GSI में हिंदी को बढ़ावा दिया:वैज्ञानिक कार्यों में राजभाषा का प्रयोग करें, विशेषज्ञों ने उदाहरण दिए

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ कार्यालय में अखिल भारतीय वार्षिक राजभाषा समीक्षा बैठक और वैज्ञानिक एवं तकनीकी राजभाषा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता जीएसआई के महानिदेशक असित साहा ने की। महानिदेशक ने अपने संबोधन में कहा कि जीएसआई वैज्ञानिक कार्यों के साथ-साथ राजभाषा विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए हिंदी के विकास के लिए लगातार काम कर रहा है। संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य हिंदी में वैज्ञानिक और तकनीकी लेखन को बढ़ावा देना और राजभाषा कार्यान्वयन में सकारात्मक माहौल बनाना था। हिंदी में वैज्ञानिक और तकनीकी लेखन को बढ़ावा देना दो दिवसीय कार्यक्रम में भूविज्ञान, खनिज खोज, भू-तकनीकी अध्ययन और पर्यावरण से जुड़े विषयों पर विशेषज्ञों ने प्रस्तुतियां दीं। इससे हिंदी में वैज्ञानिक शब्दावली के विकास को भी प्रोत्साहन मिला। विभाग अपने शोध और सर्वेक्षण को हिंदी में प्रस्तुत कर इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। शोध पत्रों के लेखकों को सम्मानित किया समापन समारोह में श्रेष्ठ शोध पत्रों के लेखकों को सम्मानित किया गया। समारोह की अध्यक्षता उत्तरी क्षेत्र के अपर महानिदेशक एवं विभागाध्यक्ष राजिन्दर कुमार ने की। यह आयोजन सरकारी और वैज्ञानिक कार्यों में हिंदी के बढ़ते उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

Feb 5, 2025 - 00:59
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GSI में हिंदी को बढ़ावा दिया:वैज्ञानिक कार्यों में राजभाषा का प्रयोग करें, विशेषज्ञों ने उदाहरण दिए
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ कार्यालय में अखिल भारतीय वार्षिक

GSI में हिंदी को बढ़ावा दिया: वैज्ञानिक कार्यों में राजभाषा का प्रयोग करें, विशेषज्ञों ने उदाहरण दिए

हाल ही में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस पहल के तहत विशेषज्ञों ने अपनी विचारधारा साझा की और वैज्ञानिक कार्यों में हिंदी के उपयोग के फायदे पर चर्चा की।

हिंदी का महत्व

हिंदी भारत की राजभाषा होने के नाते न केवल संचार का एक माध्यम है, बल्कि यह वैज्ञानिक विचारों और जटिल अवधारणाओं को भी स्पष्ट करने में सक्षम है। विशेषज्ञों ने रेखांकित किया कि हिंदी में वैज्ञानिक लेखन से ज्ञान का विवरण और विस्तार किसी भी विषय पर अधिक सुलभ हो जाता है।

उदाहरणों के माध्यम से जागरूकता

विभिन्न विशेषज्ञों ने कुछ उदाहरण दिए कि कैसे हिंदी का प्रयोग वैज्ञानिक अनुसंधान में मददगार हो सकता है। इसमें भूविज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, और पर्यावरणीय अध्ययन जैसे क्षेत्रों में हिंदी में लिखी गई शोध पत्रिकाओं की आवश्यकता को बताया गया। ऐसे माध्यम से युवा वैज्ञानिक भी जटिल बिंदुओं को आसानी से समझ सकेंगे।

भविष्य की दिशा

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का यह महत्वपूर्ण कदम न केवल हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि यह नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों को अपने कार्यों को अधिक मान्यता दिलाने में मदद करेगा। इसके साथ ही, वैज्ञानिकों को उनकी मातृभाषा में कार्य करने का गर्व भी महसूस होगा।

इस पहल के अंतर्गत, GSI ने विभिन्न कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन किया, जहां शोधकर्ताओं और छात्रों को हिंदी में अपने कार्यों को प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इससे जुड़ी अधिक जानकारी और अपडेट के लिए कृपया indiatwoday.com पर जाएं।

हिंदी में वैज्ञानिक कार्य करने का यह कदम निस्संदेह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाएगा। Keywords: GSI हिंदी, वैज्ञानिक कार्यों में हिंदी, राजभाषा प्रयोग, हिंदी में शोध पत्र, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय विज्ञान हिंदी, हिंदी का महत्व, हिंदी में वैज्ञानिक लेखन, हिंदी में अनुसंधान, मातृभाषा में कार्य

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