आसाराम को 11 साल में पहली बार जमानत मिली:सुप्रीम कोर्ट से 31 मार्च तक बेल; रेप का दोषी है, जोधपुर जेल में सजा काट रहा
जोधपुर सेंट्रल जेल में रेप के आरोप में आजीवन सजा काट रहे आसाराम को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। आसाराम को 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर की विशेष POCSO अदालत ने नाबालिग के साथ रेप का दोषी ठहराया था। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। आसाराम 2 सितंबर 2013 से जोधपुर की सेंट्रल जेल में है। आसाराम सूरत आश्रम में एक महिला अनुयायी के साथ कई मौकों पर बलात्कार करने के लिए भी दोषी है। करीब 5 महीने पहले आसाराम को पहली बार जोधपुर हाईकोर्ट से 7 दिन की पैरोल मिली थी। आसाराम 2 मामलों में गुनहगार : जोधपुर और गांधीनगर कोर्ट के फैसलों में भी दोषी जोधपुर कोर्ट: आसाराम को जोधपुर पुलिस ने इंदौर के आश्रम से साल 2013 में गिरफ्तार किया था। इसके बाद से आसाराम जेल में बंद था। पांच साल तक लंबी सुनवाई के बाद 25 अप्रैल 2018 को कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। गांधीनगर कोर्ट: आसाराम के खिलाफ गुजरात के गांधीनगर में आश्रम की एक महिला ने रेप का मामला दर्ज करवाया था। कोर्ट ने 31 जनवरी 2023 को इस मामले में आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

आसाराम को 11 साल में पहली बार जमानत मिली
News by indiatwoday.com
सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम को जमानत देने का फैसला सुनाते हुए उन्हें 31 मार्च तक बेल प्रदान की है। यह उनकी वकील द्वारा की गई जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद हुआ है। आसाराम, जिन्हें रेप के मामले में दोषी पाया गया है, जोधपुर जेल में सजा काट रहे हैं। यह जमानत उन सभी लिए एक नई उम्मीद के रूप में उभरकर आई है, जिन्होंने आसाराम के खिलाफ मामले का सामना किया है।
आसाराम की ज़िंदगी और विवाद
आसाराम बापू के खिलाफ लगे आरोपों ने देश में काफी हंगामा मचाया है। 2013 में रेप का मामला सामने आने के बाद से वे लगातार जेल में हैं। ऐसे में, उनके समर्थकों में यह बात चर्चाओं का विषय है कि क्या 11 साल बाद उन्हें जमानत मिलेगी। इस निर्णय से कुछ लोग आसाराम को निर्दोष मानते हैं, जबकि अन्य इसे उनके द्वारा किए गए अपराधों की अनदेखी करार देते हैं।
आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
हालांकि आसाराम को जमानत मिल गई है, लेकिन उन्हें कई शर्तों का पालन करना होगा। अदालत ने स्पष्ट किया है कि उन्हें जेल का समर्पण नहीं करना है और जमानत की शर्तों का उल्लंघन होने पर उन्हें फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है।
निष्कर्ष
आसाराम की जमानत का फैसला निश्चित रूप से एक संवेदनशील मुद्दा है जो लोगों के बीच विभाजन पैदा कर सकता है। यह देखना होगा कि अगले चरण में अदालतों द्वारा इस मामले में क्या निर्णय लिया जाता है।
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