9 हजार करोड़ घोटाले की जांच करेगी ईडी- हाईकोर्ट:स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट घोटाला, हाईकोर्ट ने बिल्डर कंपनियों की धन की बंदरबांट की ईडी जांच का दिया आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट के नौ हजार करोड़ के घोटाले में शामिल बिल्डर कंपनियों द्वारा कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग कर हड़पे धन का पता लगाने के लिए ईडी को भी जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल में दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही में बैलेंस सीट का सत्यापन कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है और कहा है कि घर खरीदने वालों का हित सर्वोपरि है,उसकी सुरक्षा की जानी चाहिए।साथ ही बोगस ट्रांजेक्शन की भी जांच की जाय।कंप्लेंट दर्ज कर सीबीआई को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा यदि याची कंपनियों को राहत दी जाती है तो यह फ्राड को स्वीकारने जैसा होगा। अदालत ऐसा नहीं कर सकती। इसलिए बिल्डर कंपनियों द्वारा हड़पे गये धन का पता लगाया जाना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति एम सी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मेसर्स एरिना सुपरस्ट्रक्चर्स प्रा लि,व मेसर्स सिक्वेल बिल्डकॉन प्रा लि कंपनियों की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। मालूम हो कि नोएडा विकास प्राधिकरण ने स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट के लिए भूखंड का आवंटन किया था। कोर्ट ने साफ कहा कि इस घोटाले में नोएडा प्राधिकरण अधिकारी, आवंटी बिल्डर्स या अन्य कोई शामिल है तो सीबीआई कंप्लेंट दर्ज कर सीधे कार्रवाई करेे।साथ ही बिल्डर कंपनियों की बंदरबांट से हड़पे धन का पता लगाने की जिम्मेदारी ई डी को सौंपी है।और आदेश की प्रति ई डी डायरेक्टर को भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कैग रिपोर्ट में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ जिसमें बिल्डर कंपनियों और नोएडा अधिकारियों की मिली भगत से करोड़ों रुपए प्राधिकरण में जमा नहीं किए गये। कंपनियों ने सब्सिडरी कंपनियों में धन स्थानांतरित कर हडप लिया।और कानूनी खामियों का फायदा उठाते हुए एन सी एल टी में इंसालवेंसी अर्जी दाखिल कर बचने का रास्ता निकाला और अधिकरण ने भी बिना सत्यता की जांच किए अपनी मुहर लगा दी।ऐसे आदेश को चुनौती न होने के कारण कोर्ट ने कहा हम रद नहीं कर सकते किन्तु सत्यापन कर कार्रवाई का निर्देश दे सकते हैं। बता दें 16अगस्त 2004को प्राधिकरण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पोर्ट्स सुविधाएं उपलब्ध कराने का फैसला लिया। कंपनियों ने जमीन ले ली किंतु कोई विकास नहीं किया।याची कंपनी ने 1080फ्लैट में से केवल 785फ्लैट बेचा।और निर्माण बंद कर दिया।पांच साल में इसे प्रोजेक्ट पूरा करना था। कंपनी स्पोर्ट्स सुविधाएं देने में विफल रही।जब सीएजी रिपोर्ट में स्पोर्ट्स सिटी घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो सरकार हरकत में आई।नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-78, 79, 101, 150, 152 में चार भूखंड आवंटित किए गए थे, जिनका क्षेत्रफल करीब 32 लाख 30 हजार 500 वर्ग मीटर है। जमीन आवंटन के समय नोएडा प्राधिकरण ने शर्त यह रही थी कि 70 प्रतिशत जमीन पर खेल सुविधाएं विकसित की जाएंगी। इसके अलावा 28 प्रतिशत जमीन आवासीय और दो प्रतिशत व्यावसायिक उपयोग में लाई जा सकेगी। शुरुआत में चार भूखंड जिन चार बिल्डर ग्रुप को आवंटित हुए थे। इन्होंने सब डिवीजन कर इनको अलग-अलग बिल्डरों को 84 टुकड़ों में बेच दिया। इसमें 74 सब-डिवीजन को प्राधिकरण ने मंजूरी दी है। प्राधिकरण ने 46 ग्रुप हाउसिंग के नक्शे भी पास किए। बिल्डरों ने समय पर बकाया नहीं जमा किया। प्राधिकरण का इस सभी पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा कि मामले की सीबीआइ जांच करें। इस घोटाले में नोएडा प्राधिकरण-बिल्डर समेत अन्य भी इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं। और बिल्डर कंपनियों की याचिका पर हड़पे धन का पता लगाने की ज़िम्मेदारी ई डी को सौंपी है।

9 हजार करोड़ घोटाले की जांच करेगी ईडी- हाईकोर्ट: स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट घोटाला
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण मामले में आदेश दिया है, जिसमें ईडी (अर्थशास्त्र विभाग) को 9 हजार करोड़ रुपये के स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया गया है। यह मामला विभिन्न बिल्डर कंपनियों की धन की बंदरबाँट के संबंध में है। न्यायालय ने यह फैसला सुनाते समय कहा कि इस घोटाले के पीछे की सच्चाई को उजागर करना आवश्यक है।
ईडी की जांच का महत्व
ईडी की यह जांच उन सभी कंपनियों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है, जिन्होंने स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया था। जांच की प्रक्रिया में यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि क्या वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया गया था और क्या धन का दुरुपयोग हुआ है। यह निर्णय उन निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट में अपना पैसा लगाया था।
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने ईडी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे इस घोटाले को गंभीरता से लें और बिना किसी पक्षपात के जांच करें। न्यायालय ने कहा कि न्याय व्यवस्था को सुनिश्चित करना और दोषियों को सजा दिलाना बेहद जरूरी है। यह आदेश सरकार के सभी संबंधित विभागों के लिए एक चेतावनी है कि वे वित्तीय अनुशासन बनाए रखें।
बिल्डर कंपनियों की भूमिका
इस घोटाले में शामिल बिल्डर कंपनियों की भूमिका को भी विस्तृत रूप से जांचा जाएगा। इसमें यह देखना होगा कि उन्होंने कानूनी और वित्तीय मानकों का पालन किया या नहीं। इस संदर्भ में, न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि कोई भी नियम का उल्लंघन करने से बचना चाहिए।
अंतिम विचार
9 हजार करोड़ रुपये का स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट घोटाला एक गंभीर मुद्दा है और इसकी तह में जाना आवश्यक है। यह भविष्य में ऐसे अन्य घोटालों को रोकने में सहायक सिद्ध हो सकता है। हमें आशा है कि न्यायालय और संबंधित विभाग इस मामले को उचित तरीके से संभालेंगे और जल्द ही परिणाम देंगे।
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