हिंडनबर्ग केस में SEBI की पूर्व चीफ को क्लीनचिट:लोकपाल ने कहा- माधबी बुच के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला
SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को हिंडनबर्ग मामले में लोकपाल ने क्लीनचिट दे दी है। लोकपाल की एंटी करप्शन बॉडी ने हिंडनबर्ग केस में उनके खिलाफ सभी शिकायतों का निपटारा कर दिया है। लोकपाल ने कहा है कि बुच के खिलाफ जांच का आदेश देने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है। लोकपाल ने अपने आदेश में कहा, 'हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि शिकायतों में लगाए गए आरोप अनुमानों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इसके अलावा इस मामले में कोई भी वेरिफाइड मटेरियल नहीं मिला है। इसलिए उनके खिलाफ की गईं सभी शिकायतों को खारिज किया जाता है।' लोकपाल ने कहा, 'शिकायतकर्ताओं ने इस स्थिति के प्रति सचेत रहते हुए रिपोर्ट से स्वतंत्र होकर आरोपों को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन हमारे द्वारा आरोपों के एनालिसिस से यह निष्कर्ष निकला कि वे सभी आरोप अपुष्ट, अप्रमाणित और तुच्छ हैं।' इसके अलाव लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी आरोप में कोई दम नहीं है। लोकपाल ने माधबी बुच के खिलाफ लगाए गए 5 मुख्य आरोपों की जांच की मामले में शिकायतकर्ताओं ने कोई ठोस सबूत नहीं दिए लोकपाल ने कहा, 'शिकायतकर्ता बिना पुख्ता सबूतों के हल्के-फुल्के और कमजोर आरोप लगाकर सिर्फ मामले को बड़ा और राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। इससे लोकपाल की प्रक्रिया का महत्व कम हो गया है। ये शिकायतें परेशान करने वाली हैं, जिन पर कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है। लोकपाल ने यह भी साफ किया कि शिकायतकर्ताओं ने कोई ठोस सबूत नहीं दिए। आदेश में कहा गया कि शिकायतकर्ता हमसे चाहते हैं कि हम ऐसे आरोपों की जांच करें जो बेबुनियाद, अटकलों पर आधारित हैं।' माधबी की उसी विदेशी फंड में हिस्सेदारी, जिसमें अडाणी का निवेश अगस्त में अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। वहीं बुच ने इन आरोपों को "निराधार" और "चरित्र हनन" का प्रयास बताया था। माधबी बुच ने कहा था- हमारी जिंदगी और फाइनेंसेस एक खुली किताब तब SEBI चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की थी। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा था कि हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली किताब है। इससे पहले अडाणी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाकर हिंडनबर्ग रिसर्च चर्चा में आई थी। व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों के आधार पर हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि बुच और उनके पति की मॉरीशस की ऑफशोर कंपनी ‘ग्लोबल डायनमिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में हिस्सेदारी है। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ‘ग्लोबल डायनमिक अपॉर्च्युनिटी फंड’ में कथित तौर पर अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने अरबों डॉलर निवेश किए हैं। इस पैसे का इस्तेमाल अडाणी ग्रुप के शेयरों के दामों में तेजी लाने के लिए किया गया था। अडाणी ग्रुप ने कहा था- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए ऐसा किया हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट का अडाणी ग्रुप ने भी खंडन किया था। ग्रुप ने कहा था- हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। अडाणी ग्रुप पर लगाए आरोप पहले ही निराधार साबित हो चुके हैं। गहन जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में हिंडनबर्ग के आरोपों को खारिज कर दिया था। कार्यकाल के दौरान माधबी बुच पर लगे बड़े आरोप माधबी 28 फरवरी को सेबी चीफ के पद से रिटायर हुई थीं माधबी पुरी बुच 28 फरवरी को सेबी चीफ के पद से रिटायर हुई हैं। उनकी जगह केंद्र सरकार ने वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे को अगला SEBI प्रमुख नियुक्त किया है। तुहिन अगले 3 साल के लिए इस पद पर रहेंगे। तुहिन कांत पांडे ओडिशा कैडर के 1987 बैच के IAS अधिकारी हैं। वे मोदी 3.0 सरकार में भारत के सबसे व्यस्त सचिवों में से एक हैं। वे फिलहाल केंद्र सरकार में चार महत्वपूर्ण विभागों को संभाल रहे हैं। उन्हें 7 सितंबर 2024 को वित्त सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था। अब माधबी बुच के बारे में जानिए बुच ने अपना करियर 1989 में ICICI बैंक से शुरू किया था। 2007 से 2009 तक ICICI बैंक में एग्जीक्यूटिव डायरेक्ट थीं। वे फरवरी 2009 से मई 2011 तक ICICI सिक्योरिटीज की मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO थीं। 2011 में सिंगापुर चली गईं और वहां उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में काम किया। माधबी के पास फाइनेंशियल सेक्टर में 30 सालों का लंबा अनुभव है और वे सेबी की तमाम कमेटियों में पहले भी रह चुकी हैं। वे अभी इसकी एडवाइजरी कमेटी में भी थीं। -------------------------- सेबी चीफ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट, सेबी चीफ पर आरोप: माधबी पुरी बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर एंटिटीज में थी हिस्सेदारी अडाणी ग्रुप पर अपनी रिपोर्ट के लिए जानी जाने वाली फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) की चीफ माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाए हैं। अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने अपनी नई रिपोर्ट में दावा किया है कि सेबी चीफ के पास अडाणी ग्रुप के जरिए पैसों की हेराफेरी स्कैंडल में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर एंटिटीज में हिस्सेदारी थी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें... हिंडनबर्ग का SEBI चीफ पर आरोप: माधबी बुच की उसी विदेशी फंड में हिस्सेदारी, जिसमें अडाणी का निवेश; बुच बोलीं- हमारी जिंदगी खुली किताब अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने शनिवार को सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चेयरपर्सन पर गंभीर आरोप लगाए। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। बुच ने इन आरोपों को "निराधार" और "चरित्र हनन" का प्रयास बताया है। SEBI चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिक्लेयर करने की इच्छा व्यक्त की। अपने पति धवल बुच के साथ एक जॉइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा, 'हमारा जीवन और फाइनेंसेस एक खुली कि

हिंडनबर्ग केस में SEBI की पूर्व चीफ को क्लीनचिट: लोकपाल ने कहा- माधबी बुच के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला
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लेखक: स्नेहा शर्मा, प्रिया मेहता, टीम IndiaTwoday
परिचय
हिंडनबर्ग केस ने भारतीय वित्तीय जगत में तूफान मचा रखा है, हालांकि हाल ही में एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है जिसमें Securities and Exchange Board of India (SEBI) की पूर्व चेयरपर्सन, माधबी पुरी बुच को लोकपाल ने क्लीनचिट दे दी है। लोकपाल की एंटी करप्शन बॉडी ने सभी शिकायतों का निपटारा करते हुए कहा है कि बुच के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले।
साक्ष्य की कमी पर लोकपाल की टिप्पणी
लोकपाल ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि शिकायत में उठाए गए आरोप केवल अनुमानों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इसके तथ्यात्मक और वेरिफाइड साक्ष्य की कमी ने लोकपाल को यह निर्णय लेने पर मजबूर किया। उन्होंने कहा, 'हमने निष्कर्ष निकाला है कि सभी आरोप अपुष्ट, अप्रमाणित और तुच्छ हैं।' यह भी बताया गया कि शिकायतकर्ताओं ने बिना पुख्ता सबूत के केवल हल्के-फुल्के आरोप लगाए, जिससे लोकपाल की प्रक्रिया का महत्व कम हो गया।
माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोप
माधबी बुच पर यह आरोप लगाया गया था कि उनकी अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। उन्होंने इन आरोपों को "निराधार" बताया और कहा कि उनकी जिंदगी और वित्तीय रिकॉर्ड एक खुली किताब हैं। इस मामले में बुच का कहना था कि कानूनी रूप से किसी भी अपुष्ट जानकारी के आधार पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
हिंडनबर्ग अनुसंधान के आरोप
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। अडाणी ग्रुप ने कहा था कि हिंडनबर्ग ने अपने फायदे के लिए जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। इस मामले में माधबी बुच का नाम जोड़ने पर अडाणी ग्रुप ने भी इसका विरोध किया था।
भविष्य की दिशा
माधबी पुरी बुच 28 फरवरी को SEBI के प्रमुख पद से रिटायर हुई थीं, जिसके बाद तुहिन कांत पांडे को उनकी जगह नियुक्त किया गया। बुच के करियर और उनके अनुभव को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह क्लीनचिट उन्हें भविष्य में किसी नई जिम्मेदारी का सामना करने में मदद करेगी।
निष्कर्ष
माधबी पुरी बुच को मिली क्लीनचिट से यह संकेत मिलता है कि वित्तीय जगत में आरोप लगाने में सावधानी की आवश्यकता है। लोकपाल की यह स्थिति यह दर्शाती है कि आरोपों को तथ्यात्मक साक्ष्यों के बिना खारिज किया जा सकता है। यह मामला न केवल प्रवर्तन एजेंसियों की प्रक्रिया को उजागर करता है बल्कि भारत के वित्तीय तंत्र की विश्वसनीयता को भी स्थापित करता है।
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