अंबेडकर जयंती पर उमड़ा जनसैलाब:लोगों ने किया माल्यार्पण, बाइक रैली निकाली; संविधान की रक्षा की शपथ ली
बांदा में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती उत्साह के साथ मनाई गई। रोडवेज स्थित अंबेडकर पार्क में सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए। लोगों ने बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। एक-दूसरे को मिठाई बांटकर बधाई दी। कार्यक्रम में मौजूद सैकड़ों समर्थकों ने संविधान की रक्षा और बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करने की शपथ ली। महिलाएं और बच्चे भी श्रद्धा से पुष्प अर्पण करने पहुंचे। पार्क में 'जय भीम' और 'बाबा साहब अमर रहे' के नारे गूंजते रहे। कार्यक्रम में बताया गया कि बाबा साहब का दिया संविधान हर भारतीय को सम्मान का अधिकार देता है। फूल-मालाओं से स्वागत वक्ताओं ने लोगों से बाबा साहब के विचारों को समझने और जीवन में उतारने की अपील की। इसके बाद श्रद्धालुओं ने बाइक रैली निकालकर पूरे बांदा शहर का भ्रमण किया। सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी ने श्रद्धालुओं का फूल मालाओं से स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल तैनात रहा।

अंबेडकर जयंती पर उमड़ा जनसैलाब
अंबेडकर जयंती के अवसर पर देश भर में लोगों ने अपने श्रद्धा और सम्मान के साथ भीड़ का हिस्सा बनकर इस दिन को मनाया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग न केवल समारोहों में शामिल हुए, बल्कि उन्होंने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए माल्यार्पण भी किया।
माल्यार्पण और श्रद्धांजलि
इस विशेष दिन पर, आम जनता ने गहराई से महसूस किया कि अंबेडकर के योगदान को याद करना और उनके सिद्धांतों को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। माल्यार्पण की रस्म में शामिल होने वाले लोगों ने अंबेडकर के चित्रों और प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाए, और यह दिखाया कि उनका योगदान सिर्फ एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है बल्कि यह सम्पूर्ण समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
बाइक रैली का आयोजन
इस अवसर पर कई स्थानों पर बाइक रैलियों का आयोजन भी किया गया। युवा वर्ग ने बाइक रैली के माध्यम से अपनी आवाज़ उठाते हुए अंबेडकर के दीक्षा पर जोर दिया। ये बाइक रैलियाँ न केवल उत्साह बढ़ाने का काम कर रही थीं बल्कि संविधान की रक्षा और सामाजिक समानता के प्रति जागरूकता फैलाने का भी संदेश दे रही थीं।
संविधान की रक्षा की शपथ
समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा संविधान की रक्षा की शपथ लेना था। लोगों ने सामूहिक रूप से यह शपथ ली कि वे अंबेडकर द्वारा स्थापित मूल्यों को अपनाएंगे और संविधान को मजबूत बनाते रहेंगे। अंबेडकर जयंती पर यह शपथ लेना एक अनिवार्य कार्य बन गया है जो यह दर्शाता है कि जनसामान्य कितना प्रतिबद्ध है।
समाज के हर वर्ग ने इस दिन को अपने तरीके से मनाया, जिससे यह साफ है कि अंबेडकर की शिक्षाएँ और उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।
अंबेडकर जयंती पर उमड़ा जनसैलाब एक संकेत है कि जब लोग मिलकर अपने अधिकारों के प्रति सजग होते हैं, तब समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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