कांग्रेस की जय बापू-जय भीम चौपाल:बोले- भाजपा और RSS ने किया गांधी-आंबेडकर का अपमान, गोडसे का महिमामंडन किया
देवरिया जिले के रामपुर कारखाना के ग्राम सभा कमधेनवा में कांग्रेस द्वारा आयोजित 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' चौपाल में गंभीर आरोप लगे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निवर्तमान उपाध्यक्ष और जिला प्रभारी आलोक प्रसाद ने कहा कि आरएसएस और भाजपा ने स्थापना काल से ही महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर का अपमान किया है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किया कि 26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाए जाने के महज चार दिन बाद ही आरएसएस के साप्ताहिक 'ऑर्गनाइजर' ने इसे अभारतीय करार दिया था। प्रसाद ने आरोप लगाया कि आरएसएस नाथूराम गोडसे का महिमामंडन कर गांधीजी की विचारधारा को कमजोर करने का प्रयास करता रहा है। कार्यक्रम में कांग्रेस के निवर्तमान जिलाध्यक्ष रामजी गिरि ने भाजपा पर संविधान में बदलाव की कोशिश का आरोप लगाया। किसान कांग्रेस के पूर्वी जोन अध्यक्ष सुयश मणि त्रिपाठी ने कहा कि संविधान वंचित वर्ग की रक्षा के लिए बनाया गया है। अतिथियों को किया सम्मानित कार्यक्रम के दौरान जिलाध्यक्ष जयप्रकाश पाल ने अतिथियों का सम्मान किया। इस अवसर पर कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने विचार रखे और जरूरतमंद लोगों को कंबल वितरित किए गए। कार्यक्रम में नीलेश त्रिपाठी, नागेंद्र शुक्ल, विजय शेखर मल्ल समेत कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।

कांग्रेस की जय बापू-जय भीम चौपाल का महत्व
हाल ही में, कांग्रेस पार्टी ने 'जय बापू-जय भीम' चौपाल का आयोजन किया, जिसमें नेताओं ने सूबे में फैले सामाजिक असमानताओं और भाजपा तथा RSS द्वारा किए गए गांधी और आंबेडकर के अपमान पर चर्चा की। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उन विचारों को फिर से जीवंत करना था, जिनकी नींव महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव आंबेडकर ने रखी थी। नेताओं ने बताया कि आज के समय में हमारे महान नेतागण की सोच को महत्व नहीं दिया जा रहा है, जिससे समाज में विभाजन हो रहा है।
गांधी और आंबेडकर के विचारों की साझेदारी
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा और RSS गत वर्षों में राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के इन प्रतीकों को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। चौपाल में उपस्थित नेताओं ने जोर देकर कहा कि गांधी और आंबेडकर न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे, बल्कि वे समाज के हर वर्ग के लिए एक समर्पण और सम्मान के प्रतीक भी थे। इस अवसर पर गांधी और आंबेडकर के विचारों को मान्यता देने का आग्रह किया गया।
गोड़से का महिमामंडन: एक गंभीर मुद्दा
कार्यक्रम में एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया— गोडसे का महिमामंडन। नेताओं का मानना है कि इस तरह की प्रवृत्ति समाज में नफरत और विभाजन को बढ़ावा देती है। उन्होंने मांग की कि देश को गोडसे की विचारधारा से मुक्त करना होगा और इसके लिए जागरूकता बढ़ानी होगी। अशांति को चुनौती देने की जरूरत है, ताकि हम सभी मिलकर समाज में भाईचारे का माहौल बना सकें।
कांग्रेस पार्टी ने इस चौपाल के माध्यम से स्पष्ट किया कि वह भविष्य में भी इसी तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करती रहेगी ताकि लोग सामाजिक और राजनीतिक मामलों में जागरूक हो सकें। इसके जरिए उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले चुनावों में आम आदमी की आवाज मजबूत होगी और यह उनकी ताकत बनेगा।
कांग्रेस के इस कदम से साफ जाहिर होता है कि वे गांधी और आंबेडकर के सिद्धांतों को लेकर कितनी गंभीरता से काम कर रहे हैं। यह चौपाल न केवल एक समारोह था, बल्कि यह एक आंदोलन की शुरुआत की ओर भी इशारा करता है।
भविष्य में इस तरह की पहल समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी। इस विषय पर और अद्यतन पाने के लिए, कृपया indiatwoday.com पर जाएं। इन सब बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, यह चौपाल संभवतः भारतीय राजनीति के लिए एक नया संकेत प्रदान कर रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में लोग इस दिशा में और अधिक जागरूक होंगे।
What's Your Reaction?






