BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी पहुंचे अयोध्या, रामलला का किया दर्शन:बोले- कांग्रेसी नेता ममंदिर में नहीं आए लेकिन बाबर की मजार पर जाकर उनकी तीन पीढियों ने सजदा किया
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी आज अयोध्या पहुंचे और उन्होंने रामलला का दर्शन किया।वे निर्माणाधीन रामायण विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने अयोध्या पहुंचे है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि रामलला के विराजमान होने का एक वर्ष पूरा हुआ है। उन्होंने कहा कि विपक्ष पहले कहता था कि रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे, इस तरह का आरोप लगाता था। विपक्ष नहीं समझ पा रहा था तारीख का रहस्य। राम लला कर रहे थे इंतजार जब होंगे प्राण प्रतिष्ठित तो जिले का नाम फैजाबाद नहीं अयोध्या होगा। जब राम प्राण प्रतिष्ठित होंगे तो महाकुंभ प्रयागराज में होगा इलाहाबाद में नहीं। BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि रामलला कर रहे थे इंतजार की देश में कर्म योगी आएगा प्रधानमंत्री और योगी आएगा उत्तर प्रदेश में। मुख्यमंत्री भगवान राम अपने ही आवास में नहीं 4 करोड, लोगों को आवास देने के बाद 15 करोड लोगों को जल देने के बाद भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद राम लला प्रतिष्ठित होंगे। उन्होंने कहा कि विश्व में इतना बड़ा परिवर्तन इतिहास में दर्ज है। सौगंध राम की खाते हैं कि मंदिर वहीं बनाएंगे, आज प्रभु की कृपा से सौगंध पूरी हुई है। जो राम लला को लेकर प्रश्न उठाते थे उन्हें राम की महिमा को समझना नहीं आता था। महाकुंभ को लेकर नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद पर भी बोला हमला कहा कि सब की अपनी सुमति होती है उनकी टिप्पणी को उन्हीं की तरह देखना चाहिए। महा कुंभ में वक्फ़ की जमीन के प्रयोग के सवाल पर उन्होंने कहा वक्फ़ एक थोपा गया कानून है। वक्फ़ भारत के सेकुलर संविधान पर सबसे बड़ा था आधार,शरीयत में गैर इस्लामिक शक्तियों की गिनती जिम्मी में होती है। जिनकी प्रॉपर्टी वैलिड नहीं होती क्या हिंदुस्तान की जनता को जिम्मी बना कर रखा है, तथाकथित सर्कुलर लोगों ने दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी दलों को इस बारे में विचार करना चाहिए । दिल्ली के चुनाव को लेकर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के नित्य बदलते स्वरूप को देख जनता जागृत हो चुकी है अयोध्या पहुंचे सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर भी बोला हमला, जो राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में नहीं आए उनसे बड़ा नहीं हो सकता कोई अभागा। कांग्रेस ने लिख कर दिया है की हम नहीं आएंगे, उनके मन का भाव स्पष्ट है। कांग्रेस के मन में धर्म और संस्कृति के लिए नहीं है कोई स्थान, केवल और केवल करते है राजनीति कांग्रेस के लोग। वे राम मंदिर में नहीं आए लेकिन बाबर की मजार पर जाकर उनकी तीन पीढियों ने सजदा किया है। 1959 में जवाहरलाल नेहरू गए थे बाबर की मजार पर ,1968 में गई थी इंदिरा गांधी और 2005 में राहुल गांधी ने किया है बाबर की मजार पर सजदा, जब राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ तो 400 सीटें कांग्रेस के थी पास। उसके बाद कभी नहीं मिला कांग्रेस पार्टी को बहुमत। प्रवक्ता बीजेपी राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने रामायण विश्वविद्यालय को बताया अच्छा और सुंदर प्रयोग।अयोध्या उभर रही है अयोध्या एक नगर नहीं भगवान श्री राम का मंदिर श्रेष्ठतम मानवीय मूल्यों का प्रतीक होने जा रहा है। भारत की प्राचीन परंपरा को जिसको दुनिया धीरे-धीरे अब स्वीकार कर रही है,रामायण विश्वविद्यालयइसका प्रतीक बन रहा है । यह भारत के उस प्राचीन ज्ञान को स्थापित करने में सफल होगा।

BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी पहुंचे अयोध्या, रामलला का किया दर्शन
सभी की निगाहें अयोध्या की तरफ हैं, जहाँ BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने हाल ही में रामलला का दर्शन किया। इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर तीखे आरोप लगाए। त्रिवेदी का कहना है कि कांग्रेसी नेता अयोध्या के राम मंदिर में दर्शन करने नहीं आए लेकिन बाबर की मजार पर जाकर सजदा करने में संकोच नहीं करते।
अयोध्या का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से
अयोध्या न केवल हिन्दू धर्म के लिए एक पवित्र स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यहाँ की ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत ने इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थल बना दिया है। रामलला का दर्शन करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है, जो लाखों श्रद्धालुओं के लिए गर्व की बात होती है।
सुधांशु त्रिवेदी का बयान
दर्शन के बाद, त्रिवेदी ने बताया कि ये कांग्रेस नेता अपने अतीत से भाग रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब कोई राजनीतिक दल अपने धार्मिक स्थलों को नजरंदाज करता है, तो यह उनकी निष्ठा पर सवाल उठाता है। उन्होंने यह भी कहा कि बाबर की मजार पर जाकर सजदा करने से पता चलता है कि उनकी प्राथमिकताएँ क्या हैं।
कांग्रेस पर उठाए सवाल
त्रिवेदी के मुताबिक, यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पदाधिकारी अपने धर्म का सम्मान नहीं करते हैं। उनके अनुसार, यह उनके राजनीतिक दर्शन का विरोधाभास है, जो संकेत करता है कि वे देश के मूलभूत सांस्कृतिक मूल्यों को नहीं मानते।
यह बयान इस समय राजनीतिक चर्चाओं को बढ़ा रहा है और अयोध्या मुद्दे पर पार्टियों के बीच की दूरी को और गहरा कर रहा है।
भविष्य की संभावनाएँ
जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक दल अपने कार्यों और बयानों के माध्यम से मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में अयोध्या और राम मंदिर की चर्चा ने निश्चित रूप से चुनावी रणनीतियों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है।
अयोध्या यात्रा और उसके पीछे की राजनीतिक कथानक ने निश्चित रूप से आगामी चुनावों पर अपना असर डाला है।
लेख के अंत में, हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि धर्म और राजनीति का आपस में रिश्ता हमेशा से संवेदनशील रहा है। हमें इस विषय पर सतर्कता से विचार करने की जरूरत है।
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