सूडान की सेना ने प्रेसिडेंशियल पैलेस पर दोबारा कब्जा किया:दो साल की जंग के बाद खार्तूम में पैरामिलिट्री फोर्सेस का आखिरी गढ़ भी जीता
सूडान की सेना ने शुक्रवार को बताया कि उसने खार्तूम में प्रेसिडेंशियल पैलेस को अपने कब्जे में ले लिया है। पैरामिलिट्री फोर्सेस के साथ चली आ रही जंग के करीब दो साल बाद सेना ने आखिरी गढ़ भी वापस जीत लिया है। सूडानी सैनिकों ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें वे बता रहे हैं कि रमजान के 21वें दिन उन्होंने नील नदी के किनारे बने राष्ट्रपति भवन को अपने कब्जे में ले लिया है। रमजान का 21वां दिन शुक्रवार है। वीडियो में एक सैनिक चिल्लाते हुए कहा- 'हम अंदर हैं! हम रिपब्लिकन पैलेस में हैं!' इस दौरान कई सैनिक उसके आसपास जश्न मनाते दिखते हैं। सूडान के सूचना मंत्री और सैन्य प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि ये महल दो सदियों से सूडान में सत्ता का प्रतीक रहा है, अब फिर से सरकारी नियंत्रण में आ गया है। यहां आज सूडान का झंडा फहराया गया है। जीत की यह यात्रा तब तक जारी रहेगी, जब तक पूरी तरह जीत नहीं मिल जाती है। रिपब्लिकन पैलेस जीतना सूडानी सेना की बड़ी जीत रिपब्लिकन पैलेस को फिर से अपने कब्जे में लेना सूडानी सेना के लिए एक बड़ी प्रतीकात्मक जीत है। अप्रैल 2023 में युद्ध शुरू होने के बाद सेना ने खार्तूम का अधिकांश हिस्सा R.S.F. के हाथों खो दिया था, जिससे वे केवल कुछ सैन्य अड्डों तक सीमित रह गए थे। यह जीत सूडानी सेना के उस अभियान को भी बल देती है, जिसके तहत वे खार्तूम से पूरी तरह अर्धसैनिक बलों को बाहर निकालने का प्रयास कर रहे हैं। छह महीने से जारी इस बड़े जवाबी हमले ने युद्ध का संतुलन सूडान के पूर्वी हिस्से में सेना के पक्ष में झुका दिया है। सूडान में 2 साल में 28 हजार से ज्यादा लोग मारे गए सूडान में लगभग दो साल से सेना और अर्धसैनिक बल के बीच संघर्ष चल रहा है। यह संघर्ष अप्रैल 2023 में तब शुरू हुआ था, जब सेना और RSF के लीडर्स के बीच सत्ता संघर्ष की लड़ाई छिड़ गई। पिछले दो साल में अब तक 28 हजार से अधिक लोग सूडान में मारे जा चुके हैं, जबकि लाखों लोगों को पलायन करना पड़ा है। सूडान के डॉक्टर सिंडिकेट ने RSF के हमले की निंदा की। उन्होंने कहा कि एक गोला अल-नव हॉस्पिटल से कुछ मीटर की दूरी पर गिरा था। उन्होंने कहा कि अस्पताल में ज्यादातर घायल महिला और बच्चे हैं। इनके इलाज के लिए हॉस्टिपल में पर्याप्त डॉक्टर और नर्स नहीं हैं। 5 पॉइंट्स में समझें सूडान में हिंसा की वजह… 1. सूडान में मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। 2019 में सूडान के तब के राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे। 2. अप्रैल 2019 में सेना ने राष्ट्रपति को हटाकर देश में तख्तापलट कर दिया। लेकिन फिर लोग लोकतांत्रिक शासन और सरकार में अपनी भूमिका की मांग करने लगे। 3. इसके बाद सूडान में एक जॉइंट सरकार को गठन हुआ, जिसमें देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों का रोल था। 2021 में यहां दोबारा तख्तापलट हुआ और सूडान में मिलिट्री रूल शुरू हो गया। 4. आर्मी चीफ जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति और RSF लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए। इसके बाद से RSF और सेना के बीच संघर्ष जारी है। 5. सिविलियन रूल लागू करने की डील को लेकर मिलिट्री और RSF आमने-सामने है। RSF सिविलियन रूल को 10 साल बाद लागू करना चाहती है जबकि आर्मी का कहना है कि ये 2 साल में ही लागू हो जाना चाहिए।

सूडान की सेना ने प्रेसिडेंशियल पैलेस पर दोबारा कब्जा किया
सूडान में जारी संघर्ष ने एक नया मोड़ लिया है, जब सेना ने प्रेसिडेंशियल पैलेस पर दोबारा कब्जा कर लिया। यह कदम दो साल की जंग के बाद लिया गया है, जिसमें खार्तूम में पैरामिलिट्री फोर्सेस का आखिरी गढ़ भी जीता गया। इस घटना ने क्षेत्र में स्थिरता के लिए नई चुनौतियाँ पेश की हैं।
पार्श्वभूमि: सूडान में संघर्ष का इतिहास
सूडान का संघर्ष लम्बे समय से चल रहा है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक कारक शामिल हैं। पिछले दो वर्षों में, सूडानी सेना और पैरामिलिट्री फोर्सेस के बीच कई बार टकराव हुआ है। इन टकरावों ने देश की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है।
प्रेसिडेंशियल पैलेस की महत्वता
प्रेसिडेंशियल पैलेस, जो सूडान की राजनीतिक सत्ता का केंद्र है, का नियंत्रण हासिल करना एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम है। यह केवल एक भौतिक विजय नहीं है, बल्कि यह समूहों के बीच शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। इस प्रकरण के परिणामस्वरूप, क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा।
स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
सूडान में इस नए विकास के प्रति स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कई देशों ने संघर्ष के समाप्त होने की अपील की है, जबकि कुछ ने सूडान सरकार के नए फैसलों का समर्थन किया है।
एक विशेषज्ञ के अनुसार, "इस विजय से सूडान की सेना की स्थिति मजबूत होगी, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जाए।" इस परिस्थिति में, मानवाधिकार संगठनों की गतिविधियाँ और बढ़ेंगी।
आगे की राह
भविष्य में, सूडान में स्थिरता लाने के लिए राजनीतिक संवाद और सहमति की आवश्यकता है। सभी पक्षों को इस दिशा में एक साथ काम करना होगा ताकि देश को एक नई राह दिखाई दे सके।
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