1996 के बाद पहली बार लगातार 5 महीने गिरा बाजार:ऑटो-FMCG में 20% से ज्यादा की गिरावट, चीनी बाजार में इन्वेस्ट कर रहे विदेशी निवेशक
आज यानी 28 फरवरी को सेंसेक्स 1414 अंकों (1.90%) गिरकर 73,198 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी भी 420 अंक (1.86%) गिरकर 22,124 के स्तर पर बंद हुआ। अक्टूबर 2024 से, निफ्टी हर महीने गिरावट में बंद हुआ है। ये 5 महीने में 12% गिर चुका है। 1996 के बाद यह पहली बार है कि बाजार में लगातार पांच महीने गिरावट आई है। इससे पहले 1996 में जुलाई से लेकर नवंबर महीने के बीच बाजार में लगातार 5 महीने गिरावट दर्ज की गई थी। इन 5 महीनों के दौरान निफ्टी 50 इंडेक्स 26% गिरा था। 1. बीते 5 महीनों में निवेशकों की वेल्थ कितनी घटी है? 30 सितंबर 2024 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 474 लाख करोड़ रुपए था जो 28 फरवरी को घटकर 384 लाख करोड़ रुपए रह गया। यानी, 5 महीनों में निवेशकों की वेल्थ 90 लाख करोड़ रुपए घट गई है। 2. शेयर बाजार में लगातार गिरावट के क्या कारण हैं? 3. इस गिरावट में निवेशकों को क्या करना चाहिए? एसेट मैनेजमेंट फर्म फर्स्ट ग्लोबल की एमडी देविना मेहरा कहती हैं- अमेरिका से लेकर यूरोप में की गई एकेडमिक स्टडीज से पता चलता है कि जब भी लोग बाजार में निवेश को लेकर घबराएं या चिंतित रहते हैं तब-तब बाजार ने एवरेज से ज्यादा रिटर्न दिया है। यानी, जब भी आप सोचते हैं कि शेयर बेच देना चाहिए, एसआईपी बंद कर देना चाहिए और बाजार से निकल जाना चाहिए वो समय ही बाजार में निवेश का सबसे अच्छा समय होता है। इसे दो उदाहरण से समझते हैं: यानी, जब-जब बाजार में गिरावट आई है इसमें तेजी से रिकवरी भी दिखी है। ऐसे में जो निवेशक पहले से इन्वेस्टेड है उन्हें अपने निवेश में बना रहना चाहिए। वहीं जो लोग नया निवेश करना चाहते हैं वह थोड़ा-थोड़ा कर निवेश कर सकते हैं। 4. क्या ग्लोबल मार्केट में भी गिरावट आई है? 5. इतिहास में कितने महीने लगातार भारतीय बाजार गिरा है? जुलाई 1990 में निफ्टी 50 इंडेक्स लॉन्च हुआ था। आंकड़ों से पता चलता है कि निफ्टी 50 ने 1995 में अपना सबसे खराब मंथली परफॉर्मेस दर्ज किया था। तब निफ्टी सितंबर 1995 से अप्रैल 1996 तक लगातार आठ महीने गिरा था। इस दौरान 31% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई थी।

1996 के बाद पहली बार लगातार 5 महीने गिरा बाजार: ऑटो-FMCG में 20% से ज्यादा की गिरावट, चीनी बाजार में इन्वेस्ट कर रहे विदेशी निवेशक
आज के कारोबारी माहौल में एक बड़ा सवाल उभरकर सामने आया है, जब पिछले 5 महीनों में भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखी गई है। यह स्थिति 1996 के बाद पहली बार देखने को मिली है, जब बाजार ने इस तरह का रुझान दिखाया। विशेष रूप से ऑटो और FMCG सेक्टर में 20% से अधिक की गिरावट ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है।
ऑटो और FMCG में गिरावट का विश्लेषण
ऑटोमोबाइल और फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) सेक्टर में गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है। इन उद्योगों के निर्यात में कमी और मांग में गिरावट ने शेयर बाजार को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। उद्योग विश्लेषक मानते हैं कि वैश्विक आर्थिक संकट और आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं।
विदेशी निवेशक और चीनी बाजार
हालांकि, इस गिरावट के बीच एक सकारात्मक पहलू भी देखा जा रहा है। विदेशी निवेशक चीनी बाजार में निवेश करने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। यह एक रणनीति है जो उन्हें बढ़ते बाजार के अवसरों का लाभ उठाने की अनुमति देती है। विश्लेषकों का मानना है कि चीन का बाजार अब भी आकर्षक है, जिससे निवेशक यहां संभावित लाभ की दिशा में बढ़ सकते हैं।
क्या भविष्य में सुधार होगा?
आवश्यक है कि निवेशक और सरकारें इस स्थिति को गंभीरता से लें। विभिन्न उपाय जैसे कि नीतिगत सुधार, बाजार में पारदर्शिता और निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने के पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि ये पहल सफल होती हैं, तो आने वाले समय में बाजार में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
समग्र मिलाकर, मौजूदा परिस्थितियां सभी के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। निवेशकों के लिए समय आ गया है कि वे अपने निर्णयों में सतर्कता बरतें और बाजार के उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों को अपनाएं।
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