असम-खदान से एक शव निकाला, 48 घंटे से 8 फंसे:300 फीट नीचे कोयला निकाल रहे थे, अचानक पानी भरा; नेवी के गोताखोर रेस्क्यू में जुटे

असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में फंसे 9 मजदूरों में एक का शव बाहर निकाल लिया गया। 8 अभी भी फंसे है। हादसा 6 जनवरी को हुआ था, जब मजदूर खदान में कोयला निकाल रहे थे। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए सेना को लगाया गया है। मंगलवार रात ऑपरेशन रोक दिया गया था। सुबह फिर से रेस्क्यू शुरू हो गया है। NDRF और SDRF की टीम भी मदद कर रही है। भारतीय सेना और असम राइफल्स के गोताखोर और मेडिकल टीम के साथ इंजीनियर्स टास्क फोर्स रेस्क्यू में शामिल हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये रैट माइनर्स की खदान है। इसमें 100 फीट तक पानी भर गया है, जिसे दो मोटर की मदद से निकाला जा रहा है। पुलिस ने खदान के मालिक पुनीश नुनिसा को गिरफ्तार कर लिया है। रेस्क्यू ऑपरेशन की 5 तस्वीरें... प्रत्यक्षदर्शी बोले- अचानक पानी आया, निकलने का मौका नहीं मिला दीमा हसाओ जिले के एसपी मयंक झा ने बताया कि खदान में कई मजदूरों के फंसे होने की आशंका है। प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के मुताबिक अचानक पानी आया, जिसके कारण मजदूर खदान से बाहर नहीं निकल पाए। इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम, लोकल अधिकारियों और माइनिंग एक्सपर्ट की टीमों के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। खदान में फंसे मजदूरों का पता लगाया जा रहा है। उमरंगसो कोयला खदान में फंसे मजदूरों के नाम 2018 में भी मारे गए थे 15 रैट होल माइनर्स ऐसा ही एक हादसा मेघालय की ईस्ट जयंतिया हिल्स में 2018 में हुआ था। जहां 15 मजदूर कोयला खदान में फंसकर मारे गए थे। 13 दिसंबर को इस खदान में 20 खनिक 370 फीट गहरी खदान में घुसे थे, जिसमें से 5 मजदूर पानी भरने से पहले बाहर निकल आए थे। 15 मजदूरों को बचाया नहीं जा सका था। रैट होल माइनिंग क्या है? रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है। हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है। रैट होल माइनिंग नाम की प्रोसेस का इस्तेमाल आम तौर पर कोयले की माइनिंग में होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है। रैट माइनिंग पर 2014 में NGT ने लगाया था बैन रैट माइनिंग कोयला खदानों में काम करने वाले मजदूरों ने ईजाद की थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, यानी NGT ने 2014 में इस पर बैन लगा दिया था। एक्सपर्ट्स ने इसे अवैज्ञानिक तरीका बताया था। हालांकि विशेष परिस्थितियों, यानी रेस्क्यू ऑपरेशन में रैट माइनिंग पर प्रतिबंध नहीं है। ये खबर भी पढ़ें... भुज में बोरवेल में गिरी 18 वर्षीय लड़की की मौत: 500 फीट की गहराई में फंसी हुई थी गुजरात में भुज तालुका के कंढेराई गांव में सोमवार सुबह 540 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 18 वर्षीय लड़की इंदिरा को मंगलवार को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पढ़ें पूरी खबर...

Jan 8, 2025 - 09:35
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असम-खदान से एक शव निकाला, 48 घंटे से 8 फंसे:300 फीट नीचे कोयला निकाल रहे थे, अचानक पानी भरा; नेवी के गोताखोर रेस्क्यू में जुटे
असम के दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में 300 फीट गहरी कोयला खदान में फंसे 9 मजदूरों में एक का शव बाहर निका

असम में खदान से शव निकाला, 48 घंटे से फंसे 8 मजदूर

असम में एक दुखद घटना सामने आई है, जहाँ एक खदान में करंट लगने के कारण 48 घंटे से आठ मजदूर फंसे हुए थे। खदान की गहराई लगभग 300 फीट थी, जहां ये मजदूर कोयला निकालने का काम कर रहे थे। अचानक खदान में पानी भर गया, जिससे स्थिति बहुत गंभीर हो गई। यह हादसा असम के एक कोयला खदान में हुआ, जहाँ से एक शव भी निकाला गया है। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।

गोताखोरों का रेस्क्यू ऑपरेशन

इस दुर्घटना के बाद, भारतीय नौसेना के गोताखोरों को रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भेजा गया है। वे सटीकता के साथ इस खतरनाक स्थिति में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उनके साथ स्थानीय प्रशासन भी इस रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद कर रहा है। गोताखोरों ने अब तक एक शव निकाला है, जबकि बाकी की तलाश जारी है।

स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए घायलों के लिए सहायता देने का आश्वासन दिया है। साथ ही, उन्होंने घटना की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की है। खदान की सुरक्षा मानकों के बारे में सवाल उठने लगे हैं, और यह मामला एक कानूनी जांच का विषय बन सकता है। प्रशासन ने मजदूरों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है।

समुदाय से अपील

इस घटना ने स्थानीय समुदाय को एकजुट किया है। लोग एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से स्पष्टता की मांग की है कि वे सुरक्षा मानकों में सुधार करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

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