अमेरिकी उपराष्ट्रपति का ग्रीनकार्ड होल्डर्स पर बयान:वेंस बोले- उन्हें हमेशा रहने का हक नहीं, सरकार देश से बाहर निकाल सकती है
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने ग्रीन कार्ड होल्डर्स पर बयान देते हुए कहा कि उन्हें हमेशा अमेरिका में रहने का हक नहीं है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में वेंस ने कहा ग्रीन कार्ड रखने का मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति को अमेरिका में हमेशा रहने का अधिकार मिल जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास ग्रीन कार्ड होल्डर्स को निकालने का अधिकार है। ग्रीन कार्ड को कानूनी तौर पर स्थायी निवासी कार्ड के नाम से जाता है। इससे अमेरिका में स्थायी तौर पर रहने और काम करने का अधिकार मिलता है, बशर्ते कि व्यक्ति ऐसे अपराध में शामिल न हो जिससे इमिग्रेशन कानूनों का उल्लंघन होता हो। ग्रीन कार्ड के इंतजार में 12 लाख भारतीय अमेरिका में ग्रीन कार्ड रखने वाले लोगों में मेक्सिको के बाद भारतीय दूसरे नंबर पर हैं। 2022 में 1.27 लाख भारतीयों को ग्रीन कार्ड मिला है। इनके अलावा 12 लाख से ज्यादा भारतीय प्रवासी ग्रीन कार्ड की वेटिंग लिस्ट में हैं। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक वेंस के बयान के बाद ग्रीन कार्ड धारकों में यह चिंता बढ़ सकती है कि वे अचानक निर्वासित किए जा सकते हैं। कई सालों से अमेरिका में रहकर कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने वाले प्रवासियों के बीच इस बात का डर फैल सकता है कि राजनीतिक फैसलों से उनका स्थायी निवास पर असर पड़ सकता है। ट्रम्प गोल्ड कार्ड सिटिजनशिप को बढ़ावा दे रहे वेंस की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, ‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’ नाम के एक वीजा प्रोग्राम को बढ़ावा दे रहे हैं। इस प्रोग्राम के तहत विदेशी नागरिक 5 मिलियन डॉलर यानी करीब 44 करोड़ रुपए देकर अमेरिका की नागरिकता हासिल कर सकते हैं। ट्रम्प ने इसे अमेरिकी नागरिकता का रास्ता बताया है। ट्रम्प ने ‘गोल्ड कार्ड’ को EB-5 वीजा प्रोग्राम का विकल्प बताया और कहा कि भविष्य में 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाएंगे। फिलहाल अमेरिकी नागरिकता के लिए EB-5 वीजा प्रोग्राम सबसे आसान रास्ता है। इसके लिए लोगों को 1 मिलियन डॉलर (करीब 8.75 करोड़ रुपए) देने होते हैं। ट्रम्प के मुताबिक यह वीजा कार्ड अमेरिकी नागरिकता के रास्ते खोलेगा। इसे खरीदकर लोग अमेरिका आएंगे और यहां बहुत ज्यादा टैक्स भरेंगे। उन्होंने दावा किया कि यह प्रोग्राम बहुत सफल होगा और इससे राष्ट्रीय कर्ज का भुगतान जल्द हो सकता है। 35 साल पुरानी व्यवस्था बदलेंगे ट्रम्प अमेरिका में स्थायी तौर पर रहने के लिए ग्रीन कार्ड की जरूरत होती है। इसके लिए EB-1, EB-2, EB-3, EB-4 वीजा प्रोग्राम हैं, लेकिन EB-5 वीजा प्रोग्राम सबसे ज्यादा बेहतर है। यह 1990 से लागू है। इसमें शख्स किसी रोजगार देने वाले नियोक्ता से नहीं बंधे होते हैं और अमेरिका में कहीं भी रहकर काम या फिर पढ़ाई कर सकते हैं। इसे हासिल करने में 4 से 6 महीने लगते हैं। EB-4 वीजा प्रोग्राम का मकसद विदेशी निवेश हासिल करना है। इसमें लोगों को किसी ऐसे बिजनेस में 1 मिलियन डॉलर का निवेश करना होता है, जो कम से कम 10 नौकरियां पैदा करता हो। यह वीजा प्रोग्राम निवेशक, उसकी पति या पत्नी और 21 साल के कम उम्र के बच्चों को अमेरिकी स्थायी नागरिकता देते हैं। भारतीय लोगों पर क्या असर होगा? रिपोर्ट्स के मुताबिक वे भारतीय जो अमेरिकी नागरिकता लेने के लिए EB-5 प्रोग्राम पर निर्भर थे, उनके लिए ‘ट्रम्प वीजा प्रोग्राम’ काफी महंगा पड़ सकता है। EB-5 कार्यक्रम को खत्म करने से लंबे ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे स्किल्ड भारतीय प्रोफेशनल्स को भी नुकसान हो सकता है। भारतीय आवेदकों को पहले से ही रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड कैटेगरी के तहत दशकों तक इंतजार करना पड़ता है। गोल्ड कार्ड की शुरुआत के साथ इमिग्रेशन सिस्टम उन लोगों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है जो भारी कीमत नहीं चुका सकते। ------------------------- ट्रम्प से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें.... ट्रम्प के जन्मजात नागरिकता खत्म करने के आदेश पर रोक:कोर्ट ने 14 दिन का स्टे लगाया, कहा- यह आदेश परेशान करने वाला अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के जन्मजात नागरिकता अधिकार समाप्त करने के फैसले पर 14 दिनों के लिए रोक लगा दी। फेडरल कोर्ट के जज जॉन कफनौर ने वॉशिंगटन, एरिजोना, इलिनोइस और ओरेगन राज्य की याचिका पर यह फैसला सुनाया। पूरी खबर यहां पढ़ें....

अमेरिकी उपराष्ट्रपति का ग्रीनकार्ड होल्डर्स पर बयान
हाल ही में, अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने ग्रीनकार्ड होल्डर्स के अधिकारों पर एक विवादास्पद बयान दिया। उपराष्ट्रपति वेंस ने कहा कि ग्रीनकार्ड होल्डर्स को हमेशा रहने का हक नहीं है और सरकार उन्हें देश से बाहर निकाल सकती है। यह बयान अमेरिका में प्रवासियों और उनके अधिकारों के मुद्दे पर नई बहस को जन्म दे सकता है।
ग्रीनकार्ड का महत्व और स्थिति
ग्रीनकार्ड, जिसे 'स्थायी निवास कार्ड' भी कहा जाता है, एक ऐसा दस्तावेज है जो अमेरिकी सरकार द्वारा विदेशियों को दिया जाता है जिससे उन्हें अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति मिलती है। हालांकि, ऐसा लगता है कि उपराष्ट्रपति द्वारा दिया गया यह बयान इन अधिकारों की सुरक्षा पर सवाल उठाता है।
वेंस का बयान और उसके टूटते टुकड़े
वेंस ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि ग्रीनकार्ड होल्डर्स को यह नहीं सोचना चाहिए कि उनका स्थान सुनिश्चित है। उन्होंने कहा कि 'सरकार के पास ऐसा अधिकार है कि वह ग्रीनकार्ड होल्डर्स को निकाल सकती है।' इस प्रकार के बयान से यह स्पष्ट है कि प्रवासियों के लिए अमेरिका में स्थायी रहने की चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं।
समाज और राजनीति पर प्रभाव
इस बयान के बाद से अनेक सामाजिक संगठनों और प्रवासी समुदायों ने चिंता व्यक्त की है। ऐसे विचारों का व्यापक प्रचार-प्रसार प्रवासियों के मानसिक स्वास्थ्य और समाज में विविधता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कई लोग इसे अमेरिका की आव्रजन नीति में बदलाव के संकेत के रूप में देख रहे हैं।
क्या इसके बाद कोई कार्रवाई होगी?
हालांकि, इस बयान का तात्कालिक प्रभाव क्या होगा यह देखना बाकी है। प्रवासी अधिकारों पर कड़ी नजर रखने वाले संगठनों ने इस मुद्दे को आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया है। उनके अनुसार, हमने ऐसे ऐतिहासिक उदाहरण देखे हैं जहां नीतियों में बदलाव संभव होता है, विशेषकर चुनावी मौसम में।
समाज में सभी के अधिकारों की रक्षा आवश्यक है, और हमें प्रवासियों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए।
News by indiatwoday.com
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