BHU पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष ने मांगा न्याय:वित्तीय अधिकार सीज को बताया गुटबंदी और षड्यंत्र,PM से लगाई गुहार
बीएचयू कला संकाय स्थित पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. शोभना नेर्लिकर ने विश्वविद्यालय प्रशासन, अधिकारियों और सहकर्मियों पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगाया है।इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी की रिपोर्ट पर वित्तीय अधिकार सीज करने की कार्रवाई को उन्होंने गुटबंदी और षड्यंत्र बताते हुए मामले में प्रधानमंत्री से न्याय की गुहार लगाई है। उत्पीड़न का लगाया आरोप साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को चार दिन का अल्टीमेटम दिया है। कहा कि इस अवधि में उनके साथ न्याय नहीं हुआ तो वह संवैधानिक ढंग से विरोध करेंगी। डॉ. नेर्लिकर ने कहा कि वह डॉ. आंबेडकर और पं. मदन मोहन मालवीय के मूल्यों में विश्वास करती हैं। इसके बावजूद पिछले 20 वर्षों से उन्हें उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। सहकर्मियों के प्रमोशन को बताया गलत उन्होंने साथ काम करने वाले तीन अध्यापकों, कुलसचिव, रेक्टर के अलावा निवर्तमान कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन पर भी आरोप लगाए। कहा कि पूर्व कुलपति ने उनकी शिकायत नहीं सुनी और चहेतों को बचाने के लिए जांच बिठा दी। डॉ. नेर्लिकर ने सहकर्मियों पर फर्जी प्रमाण पत्रों से नियुक्ति और पदोन्नति पाने के साथ आर्थिक भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के फैसले के खिलाफ उन्होंने अपील की है।

BHU पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष ने मांगा न्याय: वित्तीय अधिकार सीज को बताया गुटबंदी और षड्यंत्र
हाल ही में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष ने अपने वित्तीय अधिकारों को सीज करने के मामले में न्याय की मांग की है। उनका आरोप है कि यह सब एक गुटबंदी और षड्यंत्र का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है कि इस मामले की जांच करवाई जाए ताकि न्याय मिल सके।
गुटबंदी का आरोप
BHU पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ गुटबंदी की जा रही है, जिसका उद्देश्य उनके वित्तीय अधिकारों का हनन करना है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ व्यक्तिगत प्रतिशोध नहीं, बल्कि एक संगठित प्रयास है जो न केवल उनके बल्कि विभाग के अन्य शिक्षकों और छात्रों के अधिकारों को भी प्रभावित कर रहा है।
वित्तीय अधिकारों का सीज होना
पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष ने बताया कि उनके वित्तीय अधिकार बिना किसी उचित कारण के सीज कर दिए गए हैं। यह कदम विश्वविद्यालय प्रशासन के एक विवादास्पद निर्णय के तहत किया गया है, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री से गुहार
अपनी मांग को सामने रखते हुए, अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की गंभीरता से जांच करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ उनके साथ ही नहीं, बल्कि समस्त शिक्षक वर्ग और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
इस मामले में सभी संबंधित पक्षों से निष्पक्ष और स्पष्ट जांच की आवश्यकता है ताकि कानून और सही प्रक्रिया का पालन किया जा सके। News by indiatwoday.com
निष्कर्ष
इस प्रकार, BHU पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष द्वारा उठाए गए सवाल न केवल उनके व्यक्तिगत अधिकारों का मुद्दा है, बल्कि एक बड़े संस्थागत परिवर्तन की आवश्यकता को भी रेखांकित करते हैं। छात्रों और समाज की भलाई के लिए शिक्षकों को उनके अधिकारों की रक्षा करने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए। Keywords: BHU पत्रकारिता विभाग, वित्तीय अधिकार सीज, गुटबंदी और षड्यंत्र, प्रधानमंत्री गुहार, स्थानीय विश्वविद्यालय न्याय, शिक्षा और प्रशासन विवाद, पत्रकारिता शिक्षा बीएचयू, गुटबंदी का आरोप, वित्तीय अधिकारों का हनन, विश्वविद्यालय अधिकार हनन, BHU शिक्षा क्षेत्र में विवाद, पत्रकारिता विभाग में गुटबंदी, न्याय की मांग बीएचयू.
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