अन्नपूर्णा मंदिर में कुंभाभिषेक कोटि कुमकुमार्चन हुआ शुरू:75 वैदिक ब्राह्मण प्रतिदिन छह घंटे करेंगे पूजन,आज से शुरू होगा महारुद्र यज्ञ
अन्नपूर्णा मंदिर के कुंभाभिषेक का नौ दिवसीय महानुष्ठान शृंगेरी शंकराचार्य विधुशेखर भारती महाराज के सानिध्य में शुरू हुआ। महंत शंकर पूरी ने सर्वप्रथम अपने गुरु की पूजा किया, कुंकुंमार्चन संकल्प लिया और 75 वैदिक ब्रामणो से मंत्रो के साथ शुरू किया गया। कुमकुमाअर्चन में श्रीचक्र को कुमकुम (सिंदूर) अर्चन करना शामिल है, जो देवी का स्वरूप है। ललिता सहस्रनाम का जाप 10 दिनों की अवधि में कुल 10,000 बार किया जाएगा। ललिता सहस्रनाम में आदि देवी माँ के 1,000 दिव्य नाम हैं और इस प्रकार 10,000 पाठ एक करोड़ के बराबर होते हैं। कोटिकुमारचन के साथ सुवासिनी पूजा, कुमारी पूजा, ललिताहोमा और संतर्पणम भी किया जाता है। देवीकी मूर्ति पर कुमकुमार्चन करनेका शास्त्रीय आधार ‘मूल कार्यरत शक्तितत्त्वकी निर्मिति लाल रंगके प्रकाशसे हुई है, इस कारण शक्तितत्त्वके दर्शकके रूपमें देवीकी पूजा कुमकुमसे करते हैं । कुमकुमसे प्रक्षेपित गंध-तरंगोंकी सुगंधकी ओर ब्रह्मांडांतर्गत शक्तितत्त्वकी तरंगें अल्प कालावधिमें आकृष्ट होती हैं, इसलिए मूर्तिमें सगुण तत्त्वको जागृत करने हेतु लाल रंगके दर्शक तथा देवीतत्त्वको प्रसन्न करनेवाली गंध-तरंगोंके प्रतीकके रूपमें कुमकुम- उपचार (शृृंगार)को देवीपूजनमें अग्रगण्य स्थान दिया गया है । मूल शक्तितत्त्वके बीजका गंध भी कुमकुमसे पैâलनेवाली सुगंधसे साधर्म्य दर्शाता है, इसलिए देवीको जाग्रत करने हेतु कुमकुमके प्रभावी माध्यमका प्रयोग किया जाता है। स्वर्ण, रजत और ताम्र के 1000 कलशों से होगा शिखर का कुंभाभिषेक कुंभाभिषेक के लिए सहस्त्र छिद्रयुक्त 1000 घट बनवाए गए हैं। इनमें 11 स्वर्ण कलश, 101 रजत कलश, 101 ताम्र कलश, 500 अष्टधातु कलश, 225 पीतल कलश, 11 मृदा कलश बाकी अन्य धातुओं के कलश होंगे। पवित्र नदियों एवं सागरों के जल तथा पंचामृत आदि से शिखर का कुंभाभिषेक होगा। महंत शंकर पुरी ने बताया कि सिद्ध प्रतिष्ठित देवालयों में 100 वर्षों के अंतराल पर कुंभाभिषेक करने का वैदिक विधान है। शास्त्रों के अनुसार मंदिर के शिखर में गर्भगृह में स्थापित देवता के प्राणों का निवास होता है। इसीलिए गर्भगृह में देव विग्रह दर्शन की तरह ही शिखर दर्शन को अत्यंत पुण्य फलदायी माना गया है।

अन्नपूर्णा मंदिर में कुंभाभिषेक कोटि कुमकुमार्चन हुआ शुरू
इस समय अन्नपूर्णा मंदिर में कुंभाभिषेक कोटि कुमकुमार्चन का विशेष आयोजन किया जा रहा है। यह धार्मिक अनुष्ठान पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ आरंभ हुआ है। इसका आयोजन हर दिन 75 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा किया जाएगा, जो प्रतिदिन छह घंटे तक पूजा करेंगे। आज से इस महाअनुष्ठान का शुभारंभ महारुद्र यज्ञ के साथ होगा, जो मंदिर परिसर में भक्तों की उपस्थिति के बीच सम्पन्न किया जाएगा।
कुंभाभिषेक का महत्व
कुंभाभिषेक एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जहाँ श्रद्धालु विशेष विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। इसमें विशेष रूप से कुंभ (कलश) को पवित्र जल से भरकर उस पर अभिषेक किया जाता है। यह पूजा भक्तों के लिए न केवल आध्यात्मिक लाभ लाती है, बल्कि इससे उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
महारुद्र यज्ञ का आयोजन
आज से प्रारंभ हो रहे महारुद्र यज्ञ का आयोजन विशेष रूप से अन्नपूर्णा देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। यह यज्ञ भगवान शिव को समर्पित होता है, जिससे श्रद्धालु अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। यज्ञ में अग्नि को हुम्बार के माध्यम से आहुति दी जाती है, जो कई प्रकार के शुभ फल व पुण्य लाने वाला माना जाता है।
कैसे पहुंचे अन्नपूर्णा मंदिर
श्रद्धालु जैन मंदिर स्थित अन्नपूर्णा मंदिर में पहुंचे और इस महान अनुष्ठान का हिस्सा बनें। यहाँ आने से भक्तों को न केवल धार्मिक अनुभव होगा, बल्कि वे दिव्य उर्जा का भी अनुभव करेंगे। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक एकता को भी दर्शाता है।
अवधि और विवरण
यह कार्यक्रम निश्चित अवधि तक चलेगा और भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगा। सभी को आमंत्रित किया जाता है कि वे इस धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेकर अपने परिवार और समाज के लिए मंगलकामना करें। ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेकर ही हम आध्यात्मिकता की ओर एक कदम बढ़ा सकते हैं।
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