यूपी के अल्पसंख्यक आयोगों में अध्यक्ष पद खाली:मदरसा बोर्ड परीक्षा पर पड़ रहा असर; उर्दू और हज कमेटी में भी 15 महीने से अध्यक्ष नहीं

उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। इन खाली पदों को लेकर मुस्लिम समुदाय में चिंता बढ़ रही है। वर्तमान में हज कमेटी, मदरसा बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, उर्दू अकादमी और फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल समिति के अध्यक्ष का पद खाली है। इसके अलावा, शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में परमानेंट सीईओ की नियुक्ति का इंतजार किया जा रहा है। इन खाली पदों के चलते कई अहम कार्य अटके हुए हैं। आयोगों और बोर्ड्स के अध्यक्ष के साथ कई महत्वपूर्ण कमेटियां भी भंग कर दी गई हैं, जिनका पुनर्गठन अब तक नहीं हो सका है। अल्पसंख्यक आयोग का 6 महीने से खाली पद उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का पद 27 जून 2024 को खाली हुआ था। 6 महीने में आयोग को नहीं मिला नया अध्यक्ष अशफाक सैफी का कार्यकाल समाप्त हुए 6 महीने हो चुके हैं, लेकिन आयोग को नया अध्यक्ष नहीं मिल पाया है। अल्पसंख्यक आयोग, जो अल्पसंख्यकों की समस्याओं को सुलझाने और उनके हितों की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, बिना अध्यक्ष के निष्क्रिय पड़ा है। अध्यक्ष न होने से परीक्षा की तैयारी का असर कम मदरसा बोर्ड की परीक्षा पर असर उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद का कार्यकाल 15 सितंबर 2024 को समाप्त हो गया था। बोर्ड फरवरी में मदरसों की परीक्षा आयोजित करने की तैयारी कर रहा है, लेकिन अध्यक्ष न होने के कारण इन तैयारियों पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। हज यात्रा के लिए अध्यक्ष का अभाव 2025 हज यात्रा के लिए अध्यक्ष का अभाव 2025 की हज यात्रा के लिए तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन हज कमेटी के अध्यक्ष का पद भी खाली है। पूर्व अध्यक्ष मोहसिन राजा का कार्यकाल 23 दिसंबर 2024 को समाप्त हो चुका है। बिना अध्यक्ष के हज यात्रा की व्यवस्थाओं में समस्याएं आने की संभावना है। उर्दू अकादमी का 15 महीने से पद खाली उर्दू अकादमी का 15 महीने से खाली पद सितंबर 2023 में चौधरी कैफुल वरा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से उर्दू अकादमी के अध्यक्ष का पद खाली है। अकादमी के अध्यक्ष के न होने से उर्दू भाषा के संरक्षण और उसके विकास के कार्य बाधित हो रहे हैं। उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार की समिति का भी पद खाली फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल समिति के अध्यक्ष तूरज जैदी का कार्यकाल सितंबर 2024 में समाप्त हो गया था। यह समिति उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए काम करती है। अध्यक्ष के अभाव में यहां भी कई महत्वपूर्ण कार्य रुके हुए हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद सीईओ का इंतजार उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में परमानेंट सीईओ की नियुक्ति लंबित है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 11 दिसंबर 2024 तक परमानेंट सीईओ नियुक्त करने का आदेश दिया था। हालांकि, सरकार ने समय मांगा था, जो अब समाप्त हो चुका है, लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हो पाई है। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने जाहिर की चिंता खाली पदों को लेकर चिंता व्यक्त इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा- इन पदों को जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए। उन्होंने कहा- अध्यक्ष और अधिकारियों के समन्वय से बेहतर काम होता है। मदरसा परीक्षा और हज यात्रा जैसे महत्वपूर्ण कार्य बिना अध्यक्ष के प्रभावित हो सकते हैं। सरकार को इन सभी खाली पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरना चाहिए।”

Jan 12, 2025 - 11:25
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यूपी के अल्पसंख्यक आयोगों में अध्यक्ष पद खाली: मदरसा बोर्ड परीक्षा पर पड़ रहा असर

उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक आयोगों के अध्यक्ष पदों की कमी से कई महत्वपूर्ण मामलों में रुकावट आ रही है। विशेष रूप से मदरसा बोर्ड परीक्षा पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ा है। राज्य में उर्दू और हज कमेटी के अध्यक्ष भी 15 महीने से रिक्त हैं, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय की कई आवश्यकताएँ प्रभावित हो रही हैं।

अध्यक्ष पदों की रिक्तता का प्रभाव

अल्पसंख्यक आयोगों के अध्यक्षों का निर्वाचित न होना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। ये पद खाली होने के कारण कई योजनाएं और कार्यान्वयन बाधित हो गए हैं। यह स्थिति समाज के लिए नुकसानदेह है, खासकर तब जब शिक्षा और धार्मिक मामलों में निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। मदरसा बोर्ड का कार्य सुचारू रूप से चलाना, जो कि अल्पसंख्यक छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, वर्तमान में चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

मदरसा बोर्ड परीक्षा पर प्रभाव

मदरसा शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक सुधार की आवश्यकता है, और आयोगों की अध्यक्षता की कमी इसके कार्यों को प्रभावित कर रही है। बोर्ड परीक्षा के आयोजन में देरी हो रही है, जिससे छात्रों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। नतीजतन, छात्रों को आने वाली परीक्षा में विषयों की तैयारी में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

उर्दू और हज कमेटी की स्थिति

उर्दू और हज कमेटी के अध्यक्षों के न होने से धार्मिक गतिविधियों में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। इन कमेटियों के माध्यम से किए जाने वाले निर्णयों में सुस्ती दिखाई दे रही है। सरकार को इस दिशा में शीघ्र कार्यवाही करनी चाहिए ताकि अल्पसंख्यक समुदाय की आवश्यकताओं का समय पर समाधान किया जा सके।

समुदाय की आवश्यकता और अपेक्षा

अल्पसंख्यक समुदाय की अपेक्षा है कि सरकार इन पदों को जल्दी भरेगी और उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि अल्पसंख्यक आयोग सक्रिय रूप से कार्य करे और उनकी समस्याओं को सुनने और हल करने में सक्षम हो। यह न केवल उनके अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि एक समावेशी और सशक्त समाज के लिए भी आवश्यक है।

अंत में, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सरकार इस दिशा में जल्दी कदम उठाए। इससे स्वतंत्रता, समानता और न्याय का वातावरण बनेगा।

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