अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं से बैन हटाया:20 साल से लगा था प्रतिबंध; अमेरिकी NSA ने परेशानियां दूर करने की बात कही थी

अमेरिका ने बुधवार को 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ (IRE) के नाम हैं। वहीं, अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चाइना की 11 संस्थाओं को प्रतिबंध की लिस्ट में जोड़ा है। यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (BIS) ने इसकी पुष्टि की है। अमेरिका का फैसला अमेरिकी NSA जेक सुलिवन के 6 जनवरी के हुए भारत दौरे के बाद आया। सुलिवन ने दिल्ली आईआईटी में कहा था कि अमेरिका उन नियमों को हटाएगा जो भारतीय परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच सहयोग में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि लगभग 20 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह हकीकत बनाना है। दरअसल, भारत ने 11-13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किए थे। इस परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति के नाम से जाना गया था। इन परीक्षण के कारण कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका ने तब 200 से अधिक भारतीय संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिए। मनमोहन सरकार में हुआ था ऐतिहासिक समझौता जुलाई 2005 में मनमोहन सिंह ने अमेरिका का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को एक परमाणु करार पर सहमत कराया। हालांकि इसके लिए अमेरिका ने भारत से 2 शर्तें रखी थीं। पहली- भारत अपनी सैन्य और नागरिक परमाणु गतिविधियों को अलग-अलग रखेगा। दूसरी- परमाणु तकनीक और सामग्री दिए जाने के बाद भारत के परमाणु केंद्रों की निगरानी अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) करेगा। भारत दोनों शर्तों से सहमत हो गया। इसके बाद मार्च 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति भारत दौरे पर आए। इसी दौरे में भारत और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। हालांकि विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध कर दिया था। लेफ्ट पार्टियों का कहना था कि इस समझौते का भारत की विदेश नीति पर असर पड़ेगा। लेफ्ट पार्टियों के समर्थन वापस लेने के बाद मनमोहन सिंह ने संसद में बहुमत साबित किया। इसके बाद 8 अक्टूबर 2008 को अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने इस समझौते पर दस्तखत कर आखिरी औपचारिकता पूरी कर दी। हालांकि इस डील के दौरान जो नए रिएक्टर लगाने को लेकर समझौते हुए थे, अब तक नहीं लग पाए हैं। हालांकि, इस डील का भारत को फायदा ये हुआ कि उसने लिए दुनियाभर का परमाणु बाजार खुल गया। ................................... META को संसदीय समिति मानहानि नोटिस भेजेगी: CEO जुकरबर्ग ने कहा था- कोविड के बाद मोदी सरकार हारी फेसबुक, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम को ऑपरेट करने वाली कंपनी META को भारत की संसदीय समिति मानहानि का समन भेजेगी। यह समन META के CEO मार्क जुकरबर्ग के उस बयान को लेकर भेजा जाएगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोविड के बाद भारत में मोदी सरकार हार गई थी। पूरी खबर पढ़ें...

Jan 16, 2025 - 02:45
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अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं से बैन हटाया:20 साल से लगा था प्रतिबंध; अमेरिकी NSA ने परेशानियां दूर करने की बात कही थी
अमेरिका ने बुधवार को 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अन

अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं से बैन हटाया: 20 साल से लगा था प्रतिबंध

अमेरिका ने तीन प्रमुख भारतीय परमाणु संस्थाओं से लगाया गया बैन हटा लिया है, जिससे भारतीय परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नई उम्मीद जगी है। यह बैन पिछले 20 वर्षों से प्रभावी था, और इसे हटाने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण और रणनीतिक बातचीत शामिल हैं। इस फैसले का भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण अर्थ है।

बैन हटाने की पृष्ठभूमि

इन तीन संस्थाओं पर बैन 1998 में भारत द्वारा परमाणु परीक्षणों के बाद लगाया गया था। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने इसे हटाने के लिए कई प्रयास किए हैं, और उन्होंने भारत की परमाणु नीति में सुधार की ओर इशारा किया। अब, इस बदलाव के बाद, इन संस्थाओं को न केवल अमेरिका से सहयोग मिलेगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के परमाणु कार्यक्रम को मान्यता देने का भी एक संकेत है।

समस्याओं का समाधान

अमेरिकी NSA ने कहा कि इस फैसले का उद्देश्य दोनों देशों के बीच जारी परेशानियों को दूर करना और सहयोग बढ़ाना है। अमेरिका का मानना है कि भारत की परमाणु संस्थाएँ विश्वसनीय हैं और इनके साथ साझेदारी से वैश्विक सुरक्षा में योगदान दिया जा सकता है। यह कदम भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा योजना के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है।

आगे की राह

बैन के हटने के साथ ही अब भारत अमेरिका के साथ अधिकतम टेक्नोलॉजिकल एक्सचेंज कर सकेगा। इसके चलते भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी। यह निर्णय किसी भी समय भारत और अमेरिका के बीच में रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर पैदा कर सकता है।

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