कलराज मिश्र बोले-महाकुंभ में गैर हिंदू भी जा सकते हैं:बशर्ते उनकी सनातन के प्रति आस्था हो; राजस्थान के गर्वनर ने कहा-संविधान कभी खत्म नहीं हो सकता
मुरादाबाद पहुंचे राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि महाकुंभ में जाने के लिए किसी का हिंदू होना जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि कुंभ में कोई भी जा सकता है, फिरा वो हिंदू हो या गैर हिंदू। बशर्ते उसकी सनातन में और धर्म में आस्था होनी चाहिए। तमाम साधु संत इस बात की मांग कर रहे हैं कि महाकुंभ में आने वालों के आधार कार्ड चेक किए जाएं और मुस्लिमों की एंट्री महाकुंभ में पूरी तरह से बैन हो। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जब हिंदू मक्का नहीं जा सकते तो फिर मुस्लिमों को महाकुंभ में एंट्री क्यों दी जाए। ऐसे समय में राजस्थान के गर्वनर का ये बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। गुरुवार को मुरादाबाद पहुंचे राजस्थान के राज्यपाल ने मीडिया के साथ बातचीत में यह प्रतिक्रिया दी। उनसे पूछा गया था कि महाकुंभ में मुस्लिमों की एंट्री बैन करने की मांगें उठ रही हैं। इस पर कलराज मिश्र ने कहा, जो भी सनातन के प्रति आस्था रखते हैं, धर्म के प्रति आस्था रखते हैं। ऐसे सभी लोग महाकुंभ में जा सकते हैं। चाहे हिंदू हों या गैरहिंदू। संभल दंगे की फाइल फिर से खोले जाने के सवाल पर कलराज मिश्र ने कहा कि, ये देखना यूपी सरकार का काम है। सरकार ने अगर ऐसा कोई निर्णय लिया है तो वो इस मामले में आगे कोई कार्रवाई करेगी। मंदिरों के सर्वे के सवाल पर राजस्थान के राज्यपाल ने कहा, जहां भी पुरातत्व विभाग को लगेगा कि सर्वे करना जरूरी है, वो सर्वे करेगा।

कलराज मिश्र बोले-महाकुंभ में गैर हिंदू भी जा सकते हैं: बशर्ते उनकी सनातन के प्रति आस्था हो
राजस्थान के गर्वनर कलराज मिश्र ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि महाकुंभ में गैर हिंदू लोग भी शामिल हो सकते हैं, बशर्ते उनकी सनातन के प्रति आस्था हो। यह घोषणा न केवल धार्मिक सहिष्णुता का परिचायक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की समग्रता को भी प्रमुखता देती है। इस बयान ने महाकुंभ में भाग लेने वाले विभिन्न धर्मों के लोगों के लिए एक नए दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया है। News by indiatwoday.com
महाकुंभ और उसका महत्व
महाकुंभ एक धार्मिक महोत्सव है जो हर 12 वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है। यह आयोजन हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस महोत्सव में श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर डुबकी लगाते हैं, जिसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। हालाँकि, कलराज मिश्र के बयान ने इसे एक नए तरीके से परिभाषित किया है, जो धार्मिक सीमाओं को पार कर जाता है।
गैर हिंदुओं के लिए संदर्भ
गर्वनर मिश्र ने कहा कि महाकुंभ में आने वाले गैर हिंदू लोगों को भी आमंत्रित किया गया है, बशर्ते उनके मन में सनातन पर विश्वास हो। इस स्थिति ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि धर्म न केवल एक पहचान है, बल्कि एक आस्था और विश्वास का विषय भी है। यह विचार धार्मिक एकता को बढ़ावा देने का प्रयास है।
संविधान का महत्व
कलराज मिश्र ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय संविधान कभी खत्म नहीं हो सकता। संविधान की स्थिरता और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी नागरिकों की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संविधान में नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों की स्पष्ट परिभाषा की गई है, जिसे सम्मानित करना चाहिए।
समाज में सहिष्णुता
मिश्र के बयान ने विभिन्न धार्मिक समुदायों के मध्य संवाद और आपसी समझ को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान किया है। भारत की विविधता में एकता का संदेश हमें हमेशा याद दिलाता है कि सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए। इस दृष्टिकोण से महाकुंभ न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह सहिष्णुता और स्वीकार्यता का प्रतीक भी है।
इस प्रवृत्ति के अनुसार, सभी धर्मों के अनुयायियों को एकजुट होकर अपने विश्वासों का सम्मान करना चाहिए। आने वाले समय में, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महाकुंभ के इस नए दृष्टिकोण को अन्य धार्मिक पर्वों पर भी अपनाया जाएगा।
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