आजमगढ़ में माता का वार्षिक श्रृंगार लगा 56 भोग:मंदिर के पुजारी बोले एक साथ मिलता है सारी शक्तियों का आशीर्वाद, 15 वर्षों से चली आ रही है परंपरा

आजमगढ़ जिले के चौक स्थित महाकाली के दक्षिण मुखी मंदिर में प्रतिवर्ष वार्षिक श्रृंगार का कार्यक्रम किया जाता है। इस दौरान मंदिर को फूल मालाओं और झूमरों, तरह-तरह की रंग बिरंगी लाइटिंग से सजाया जाता है। नव वर्ष की पूर्व संध्या से मंदिर में भक्तों की उमराने वाली भीड़ वार्षिक श्रृंगार तक जारी रहती है। प्रतिवर्ष चार और पांच जनवरी को मां काली का वार्षिक श्रृंगार किया जाता है। इस वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दूर-दूर से भक्त आते हैं और मां का दर्शन का आशीर्वाद लेते हैं। नववर्ष से ही यह तैयारी शुरू हो जाती हैं। मंदिर में वार्षिक श्रृंगार को देखते हुए मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में दुकान लग जाती हैं। जहां से भक्त मां के प्रसाद लेकर मां के चरणों में अर्पण कर अपने मन की मुराद मांगते हैं। और मां काली अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं। यही कारण है कि दक्षिण मुखी मां काली मंदिर में भक्तों का भारी मेला उमड़ता है। इस दौरान माता को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया जाता है, और मंदिर परिसर में उत्सव जैसा माहौल रहता है। यह परंपरा विगत 15 वर्षों से चली आ रही है। कोलकाता के बाद दूसरा है आजमगढ़ में मंदिर इस बारे में दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए मंदिर के पुजारी शरद त्रिपाठी ने बताया कि इस वार्षिक श्रृंगार कार्यक्रम में दूसरे राज्यों से भी भक्त माता के दर्शनों के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारी का कहना है कि माता को इस दौरान 56 भोग के प्रसाद चढ़ाया जाते हैं। जिन्हें बाद में भक्तों के बीच वितरित किया जाता है। इसके साथ ही इस समय सारी शक्तियां एक साथ रहती हैं ऐसे में सारी शक्तियों का आशीर्वाद एक साथ भक्तों को मिलता है। कोलकाता में दक्षिणेश्वर मंदिर के बाद आजमगढ़ में ही दक्षिण मुखी मंदिर है। यह मंदिर तांत्रिक मंदिर माना जाता है। यही कारण है कि यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्र के अतिरिक्त नव वर्ष के साथ-साथ पड़ने वाले त्योहार विजयदशमी के दिन भी दक्षिण मुखी माता के मंदिर में भक्तों का भारी मेला उमड़ता है। मंदिर की महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आए दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर के बाहर भंडारे का भी आयोजन करते हैं। जिसमें बड़ी संख्या में भक्ति सहभागिता करते हैं।

Jan 5, 2025 - 01:25
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आजमगढ़ में माता का वार्षिक श्रृंगार लगा 56 भोग

परंपरा का महत्व

आजमगढ़ में माता के वार्षिक श्रृंगार का आयोजन एक विशेष धार्मिक परंपरा है जिसमें 56 भोगों का प्रसाद अर्पित किया जाता है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि यह परंपरा पिछले 15 वर्षों से जारी है और इस दिन पूजा के माध्यम से सभी शक्तियों का आशीर्वाद एक साथ मिलता है। हर साल श्रद्धालु इस अद्भुत आयोजन का हिस्सा बनने के लिए बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं, जो भक्तों की आस्था और भक्ति को दर्शाता है।

विशेष प्रसाद और भोग

इस विशेष दिन पर मंदिर में देवी मां को 56 प्रकार के स्वादिष्ट भोग अर्पित किए जाते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के मिठाई, फल, और अन्य खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। यह भोग माता को समर्पित किया जाता है और उसके बाद श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन अर्पित किए गए भोग से उन्हें मानसिक और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

सामुदायिक भागीदारी

इस आयोजन में ना केवल स्थानीय लोग, बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु भी आते हैं। यह भव्य उत्सव सामुदायिक एकता का प्रतीक है और भक्तों के बीच प्रेम और सद्भावना का संचार करता है। मंदिर प्रबंधन समिति भी इस आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए तैयारियों में जुटी हुई है। विशेष रूप से, इस दिन पर भक्तों के लिए कई धार्मिक कार्यक्रम और गीत-संगीत का आयोजन किया जाता है।

इस वार्षिक श्रृंगार का अवसर केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव बन गया है, जहाँ लोग मिलजुल कर माता की भक्ति में लीन हो जाते हैं।

इस प्रकार, आजमगढ़ का यह वार्षिक श्रृंगार निश्चित रूप से एक अद्भुत अनुभव देता है और हर भक्त के दिल में विशेष स्थान रखता है।

News by indiatwoday.com

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