कुंभ में शंकराचार्य वासुदेवानंद का भव्य आगमन:विंटेज कार में नगर भ्रमण, सूर्यास्त पर छावनी में संतों के साथ किया प्रवेश
प्रयागराज महाकुंभ में शुक्रवार को ज्योतिष्पीठ बद्रीकेश्वर के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती का भव्य आगमन हुआ। शंकराचार्य की पेशवाई में विशेष आकर्षण का केंद्र विंटेज कार रही, जिसमें महामंडलेश्वर संत विराजमान थे। नगर भ्रमण के दौरान भक्तों की भारी भीड़ ने संतों के दर्शन किए और सेल्फी लेने के लिए उमड़ पड़ी। कुंभ क्षेत्र में अब शैव और वैष्णव अखाड़ों के साथ उदासीन संप्रदाय के अखाड़ों की भी मौजूदगी दर्ज हो गई है। जहां एक ओर 'हर-हर महादेव' और 'जय श्री राम' के उद्घोष गूंज रहे हैं, वहीं अब 'जय श्री चंद्र' की ध्वनि भी सुनाई दे रही है। शंकराचार्य की शाही सवारी सूर्यास्त की बेला में छावनी में प्रवेश कर गई, जहां अखाड़े के संत-महंत उनके स्वागत में उपस्थित थे। संगम की पवित्र रेती पर धर्म, अध्यात्म और भक्ति का त्रिवेणी संगम देखने को मिल रहा है। शंकराचार्य के आगमन से कुंभ क्षेत्र की भव्यता और आध्यात्मिक माहौल और भी गहरा हो गया है। संतों ने भक्तों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके दर्शन का लाभ दिया और आशीर्वाद प्रदान किया। श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ कुम्भ प्रवेश यात्रा को देखने के शहर से लेकर कुम्भ क्षेत्र तक श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ पड़ी । आगे आगे धर्म ध्वज एवं गुरु चरण पादुका भगवान् की पालकी और पीछे पीछे अखाड़े के महंतो और साधुओ का जुलूस किसी दिव्य अनुभव से कम नहीं था। छावनी प्रवेश यात्रा में सात हजार से अधिक साधु संतो महंत श्री महंत और महा मंडलेश्वरों ने हिस्सा लिया। सामाजिक सेवा और संस्कृति जागरण की दिखी झलकियां शंकराचार्य छावनी प्रवेश यात्रा की अलोपीबाग से शुरू हुई। शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए यह महाकुम्भ क्षेत्र पहुंची। विभिन्न स्थानों पर स्थानीय नागरिकों ने संतों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। महाकुम्भ मेला क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद अखाड़े की तरफ से विविध धार्मिक , सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन होंगे। जाति-पात और ऊंच नीच को स्वीकार न करने वाले इस अखाड़े में प्रतिदिन हजारों लोगों के लिए लंगर चलेगा, चिकित्सा शिविर लगाए जाएंगे और संतों के प्रवचन होंगे।

शंकराचार्य वासुदेवानंद की एतिहासिक यात्रा
कुंभ मेले में हमेशा कुछ खास होता है, लेकिन इस बार शंकराचार्य वासुदेवानंद की आगमन ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। उनकी यात्रा वाकई में एक भव्य कार्यक्रम था जिसने भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच धूम मचा दी। विंटेज कार में नगर भ्रमण करते हुए, शंकराचार्य ने जनता का अभिवादन किया और अपनी उपस्थिति से पर्व का माहौल और भी भव्य बना दिया।
विंटेज कार में यात्रा
इस वर्ष शंकराचार्य द्वारा चुनी गई विंटेज कार ने सभी की नज़रों को अपनी ओर खींचा। इस कार में सफर करते हुए, उन्होंने कुंभ की गलियों का दौरा किया और कई श्रद्धालुओं के साथ बातचीत की। यह नज़ारा निश्चित रूप से सभी के लिए एक यादगार अनुभव रहा। उनके आगमन के समय लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई, जो एकतरफ उनके स्वागत में लहरें उठा रही थी।
सूर्यास्त के समय का महत्व
जब सूर्यास्त का समय आया, तो शंकराचार्य वासुदेवानंद ने संतों के साथ छावनी में प्रवेश किया। यह समय एक विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि यह साधना और ध्यान की एक अद्भुत घड़ी होती है। संतों के संग उनके प्रवेश ने एक दिव्य अवस्था का सृजन किया, जिससे हर किसी में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ।
कुंभ मेला: आध्यात्मिक एकता का प्रतीक
कुंभ मेला न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह एकता और भाईचारे का प्रतीक भी है। शंकराचार्य का आगमन इस आध्यात्मिक उत्सव को और भी प्रभावशाली बनाता है। भव्यता और श्रद्धा के इस मिलन ने सभी को एक नई दिशा दिखाई। कई अन्य संत भी इस अवसर पर उपस्थित रहे और आशीर्वाद प्रदान किया।
कुल मिलाकर, शंकराचार्य वासुदेवानंद का भव्य आगमन, विंटेज कार में नगर भ्रमण और सूर्यास्त के समय छावनी में प्रवेश ने इस कुंभ मेले को एक ऐतिहासिक रूप प्रदान किया। ऐसे अवसर हमारी संस्कृति और धार्मिकता को नया जीवन प्रदान करते हैं। Keywords: कुंभ मेला, शंकराचार्य वासुदेवानंद, विंटेज कार में यात्रा, सूर्यास्त पर संतों के साथ प्रवेश, आध्यात्मिकता, धार्मिक उत्सव, कुंभ में आगमन, संतों की उपस्थिति, भारतीय संस्कृति, नगर भ्रमण
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