कांगड़ा में राज्य स्तरीय लोहड़ी उत्सव में विवाद:प्रागपुर में कलाकारों और विधायक की अनदेखी, बालिका आश्रम की बच्चियां देंगी प्रस्तुति
हिमाचल प्रदेश के प्रागपुर में आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय लोहड़ी उत्सव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस बार के आयोजन में जहां एक तरफ बालिका आश्रम की आठ बच्चियां अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय कलाकारों और क्षेत्रीय विधायक की अनदेखी से नाराजगी का माहौल है। गायब करनैल को रखा मंच से दूर प्रशासन के निर्णय से क्षेत्र के प्रसिद्ध पहाड़ी गायक करनैल राणा और मोहित गर्ग जैसे स्थानीय कलाकारों को मंच से दूर रखा गया है। करनैल राणा ने कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलाकार किसी राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि अपनी कला से जुड़ा होता है, जो प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाता है। विधायक बिक्रम ठाकुर को नहीं बुलाया गायक मोहित गर्ग ने मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि मेले-उत्सवों को भाईचारे की भावना से मनाया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक कारणों से कलाकारों की उपेक्षा की जा रही है। विशेष रूप से क्षेत्रीय विधायक बिक्रम ठाकुर को भी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया है। जिससे स्थानीय स्तर पर असंतोष की स्थिति बन गई है। यह उत्सव जो प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का एक महत्वपूर्ण मंच है, इस बार विवादों के घेरे में आ गया है। हालांकि एक सकारात्मक पहलू यह है कि इस वर्ष बालिका आश्रम की बच्चियों को प्रदर्शन का अवसर मिला है, जो पिछले वर्ष नहीं मिला था। ऐसे आयोजनों का उद्देश्य एक मंच पर लाना वहीं स्थानीय कलाकारों के प्रति इस उपेक्षा से ग्रामीणों में भी गुस्सा है। धरोहर गांव प्रागपुर के रूपेंद्र सिंह, विनोद शर्मा और अन्य स्थानीय लोग मानते हैं कि ऐसे आयोजनों का उद्देश्य सभी को एक मंच पर लाना है, न कि किसी को बाहर रखना। स्थानीय विधायक बिक्रम सिंह ठाकुर को निमंत्रण न भेजे जाने को लेकर विवाद और बढ़ गया है। कार्यक्रम से बाहर रखा जाना दुर्भाग्यपूर्ण : विधायक विधायक ने कहा यह आयोजन क्षेत्रीय एकता और भाईचारे का प्रतीक है। मुझे इस बार कार्यक्रम से बाहर रखा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री चंद्र कुमार शिरकत करेंगे, लेकिन स्थानीय लोगों की नाराजगी से यह आयोजन विवादों में घिरता जा रहा है। क्षेत्रीय राजनीति और कला जगत की अनदेखी ने उत्सव की सफलता पर सवाल खड़ा कर दिया है। प्रशासन पर दबाव बढ़ा है कि वह इस विवाद को सुलझाने के लिए कदम उठाए।

कांगड़ा में राज्य स्तरीय लोहड़ी उत्सव में विवाद
कांगड़ा में इस वर्ष आयोजित राज्य स्तरीय लोहड़ी उत्सव के दौरान एक विवाद ने सबका ध्यान आकर्षित किया है। कार्यक्रम प्रागपुर में आयोजित किया गया था, जहाँ स्थानीय कलाकारों को अदृश्य कर दिया गया और विधायक की अनदेखी की गई। इस स्थिति ने स्थानीय लोगों के मन में सवाल उठाए हैं कि क्या सरकार अपने कलाकारों और संस्कृति को प्राथमिकता देती है या नहीं।
कार्यक्रम का विवरण
कार्यक्रम के भाग के रूप में, बालिका आश्रम की बच्चियों को प्रस्तुति देने का अवसर मिला है। यह निर्णय कई लोगों को खुश करने के साथ ही, कुछ में निराशा भी लेकर आया। स्थानीय कलाकारों को दरकिनार कर दिया जाना, इसमें एक बड़ी कमी साबित हुई। कलाकारों ने अपनी तैयारियों को लेकर कड़ी मेहनत की थी, और अब उनकी अनदेखी ने विवाद को जन्म दिया है।
स्थानीय कलाकारों की प्रतिक्रिया
स्थानीय कलाकारों ने इस निर्णय का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें भी मंच पर अपने टैलेंट को दिखाने का मौका मिलना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों में स्थानीय संस्कृति और कला को बढ़ावा देना चाहिए, न कि उसे नजरअंदाज किया जाना चाहिए। उनकी भावना है कि वे भी अपनी पेशेवर यात्रा में योगदान देना चाहते हैं।
समाज पर प्रभाव
इस विवाद ने न केवल कलाकारों को प्रभावित किया है, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। लोग अब सवाल कर रहे हैं कि क्यों विधायक और आयोजक स्थानीय प्रतिभाओं को महत्व नहीं दे रहे? इसके अलावा, बालिका आश्रम की बच्चियों का मंच पर आना, उनके लिए एक बड़ा अवसर है, लेकिन स्थानीय कलाकारों की अनदेखी उनकी महत्ता को कम कर देती है।
समाप्ति विचार
सार्वजनिक कार्यक्रमों में संतुलन होना आवश्यक है। जहां एक तरफ बालिका आश्रम की बच्चियों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय कलाकारों को भी अपनी कला दिखाने का अवसर मिलना चाहिए। इस मामले में उचित संवाद और समझौता ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता हो सकता है।
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