़ाई में अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। इस प्रकार के मामलों को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि पीड़ितों को उनके अधिकारों और कानूनी मदद के बारे में जानकारी मिल सके। न्याय के इस सफर ने हमें यह सिखाया है कि धैर्य और साहस के साथ चलने पर हमेशा अंत में जीत मिलती है।

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