हिमाचल में मंत्री विक्रमादित्य के बयान से कर्मचारियों में हलचल:विक्रमादित्य बोले-UPS लागू करने को लेकर करेंगे चर्चा, नफा-नुकसान देखकर कैबिनेट लेगी फैसला
हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के कहा, UPS (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) को लागू करना है या नहीं, यह कैबिनेट मीटिंग में डिस्कस किया जाएगा। इसमें कर्मचारियों के नफा-नुकसान का ध्यान रखा जाएगा। स्टेट पर फाइनेंशियल बर्डन जिससे कम हो, उसे यह सब देखा जाएगा। विक्रमादित्य सिंह के इस बयान के बाद कर्मचारियों में हलचल है। हिमाचल के कर्मचारी UPS को खारिज कर चुके हैं। अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि सवा एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने लड़ाई ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के लिए लड़ी है। इसलिए उन्हें UPS किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं है। जब OPS लागू की, तब UPS नहीं थी: विक्रमादित्य विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश में जिस वक्त OPS लागू किया गया था, तो उस दौरान UPS नहीं था। केंद्र ने अब UPS लागू किया है। लिहाजा अब इसे लेकर भी चर्चा के बाद फैसला करेंगे। हमारा मकसद कर्मचारियों के हित देखना है। उन्होंने कहा कि केंद्र के पास हिमाचल के कर्मचारियों के 9000 करोड़ रुपए फंसे है। इसलिए पर्सनल डिपार्टमेंट बार बार केंद्र से पत्राचार कर रहा है। केंद्र को भी हर चीज को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। हम संघीय ढांचे में रह रहे हैं। राज्य और केंद्र सबके अपने अपने अधिकार है। राज्य सरकार ने OPS को किया बहाल बता दें कि केंद्र सरकार भी हिमाचल को बार बार चिट्ठी लिखकर UPS लागू को कह रहा है, लेकिन अब तक राज्य सरकार केंद्र के दबाव के आगे नहीं झुकी। इसके विपरीत कांग्रेस सरकार ने NPS की जगह OPS को बहाल कर दिया है। इससे 2003 के बाद भर्ती जो कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, उन्हें पुरानी पेंशन मिलनी शुरू हो गई है। मगर 2003 से 2023 के बीच का केंद्र के पास इन कर्मचारियों का NPS के तौर पर 9000 करोड़ रुपए जमा है। केंद्र इसे हिमाचल को नहीं लौटा रहा है। इसी तरह हिमाचल में OPS बहाल करने के बाद केंद्र ने NPS के बदले मिलने वाली ग्रांट भी बंद भी कर दी है। UPS क्या है? UPS केंद्र सरकार की नई स्कीम है, जो सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवा की अवधि और अंतिम निकासी वेतन के आधार पर स्थिर पेंशन प्रदान के उद्देश्य से शुरू की गई है। योजना के तहत सेवानिवृत्ति के समय एक बार में भुगतान के रूप में वेतन और महंगाई भत्ता (DA) का 10% हर छह महीने की सेवा के लिए मिलेगा।

हिमाचल में मंत्री विक्रमादित्य के बयान से कर्मचारियों में हलचल
हाल ही में, हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य ने एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि राज्य सरकार यू.पी.एस. (उपयुक्त पुनरुद्धार व्यवस्था) लागू करने पर चर्चा करेगी। विक्रमादित्य के इस बयान ने कर्मचारियों के बीच हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि यू.पी.एस. के लाभ और हानि का मूल्यांकन करने के बाद ही कैबिनेट इस पर निर्णय लेगी। यह चर्चा राज्य के कर्मचारियों के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकती है।
विक्रमादित्य का बयान और इसकी महत्ता
विक्रमादित्य ने अपने बयान में कहा है कि उनकी सरकार का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों के कल्याण और राज्य के विकास को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाना है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यू.पी.एस. लागू करने से पहले सभी पहलुओं का विश्लेषण किया जाएगा। इससे कर्मचारियों में अटकलें और चर्चा का माहौल बना है, क्योंकि यह निर्णय उनके कार्य जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
मंत्री के इस बयान को लेकर कर्मचारियों में mixed प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ कर्मचारी इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देख रहे हैं, जबकि कुछ अन्य इसके नफे-नुकसान के बारे में चिंतित हैं। ऐसे में, राजनीतिक और संगठनों के नेता भी इस मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद करने लगे हैं।
कैबिनेट का निर्णय और इसके संभावित प्रभाव
यदि कैबिनेट यू.पी.एस. को लागू करने का निर्णय लेती है, तो इससे कर्मचारियों के कार्यप्रणाली में बदलाव आ सकता है। यह निर्णय न केवल कर्मचारियों की मानसिकता पर असर डालेगा, बल्कि राज्य के विकास पर भी प्रभावयुक्त होगा। इसलिए, सभी पक्षों का ध्यान इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्रित हो गया है।
कुल मिलाकर, विक्रमादित्य का यह बयान हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि इससे न केवल उनके कार्य के तरीके में बदलाव आ सकता है, बल्कि इसके जरिए वे अपने अधिकारों के लिए भी आवाज उठा सकते हैं। राज्य की राजनीतिक धारा में यह बदलाव न केवल कर्मचारियों, बल्कि आम जनता को भी प्रभावित करेगा।
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