बांग्लादेश आर्मी बोली- तख्तापलट की अटकलें गलत:ऐसा इरादा नहीं; आर्मी चीफ ने कहा था- यूनुस सरकार सीमा मसले पर फैसला नहीं ले सकती
बांग्लादेश की सेना ने देश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के तख्तापलट की अटकलों को अफवाह बताया है। बांग्लादेशी अखबार डेली स्टार के मुताबिक सेना मुख्यालय के सीनियर अधिकारियों ने सोमवार को ढाका कैंट में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है और हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है। दूसरी तरफ सेना ने रखाइन कॉरिडोर को संवेदनशील मुद्दा बताते हुए समझौता नहीं करने की बात कही। पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में सेना ने कहा, कॉरिडोर एक संवेदनशील मुद्दा है। बांग्लादेश की सेना कभी भी ऐसी किसी कार्रवाई में शामिल नहीं होगी जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हो। सरकार और सरकार में तकरार खुलकर सामने आई बांग्लादेश में पिछले हफ्ते अंतरिम सरकार और सेना के बीच टकराव खुलकर सामने आया था। आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमा ने 22 मई को सैन्य मुख्यालय में अपने अधिकारियों को संबोधित करते हुए स्पष्ट कहा कि आम चुनाव इस साल दिसंबर से आगे नहीं टलने चाहिए। आर्मी चीफ ने चेतावनी दी कि यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार के पास संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर निर्णय लेने का कोई नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है। रखाइन कॉरिडोर के मुद्दे पर सेना मार्च से ही कह रही है कि हमारी सहमति के बिना इसे बनाना अवैध है। म्यांमार सीमा पर गलियारा बनाने को लेकर सरकार-सेना में टकराव दरअसल, बांग्लादेश में म्यांमार सीमा पर रखाइन जिले में मानवीय गलियारा बनाने की कथित योजना को लेकर सेना और सरकार आमने-सामने है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने घोषणा की थी कि अंतरिम सरकार ने अमेरिका की तरफ से प्रस्तावित रखाइन कॉरिडोर पर सहमति व्यक्त कर दी है। जब यह बात सेना को पता चली तो उनकी तरफ से नाराजगी जताई गई। आर्मी चीफ वकार ने 21 मई को इसे खूनी कॉरिडोर बताया और अंतरिम सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बांग्लादेश की सेना कभी भी किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जो संप्रभुता के लिए हानिकारक हो। न ही किसी को ऐसा करने की इजाजत दी जाएगी। इसके बाद यूनुस सरकार ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी देश के साथ म्यांमार सीमा पर रखाइन कॉरिडोर को लेकर समझौता नहीं किया है। यूनुस बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार बने रहेंगे बांग्लादेश में जारी राजनीतिक उथल पुथल के बीच सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे। इससे पहले माना जा रहा था कि वो राजनीतिक और सैन्य दबाव के चलते इस्तीफा दे सकते हैं। मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक के बाद प्लानिंग एडवाइजर वाहिदुद्दीन महमूद ने कहा- मोहम्मद यूनुस हमारे साथ बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम लोगों को भी नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। न्यूज एजेंसी यूएनबी के मुताबिक सलाहकार परिषद की एक बैठक के बाद जल्द मंत्रियों के साथ बैठक होगी। वहीं, सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने स्पष्ट रूप से दिसंबर तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया है। दूसरी ओर, विपक्षी दल BNP और जमात-ए-इस्लामी के बीच चुनाव को लेकर चर्चा और सड़कों पर संघर्ष की रणनीतियां बन रही हैं। खालिदा जिया ने भी दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने भी यूनुस पर दबाव बढ़ाते हुए दिसंबर में चुनाव कराने की मांग दोहराई है। पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द चुनावी रोडमैप तैयार कर इसकी सार्वजनिक घोषणा नहीं करती, तो उनका सरकार के साथ सहयोग जारी रखना मुश्किल हो जाएगा। अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने अब तक चुनावों को जनवरी-जून 2026 के बीच कराने की बात कही है। सेना इसे दिसंबर 2025 से आगे खींचने को लेकर नाराज है। इसके चलते आगे टकराव तेज हो सकते हैं।यूनुस के अलावा कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी भी चुनाव टालने के पक्ष में हैं। सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि सरकार को पांच साल तक बने रहने की उम्मीद थी, जिसे सेना-छात्रों के दबाव ने गंभीर संकट में डाल दिया है। गृह मंत्रालय के सलाहकार भी कह चुके हैं कि जनता चाहती है कि यह सरकार पांच साल तक बनी रहे।सैन्य अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी रही, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। ----------------------------------- बांग्लादेश से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... हसीना का यूनुस पर आरोप- देश अमेरिका को बेच दिया: कहा- सरकार की बागडोर आतंकियों के हाथ में, यूनुस ने उन्हें जेलों से रिहा किया बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर देश को अमेरिका को बेचने का आरोप लगाया है। पूरी खबर यहां पढ़ें...

बांग्लादेश आर्मी बोली- तख्तापलट की अटकलें गलत: ऐसा इरादा नहीं; आर्मी चीफ ने कहा था- यूनुस सरकार सीमा मसले पर फैसला नहीं ले सकती
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बांग्लादेश की सेना ने देश में अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के तख्तापलट को लेकर उठ रही अटकलों को अफवाह बताते हुए इसे नकार दिया है। ढाका कैंट में सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है और हमारे अंदर इस प्रकार का कोई इरादा नहीं है।
रखाइन कॉरिडोर का मामला: संवेदनशील मुद्दा
सेना ने रखाइन कॉरिडोर को एक संवेदनशील मुद्दा करार दिया है और उनकी ओर से कहा गया है कि इस मसले पर कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। पत्रकारों के सवालों के जवाब में सेना ने कहा, "कॉरिडोर को लेकर बांग्लादेश की सेना कभी भी किसी ऐसी कार्रवाई में शामिल नहीं होगी, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो।"
सरकार और सेना के बीच टकराव
बांग्लादेश में पिछले हफ्ते अंतरिम सरकार और सेना के बीच सार्वजनिक टकराव बढ़ गया है। आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमा ने 22 मई को सैन्य मुख्यालय में अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आम चुनाव इस साल दिसंबर से आगे नहीं टलने चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यूनुस की सरकार के पास संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर निर्णय लेने का नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है।
म्यांमार सीमा विवाद
बांग्लादेश में म्यांमार की सीमा पर रखाइन जिले में मानवीय गलियारा बनाने की गुंजाइश को लेकर सेना और सरकार में मतभेद उभरे हैं। विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने अमेरिका द्वारा प्रस्तावित रखाइन कॉरिडोर पर अंतरिम सरकार की सहमति की घोषणा की थी, जिससे सेना नाराज हुई। आर्मी चीफ ने इसे "खूनी कॉरिडोर" बताते हुए कहा कि बांग्लादेश की सेना कभी भी संप्रभुता को खतरे में डालने वाली गतिविधियों में शामिल नहीं होगी।
यूनुस का पद पर बने रहना
इन राजनीतिक उठापटक के बीच, मोहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे। उन्होंने सलाहकार परिषद की बैठक में यह स्पष्ट किया, जिससे उनकी स्थिति में मजबूती आई है। हालाँकि, विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने भी अंततः चुनाव कराने के लिए दबाव बढ़ा दिया है।
राजनीतिक संकट में वृद्धि
बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने भी दिसंबर में चुनाव आयोजित करने की मांग दोहराते हुए कहा है कि अगर सरकार जल्द चुनावी रोडमैप नहीं प्रस्तुत करती, तो उनकी पार्टी सहयोग जारी नहीं रखेगी। यह स्थिति गणतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकती है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति तेजी से बदल रही है और सेना तथा सरकार के बीच बढ़ते टकराव से बड़ी राजनीतिक संकट की आशंका है। यूनुस सरकार के लिए यह समय संवेदनशील है और उन्हें चुनाव कराने का रास्ता स्पष्ट करना पड़ेगा। विशेष रूप से, यह देखते हुए कि सेना की स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में, बांग्लादेश की राजनीतिक भविष्य क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।
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