आजमगढ़ में बिना टेंडर के लगी लाखों की लाइटें:अल्पसंख्यक बहुल इलाके में नगर पालिका अध्यक्ष ने लगवाई लाइटें, EO बोले नहीं हुआ टेंडर
आजमगढ़ जिले के नगर पालिका में लाखों रुपए की लाइटें बिना टेंडर के लगवाए जाने का मामला सामने आया है। यह आरोप नगर पालिका के अध्यक्ष सरफराज आलम पर लगा है। नगर पालिका के अध्यक्ष सरफराज आलम पर आरोप है कि नियम कानून को तक पर रखकर अपने चहेतों को लाइट लगवाने का टेंडर दिया और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में 16 से अधिक यह लाइट लगाई गई हैं। जिले में बिना टेंडर के लगाई गई यह लाइटे चर्चा का विषय बनी हुई है। हालांकि इस बारे में नगर पालिका के अध्यक्ष मंसूर आलम ने पल्ला झाड़ने हुए कहा कि बिना टेंडर के कौन ठेकेदार लाइट लगाएगा उन्होंने इस पूरे मामले को बेबुनियाद बताया है। भाजपा नेता बोले दोषियों पर हो करवाई इस बारे में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष हरवंश मिश्रा का कहना है कि जिस तरह से जिले में विकास के नाम पर नियम कानून को तक पर रखकर यह बिजली की लाइट लगवाई गई है। ऐसे में इस पूरे मामले की जांच कर कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। नगर पालिका के EO बोले नहीं हुआ टेंडर इस बारे में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी विवेक त्रिपाठी ने बताया कि लाइट का टेंडर हुआ ही नहीं। यदि किसी व्यक्ति ने निजी तौर पर लगाया है तो इस मामले की जानकारी नहीं। वही नगर पालिका के अधिकारी का कहना है कि बिना टेंडर के जो भी लाइट लगी है इनका भुगतान नहीं किया जा सकता है। अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिले के कुछ चुनिंदा इलाकों में जिस तरह से लाइट लगाई गई है उससे साफ जाहिर होता है कि इसमें किस तरह का खेल किया गया है।

आजमगढ़ में बिना टेंडर के लगी लाखों की लाइटें
आजमगढ़ में नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा एक विवादास्पद कदम उठाया गया है, जिसमें बिना किसी टेंडर के लाखों की लाइटें लगाई गई हैं। यह स्थिति विशेष रूप से अल्पसंख्यक बहुल इलाके में सामने आई है, जिससे स्थानीय निवासियों में नाराजगी का खुलासा हो रहा है। यह मामला कई पक्षों में चर्चा का विषय बन गया है। News by indiatwoday.com
नगर पालिका अध्यक्ष का विवादित निर्णय
नगर पालिका अध्यक्ष ने इस परियोजना को तुरन्त लागू किया, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में बेहतर रोशनी प्रदान करना बताया गया है। हालांकि, इस कार्रवाई के पीछे की मंशा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि इस कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया का पालन किया गया होता, तो यह अधिक पारदर्शी होता।
EO का बयान
नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी (EO) ने स्पष्ट किया कि इस लाइटिंग परियोजना के लिए कोई टेंडर नहीं हुआ था। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया आवश्यक कानूनों का उल्लंघन करती है। इसके परिणामस्वरूप, स्थानीय प्रशासन की छवि पर धब्बा लगा है और नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है।
स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर सही तरीके से टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती, तो यह परियोजना न केवल नियमों के अनुसार होती बल्कि भ्रष्टाचार को भी रोकने में मदद करती। इसके साथ ही, यह भी चिंता व्यक्त की गई है कि भविष्य में ऐसे निर्णय जिले के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
भविष्य की दिशा
इस मामले को लेकर अब स्थानीय राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं। सभी ने मांग की है कि नगर पालिका अध्यक्ष को इस निर्णय को वापस लेना चाहिए और उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए एक पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
सम्पूर्ण घटनाक्रम से यह मुद्दा स्पष्ट होता है कि प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही महत्वपूर्ण हैं। इससे नागरिकों में विश्वास बना रह सकता है और भविष्य में बेहतर विकास संभव हो सकता है।
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