जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के नाम पर फर्जीवाड़ा:नए नंबर से अधिकारियों को किए मैसेज, जांच में हुआ खुलासा

लखनऊ में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव अनिल गर्ग के नाम से फर्जी आईडी बना कर इंजीनियर और अधिकारियों को मेसेज भेजे गए। नए नंबर से मैसेज आने पर विभाग के लोगों को संदेह हुआ। जांच कराने पर फर्जीवाड़े का पता चला। इस बात का पता चलने पर विशेष सचिव भाष्कर पाण्डेय ने हजरतगंज थाने में केस दर्ज कराया है। भाष्कर पांडेय ने बताया कि प्रमुख सचिव अनिल गर्ग का नाम इस्तेमाल करते हुए एक आईडी बनाई गई। फर्जी आईडी से चीफ इंजीनियर अवधेश कुमार, रिटायर चीफ इंजीनियर राकेश कुमार, रिटायर प्रमुख अभियंता संजय खंडूजा, रिटायर चीफ इंजीनियर केबी लाल और यूपीपीसीएल के रिटायर प्रबंध निदेशक नवीन कपूर को मेसेज भेजे गए। नए नंबर से आईएएस का मेसेज आने पर अधिकारी और इंजीनियर को कुछ गड़बड़ ली तो जांच कराने पर पता चला कि आईएएस के नाम का दुरुपयोग हो रहा है। इसके बाद हजरतगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। इंस्पेक्टर हजरतगंज विक्रम सिंह ने बताया कि विशेष सचिव की तहरीर पर केस दर्ज कर जांच की जा रही है।

Apr 13, 2025 - 02:00
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जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के नाम पर फर्जीवाड़ा:नए नंबर से अधिकारियों को किए मैसेज, जांच में हुआ खुलासा
लखनऊ में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव अनिल गर्ग के नाम से फर्जी आईडी बना कर इंजीनियर

जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के नाम पर फर्जीवाड़ा: नए नंबर से अधिकारियों को किए मैसेज, जांच में हुआ खुलासा

हाल ही में जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यह मामला तब खुला जब अधिकारियों को एक नए मोबाइल नंबर से संदिग्ध मैसेज भेजे गए। जांच की प्रक्रिया शुरू करने पर कई महत्वपूर्ण तथ्यों का पता चला है जो इसकी गहराई को दर्शाते हैं।

फर्जीवाड़े का तरीका

इस फर्जीवाड़े में आरोप लगाया गया है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के नाम का इस्तेमाल करके अधिकारियों को विभिन्न प्रकार के निर्देश भेजे। इन मैसेज में अनधिकृत आदेश, अनुबंध की मांग, और अनुपालन की सूचना शामिल थी। बताया जा रहा है कि ये मैसेज अधिकारियों को धोखे में डालने के लिए भेजे गए थे, जिससे विभाग के संचालन में ठहराव आ सकता था।

जांच की प्रक्रियाएं

इस मामले में जांच के दौरान अधिकारियों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और संबंधित साइबर सेल को सूचित किया। जांच में पता चला है कि फर्जीवाड़े में शामिल नंबरों की पहचान की जा चुकी है, और जांच टीमें अब इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए कदम उठा रही हैं। पुलिस विभाग ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

महत्वपूर्ण संदेश

इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी अधिकारियों को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के संदिग्ध मैसेज को गंभीरता से लेना चाहिए। यदि कोई अनधिकृत संदेश आता है, तो तुरंत आला अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो सरकारी कार्यप्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।

इस मामले की जांच जारी है, और आशा की जा रही है कि इससे आगे और सबूत प्राप्त होंगे। जल संसाधन विभाग ने इस मुद्दे पर जन जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा फर्जीवाड़ा न कर सके।

निष्कर्ष

जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के नाम पर हुए इस फर्जीवाड़े ने सभी सरकारी विभागों के लिए एक चेतावनी के रूप में कार्य किया है। यह घटना यह दर्शाती है कि किस प्रकार असामाजिक तत्व सरकारी कार्यों में बाधा डाल सकते हैं। हमें एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा।

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