आगरा किले के सामने पिंजरे में युवतियों ने किया प्रदर्शन:मुर्गियों के बचाव में PETA इंडिया ने उठाई आवाज
मुर्गियों पर होने वाले अत्याचार के विरोध में आगरा किला के सामने युवतियों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने पिंजरे के अंदर खुद को प्रतीकात्मक रूप से कैद किया। मांग उठाई कि जिस तरह से महिलाओं की आजादी के लिए आवाज उठाई जाती है। इसी तरह मुर्गियों को भी आजाद करने के लिए हम आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विरोध प्रदर्शन किया है। पेटा (People for the Ethical Treatment of Animals) इंडिया से जुड़ी वालंटियर ने यह प्रदर्शन मुर्गियों पर होने वाले अत्याचार के विरोध में किया है। आगरा किला के आगे छोटे पिंजरों में कैद युवतियों को देखकर अचानक लोग रुकने लगे। यह युवतियां PETA इंडिया से जुड़ी वालंटियर थीं। जो अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पूर्व दूसरी प्रजाति की मादाओं पर होने वाले अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन कर रहीं थीं। उन्होंने खुद को एक पिंजरे में प्रतीकात्मक रूप से कैद किया हुआ था। वे मुर्गियों पर होने वाले अत्याचार के विरोध में संदेश दे रही थीं। उनका कहना था कि लोग शाकाहारी बनें। मुर्गियां अंडों के अनेक यातनाएं सहती हैं। एक मुर्गी एक साल में देती है 15 अंडे एक मुर्गी एक साल में 15 अंडे देती है, लेकिन उससे केमिकल और हारमोंस के प्रयोग से जबरन लगभग 300 अंडे दिलवाए जाते हैं। जिसकी वजह से उन्हें अनेकों असहनीय यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के अधिकारों की बात करते हैं। इसी वजह से हम दूसरी प्रजातियों की मादाओं का भी ख्याल रखें। उनके प्रति हो रहे क्रूर व्यवहार को कम करने के लिए शाकाहार अपनाएं। PETA इंडिया से जुड़ी अनुष्का यादव ने बताया कि कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। हम महिलाओं की आजादी की बात करते हैं। लेकिन दूसरी प्रजाति की मादाओं के बारे में भी सोचना चाहिए। जैसे मुर्गियां आजीवन छोटे पिंजौर में कैद रहती हैं। उन्हें अपने पंख फैलाने तक का मौका नहीं मिलता। इसी के विरोध में प्रतीकात्मक रूप से आज हमने आगरा किला के सामने पिंजरे में कैद होकर प्रदर्शन किया है। गर्म ब्लेड से काटी जाती है मुर्गियों की चोंच अनुष्का यादव ने बताया कि जब मुर्गियां पिंजरे में कैद रहती हैं तो उनकी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। जिसकी वजह से वह आक्रामक हो जाती हैं। एक दूसरे पर अपनी चोंच से हमला कर देती हैं। इसी वजह से गर्म ब्लेड से उनकी चोंच को काट दिया जाता है। जिससे कि वह एक दूसरे को नुकसान ना पहुंचाएं। यह प्रक्रिया काफी दर्दनाक होती है। शाकाहारी बनें, जानवरों पर दया करें उनका कहना था कि हमें जानवरों के प्रति दया करनी चाहिए। हमें शाकाहारी बन उनके प्रति दयालुता का भाव रखना चाहिए। साथ ही जानवरों को यातनाएं देकर मिलने वाले किसी भी प्रोडक्ट का हम प्रयोग करना बंद कर दें। जिससे कि जानवरों को उसके लिए यह सब सहना न पड़े।

आगरा किले के सामने पिंजरे में युवतियों ने किया प्रदर्शन:मुर्गियों के बचाव में PETA इंडिया ने उठाई आवाज
हाल ही में आगरा किले के सामने एक अनोखा प्रदर्शन देखने को मिला, जहां युवा महिलाओं ने पिंजरे में बंद होकर मुर्गियों की सुरक्षा के लिए अपनी आवाज उठाई। यह प्रदर्शन पशु अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से PETA इंडिया द्वारा आयोजित किया गया था। इस घटना ने न केवल आगरा बल्कि पूरे देश में ध्यान आकर्षित किया है।
प्रदर्शन का उद्देश्य
PETA इंडिया का यह प्रयास मुर्गियों और अन्य जानवरों की भलाई के लिए प्रहरी बनना है। प्रदर्शन में शामिल युवतियों ने अपने संदेश के माध्यम से यह दिखाना चाहती थीं कि मुर्गियों का जीवन भी मूल्यवान है और उन्हें अच्छा जीवन जीने का अधिकार है। पिंजरे में रहना मुर्गियों के लिए कितना कठिन होता है, इसे दर्शाने के लिए उन्होंने इस प्रदर्शन का सहारा लिया।
समुदाय की प्रतिक्रिया
आगरा किले के पास यह नज़ारा बस सर्दी में आयोजित किसी सामान्य सफर से कहीं ज्यादा था। लोगों ने इस प्रदर्शन की प्रशंसा की और इसे एक सकारात्मक पहल माना। कई दर्शकों ने युवतियों के साहस को सराहा और PETA की अपील के साथ जुड़ने का संकेत दिया। इस घटना ने अन्य संगठनों को भी प्रेरित किया कि वे जानवरों के अधिकारों के लिए और भी सक्रिय हों।
PETA इंडिया की अभियान की जानकारी
PETA इंडिया लगातार विभिन्न प्रकार के अभियानों के माध्यम से जानवरों के अधिकारों के लिए काम कर रही है। उनका उद्देश्य लोगों को यह जागरूक करना है कि जानवरों को भी प्रेम और सम्मान की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के अभियान न केवल जन जागरूकता को बढ़ाते हैं, बल्कि लोगों को अपने विचार बदलने की दिशा में भी प्रेरित करते हैं।
समापन
आगरा किले के सामने किया गया प्रदर्शन इस बात का सबूत है कि जन जागरूकता का स्तर कितना बढ़ रहा है। PETA इंडिया और युवा समुदाय ने मिलकर जानवरों के अधिकारों के लिए एक प्रभावी कदम उठाया है। आगे चलकर इस प्रकार के अभियानों को और भी बढ़ावा मिलना चाहिए।
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