काशी में मिले मंदिर का जीर्णोद्धार कराएगा सनातन रिसर्च सेंटर:300 साल पुराने मंदिर का किया दावा,बोले -मंदिर हिंदुओं की सार्वजनिक संपत्ति

काशी के मदनपुरा में मिले पौराणिक सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार और पूजा पाठ सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट कराएगा। ये निर्णय शनिवार को सेंटर और ट्रस्ट की आवश्यक बैठक में लिया गया। दरअसल हाल ही में मदनपुरा के गोल चबूतरा इलाके में सालों से बंद पड़े पौराणिक सिद्धिश्वर महादेव के मंदिर की जानकारी मिली थी। जिसके बाद से इस मंदिर का ताला खोलने और पूजन पाठ कराए जाने की मांग लगातार उठ रही है। बोले- काशी खंड में मंदिर होने का उल्लेख सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट की बैठक में मौजूद लोगों ने कहा कि प्राचीनकाल में काशी के हरिकेश वन में विद्यमान देवी-देवताओं के रक्षार्थ राजा मदनपाल ने काशी के प्रथम मुहल्ला को विकसित किया था, जिसे आज मदनपुरा के नाम से जाना जाता है. इलाके में मौजूद गोलचबूतरा और स्थापित शिवलिंग और देवतीर्थ का वर्णन काशीखण्ड-4 अध्याय 97 में भी किया गया है। प्रशासन जांच जारी रखने की कर रही बात ट्रस्ट के लोगों का मानना है कि काशीखंड में जिस पुष्पदन्तेश्वर से दक्षिण परमसिद्धिप्रद सिद्धीश्वर के होने का जिक्र है वो यही सिद्धिश्वर महादेव मंदिर हैं, वहीं नजदीक में सिद्धतीर्थ कूप भी विद्यमान है, जिसे लोग गोल चबूतरा बोलते हैं, वह सिद्धकूप या सिद्धतीर्थ है। जिस दिन इस मंदिर की जानकारी सनातन प्रेमियों को हुई वे वहां जुट गए और मंदिर का ताला खोलने की मांग करने लगे। तब प्रशासन ने कागजातों का जांच करने के लिए हिंदू समाज से वक्त मांगा था। दस्तावेजों की जांच में ये पाया गया कि ये मंदिर हिंदुओं की सार्वजनिक संपत्ति है। हालांकि प्रशासन इस मामले में भी कुछ बोल नहीं रहा है और जांच जारी रखने की बात कह रहा है। आइए अब जानते हैं क्या है पूरा मामला वाराणसी गलियों का शहर है। यहां हर गली में भगवान शंकर विराजमान हैं। काशी के प्राचीन मोहल्लों में शुमार मदनपुरा को सेठ मदनपाल सिंह के नाम पर बसाया गया था। बनारसी साड़ी कारोबारियों के इस मोहल्ले में मिश्रित आबादी रहती है। हिन्दू वर्ग में बंगाली समाज के कई घर हैं। वहीं 70 फीसदी मकान मुस्लिम समुदाय के हैं। इस मोहल्ले में केवल रिहायशी मकान ही नहीं व्यवसायिक दुकानें भी हैं। इतिहासकारों की माने तो इस क्षेत्र में गंगा स्नान से लौटेने वाले लोग गलियों में मंदिरों को जलाभिषेक करते थे और फिर अपने गंतव्य को जाते थे। बंगाली टोला की सराय या धर्मशालाओं में ठहरने वाले मदनपुरा के इसी मोहल्ले से दशाश्वमेध, केदार या अन्य घाटों तक जाते थे। पुरोहित इस क्षेत्र को सिद्धेश्वर और पुष्पदन्तेश्वर तीर्थ का नाम देते हैं। अपनी बात को पुष्ट करने के लिए वह स्कन्द पुराण के काशी खंड में वर्णित श्लोक का जिक्र करते हैं। वह श्लोक भी पढ़कर सुनाते हैं- तदग्निदिशि देवर्षिगणलिङ्गान्यनेकशः। पुष्पदन्ताद्दक्षिणतः सिद्धीशः परसिद्धिदः ॥ अजय शर्मा बोले- पुराणों में मंदिर का वर्णन सनातन रक्षक दल के अजय शर्मा पिछले दिनों शिव मंदिरों से साईं प्रतिमाएं हटाने के बाद चर्चा में आए थे। अब अजय शर्मा काशी के बंद शिव मंदिरों का ताला खुलवाने की मुहिम में जुट गए हैं। उनका दावा है कि कोठी में शिव मंदिर है। जिसका पुराणों में जिक्र है। इसकी तस्वीरें भी पहले से पुस्तकों में हैं। मंदिर करीब 300 साल पुराना है और शिवलिंग उससे भी पहले का। उनका कहना है कि शिवलिंग मिट्टी में दबा है। अगर अंदर शिवलिंग नहीं मिला तो माना जाएगा किसी ने शिवलिंग को चोरी या क्षतिग्रस्त कर दिया है। ऐसे हालात में हम मंदिर में मूर्तियों की स्थापना कर पूजा पाठ करेंगे।

Jan 4, 2025 - 19:15
 66  501823
काशी में मिले मंदिर का जीर्णोद्धार कराएगा सनातन रिसर्च सेंटर:300 साल पुराने मंदिर का किया दावा,बोले -मंदिर हिंदुओं की सार्वजनिक संपत्ति
काशी के मदनपुरा में मिले पौराणिक सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार और पूजा पाठ सेंटर फॉर स

काशी में मिले मंदिर का जीर्णोद्धार कराएगा सनातन रिसर्च सेंटर

News by indiatwoday.com

300 साल पुराने मंदिर का किया गया दावा

हाल ही में काशी में एक 300 साल पुराने मंदिर की खोज की गई है, जिसे सनातन रिसर्च सेंटर द्वारा जीर्णोद्धार कराने का निर्णय लिया गया है। यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हिंदुओं की सार्वजनिक संपत्ति भी मानी जा रही है। सनातन रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञों ने उल्लेख किया कि इस मंदिर का संरक्षण और पुनर्निर्माण न केवल स्थानीय संस्कृति को जीवित रखने में मदद करेगा, बल्कि यह आगामी पीढ़ियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण धरोहर बनेगा।

मंदिर के ऐतिहासिक महत्व

इस मंदिर का जीर्णोद्धार करना एक आवश्यक कदम है, क्योंकि यह काशी की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। हिंदू धर्म में मंदिरों का विशेष महत्व होता है और यह हमारे पूर्वजों की कला और विज्ञान के ऊँचे मानकों को दर्शाता है। इस मामले में, सनातन रिसर्च सेंटर के सदस्यों ने मंदिर की उचित देखरेख और संरक्षण के लिए योजनाएं बनाई हैं, ताकि इसे भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जा सके।

सार्वजनिक संपत्ति की परिभाषा

सनातन रिसर्च सेंटर ने इस मंदिर को हिंदुओं की सार्वजनिक संपत्ति घोषित किया है, जिसका अर्थ है कि यह संपत्ति न केवल एक समुदाय की है, बल्कि यह सभी हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है। इसका जीर्णोद्धार सभी धार्मिक मान्यताओं के लोगों के लिए एकता का प्रतीक होगा। इसके साथ ही, यह विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी केंद्र बनेगा।

आगे की योजना

मंदिर के जीर्णोद्धार की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। इसकी योजना में विस्तृत आर्किटेक्चर और स्थापत्य संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय समुदाय की सहभागिता भी शामिल होगी। इससे न केवल मंदिर का सौंदर्य बढ़ेगा बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान देगा।

छोटे कार्यक्रम और घोषणाएं इस मंदिर के आस-पास आयोजित की जाएंगी, ताकि लोगों को इसके महत्व से अवगत कराया जा सके। तीर्थयात्रियों के लिए भी विशेष तैयारियाँ की जाएंगी, जिससे मंदिर की यात्रा को और भी सुविधाजनक बनाया जा सके।

निष्कर्ष

काशी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल धार्मिक परंपराओं को सहेजेगा बल्कि सामाजिक सौहाद्र को भी मजबूती देगा। इस परियोजना से संबंधित सभी प्रयास यह सुनिश्चित करने के लिए किए जाएंगे कि यह धरोहर भविष्य में भी सुरक्षित और संरक्षित रहे।

अधिक जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।

Related Keywords

300 साल पुराने मंदिर, काशी मंदिर जीर्णोद्धार, सनातन रिसर्च सेंटर, सार्वजनिक संपत्ति मंदिर, हिंदू धर्म मंदिर, मंदिर संरक्षण योजना, काशी संस्कृति, धार्मिक धरोहर, मंदिर पुनर्निर्माण, काशी से जुड़ी खबरें

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow