हिमाचल पेयजल घोटाले में अफसरों-ठेकेदारों पर FIR की तैयारी:विजिलेंस की SIU कल सरकार को सौंपेगी जांच रिपोर्ट; टेंडर आवंटन में भी गड़बड़ी मिली
हिमाचल प्रदेश के ठियोग में पेयजल घोटाले की प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है। ASP विजिलेंस नरवीर राठौर की अध्यक्षता में गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट (SIU) ने इसकी जांच के दौरान 123 लोगों के बयान कलमबद्ध किए है। विजिलेंस मुख्यालय में आज इसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अगले कल यह रिपोर्ट होम सेक्रेटरी को सौंपी जाएगी। इसके बाद सरकार के निर्देशों पर FIR होगी। पेयजल घोटाले में सरकार ने 2 एक्सिइन समेत 10 जेई को पहले ही सस्पेंड कर रखा है। अब इनकी भूमिका को देखा जा रहा है कि लापरवाही किस-किस अधिकारी के स्तर पर हुई है। जिस भी इंजीनियर की भूमिका मामले में संदिग्ध होगी, उन सब पर FIR होगी। अधिकारियों के साथ साथ पानी की सप्लाई करने वाले 4 ठेकेदारों भी लपेटे में आने वाले है। सूत्र बताते हैं कि ठेकेदारों पर भी FIR होगी। विजिलेंस ने प्रारंभिक जांच में इनके खिलाफ साक्ष्य इकट्ठे कर दिए है। विजिलेंस ने 10 दिन तक की जांच विजिलेंस की SIU ने बीते 10 दिनों के दौरान इस केस से जुड़े इंजीनियर, जल शक्ति विभाग के फील्ड स्टाफ, पानी ढुलाई करने वाले टैंकर-पिकअप मालिक व ड्राइवर के अलावा उन लोगों से भी पूछताछ की है, जिन्हें विभाग ने पानी देने के दावे किए है। टैंडर देने में भी गड़बड़ी इस दौरान लोगों द्वारा दी गई स्टेटमेंट विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के बयान से मेल नहीं खा रहे है। इससे विजिलेंस को बड़े स्तर पर गबन का अंदेशा है। बड़ी बात यह है कि पेयजल सप्लाई के अलावा टैंडर करने में गड़बड़ी हुई है। टैंडर की शर्तों को अनदेखा करके चहेते ठेकेदारों को टैंडर दिए गए। बाइक-होंडा सिटी कार में ढोया पानी बता दें कि ठियोग में जल शक्ति विभाग ने बीते मई-जून महीने में पेयजल सप्लाई के लिए टैंडर किए। दावा किया गया कि इस बार 1.13 करोड़ रुपए का पानी ठियोग क्षेत्र की जनता को टैंकर और पिकअप से पिलाया गया। ठेकेदार ने जब इसके बिल के लिए अप्लाई किया तो बाइक, ऑल्टो के-10, होंडा सिटी, डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर की गाड़ियों के नंबर दिए गए। माकपा नेताओं ने खोली पोली ठियोग के माकपा नेताओं ने इसकी आरटीआई ली तो उसमें घोटाले की पोल खुल गई। इसके बाद पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने एक जनवरी को शिमला में प्रेस कॉफ्रेंस करके इस घोटाले का पर्दाफाश किया। 3 जनवरी को सरकार ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर 10 इंजीनियर को सस्पेंड किया और इसकी जांच विजिलेंस को सौंपी। विजिलेंस ने प्रारंभिक जांच पूरी कर दी है। अब FIR की तैयारी है। जाहिर है कि इससे अधिकारियों के साथ साथ ठेकेदारों की भी मुश्किलें बढ़ने वाली है।

हिमाचल पेयजल घोटाले में अफसरों-ठेकेदारों पर FIR की तैयारी
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घोटाले का संक्षिप्त विवरण
हिमाचल प्रदेश में पेयजल घोटाले को लेकर एक नई उथल-पुथल मच गई है। जांच एजेंसी विजिलेंस की विशेष जांच इकाई (SIU) ने खुलासा किया है कि इस घोटाले में कई अफसरों और ठेकेदारों की संलिप्तता सही ठहराई गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, टेंडर आवंटन में गंभीर गड़बड़ियाँ पाई गई हैं, जिससे सच्चाई सामने आ रही है।
जांच रिपोर्ट का महत्व
SIU कल राज्य सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी, जो इस प्रकरण की दिशा को पूरी तरह से बदल सकती है। रिपोर्ट में जिन अधिकारियों और ठेकेदारों के नाम सामने आए हैं, उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी चल रही है। कुछ मीडिया सूत्रों का मानना है कि यह रिपोर्ट पूरे प्रदेश में राजनीतिक हलचलों को जन्म देगी।
क्या हैं गड़बड़ियाँ?
विजिलेंस की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि टेंडर आवंटन प्रक्रिया में नियमों का गंभीर उल्लंघन किया गया है। अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। इससे राज्य के जल आपूर्ति विभाग को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
आगे की प्रक्रिया और अपेक्षाएँ
राज्य सरकार को रिपोर्ट मिलने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की कार्रवाई कैसी होती है। विपक्षी दलों ने इस घोटाले को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाने का फैसला किया है। चूंकि यह मामला जनता के मूलभूत पेयजल अधिकारों से जुड़ा है, इसलिए जनता और मीडिया की नजरें इस पर टिकी रहेंगी।
निष्कर्ष
हिमाचल प्रदेश का यह पेयजल घोटाला गंभीर मुद्दा बन गया है, जिसमें कई जिम्मेदार लोग शामिल हैं। उम्मीद है कि विजिलेंस की कार्रवाई इस समस्या का सही समाधान खोजने में सहायक होगी।
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