कुल्लू में पलदी फागली उत्सव शुरू:मुखौटा नृत्य से भूत-प्रेत भगाने का अनूठा पर्व, पारंपरिक तरीके से अश्लील जुमलों का प्रयोग

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की दुर्गम पलदी घाटी में एक विशिष्ट परंपरा के रूप में पलदी फागली उत्सव का आयोजन किया गया। इस उत्सव के दौरान परंपरा के अनुसार भूत-प्रेतों को भगाने के लिए अनूठी रीति अपनाई जाती है। इस वर्ष के उत्सव में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हुए। देवता करथा और वासुकी नाग को समर्पित इस उत्सव में हारियानों (देवी-दवेताओं के साथ चलने वाले लोग) ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर मडियाहला (मुखौटा) नृत्य प्रस्तुत किया। विशेष आकर्षण का केंद्र नरगिस के फूलों से तैयार किया गया विष्णु अवतार बीठ का नृत्य रहा। घाटी के विभिन्न गांवों से आए दर्जनों देवलुओं ने मुखौटे पहनकर परंपरा का निर्वहन किया। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जिसे नरगिस के फूलों का गुलदस्ता मिलता है, उस पर देवता का विशेष आशीर्वाद माना जाता है। इस बार यह सौभाग्य बंजार भाजपा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश पंडित को प्राप्त हुआ। मुखौटे पहनकर किया जाता है नृत्य पौष महीने में देवी-देवताओं के स्वर्ग प्रवास के दौरान क्षेत्र में भूत-प्रेतों के वास की मान्यता है। इन्हें भगाने के लिए हारियाने (देवी-दवेताओं के साथ चलने वाले लोग) विशेष मुखौटे पहनकर नृत्य करते हैं और पारंपरिक तरीके से अश्लील जुमलों का प्रयोग करते हैं। यह उत्सव न केवल स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक अद्भुत सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है। पंचायत प्रधान दीवान सिंह ने बताया कि, यह उत्सव प्राचीन काल से मनाया जा रहा है। इसकी विशेषता यह है कि जब पूरे हिमाचल में देवता अपने स्वर्ग प्रवास पर होते हैं, तो बंजार के पलदी में देवता करथनाग और वासुकी नाग स्वर्ग प्रवास पर न जाकर हारियानों के बीच रहकर इस अनोखे पर्व को निभाते हैं। रामायण और महाभारत युद्ध का वर्णन सुनाया जाता है यह उत्सव प्रदेश की लोक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सदियों से चली आ रही है। यह उत्सव वास्तव में अद्वितीय और आकर्षक है। महाभारत के युद्ध का वर्णन करने वाले इस उत्सव में साठ मढ़ियाल्ले (मुखौटाधारियों) द्वारा देवता करथा नाग और बासुकी नाग के समक्ष रामायण और महाभारत के युद्ध का वर्णन नृत्य के माध्यम से किया जाता है। यह उत्सव देव परंपरा के अनुसार देवताओं और राक्षसों के रामायण और महाभारत काल के युद्ध के स्वरूप को दोहराता है। इसमें समुंद्र मंथन का जिक्र भी है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण घटना है। आज से चलेगा मेहमान नवाजी का दौर यह उत्सव प्रदेश की लोक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सदियों से चली आ रही है। इसमें पारंपरिक नृत्य, संगीत, और मुखौटों का उपयोग किया जाता है, जो इसे एक अद्वितीय और आकर्षक बनाते है । पंचायत प्रधान दीवान सिंह, देवता के कारकून गुर लजे राम, कारदार लाल सिंह, परस राम, भंडारी नोक सिंह, देवता कमेटी के प्रधान चमन लाल, उपाध्यक्ष सुंदर सिंह, सदस्य चेत राम, मनी राम ने कहा कि देवताओं की अगुवाई में दो दिवसीय धार्मिक पर्व संपन्न हुआ। आज से क्षेत्र में कई दिन तक मेहमान नवाजी का दौर भी चलेगा।

Jan 16, 2025 - 13:20
 57  501823
कुल्लू में पलदी फागली उत्सव शुरू:मुखौटा नृत्य से भूत-प्रेत भगाने का अनूठा पर्व, पारंपरिक तरीके से अश्लील जुमलों का प्रयोग
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की दुर्गम पलदी घाटी में एक विशिष्ट परंपरा के रूप में पलदी फागली उत्स

कुल्लू में पलदी फागली उत्सव शुरू

कुल्लू घाटी में पलदी फागली उत्सव का समारोह धूमधाम से शुरू हो गया है, जिसमें आस-पास के गांवों और शहरों के लोग शामिल हो रहे हैं। यह उत्सव न केवल कुल्लू क्षेत्र की संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि इसे भूत-प्रेत भगाने के लिए भी लोकप्रिय माना जाता है। इस उत्सव के दौरान विभिन्न प्रकार के मुखौटे पहनकर नृत्य किए जाते हैं, जो ग्रामीणों में विशेष धार्मिक आस्था और उत्साह का संचार करते हैं।

मुखौटा नृत्य: भूत-प्रेत भगाने का अनूठा पर्व

इस साल के उत्सव में विशेष रूप से मुखौटा नृत्य का आयोजन किया गया है, जिसने सभी का ध्यान खींचा है। यह नृत्य अनूठे और रंग-बिरंगे मुखौतों के माध्यम से किया जाता है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। क्षेत्र के लोग मानते हैं कि यह नृत्य भूत-प्रेतों को दूर भगाता है और घर में सुख-शांति लाता है। इस दौरान स्थानीय कलाकारों द्वारा भव्य प्रदर्शन किए जाते हैं, जो लाखों लोगों के दिलों को छू लेते हैं।

पारंपरिक तरीके से अश्लील जुमलों का प्रयोग

फागली उत्सव में पारंपरिक तरीके से अश्लील जुमलों का प्रयोग भी देखने को मिलता है। हालांकि यह विवादित विषय हो सकता है, लेकिन इसे सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के रूप में लिया जाता है। ऐसे जुमले ग्रामीणों की हास्य की भावना को दर्शाते हैं और सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणी करते हैं। इस प्रकार का हास्य उत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है और इसे लोग समय-समय पर सराहते भी हैं।

कुल्लू में होने वाले इस उत्सव में भाग लेना न केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को समझने का भी एक उत्तम अवसर है। उत्सव के दौरान बेशुमार मेले और व्यापारिक गतिविधियां भी देखने को मिलती हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।

इस उत्सव के दौरान आने वाले सभी लोगों को 'News by indiatwoday.com' से ताजातरीन जानकारी प्राप्त होती रहेगी।

निष्कर्ष

कुल्लू का पलदी फागली उत्सव एक ऐसा पर्व है, जो न सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर को प्रकट करता है, बल्कि स्थानीय समुदाय की एकता और खुशी का प्रतीक भी है। यदि आप इस उत्सव का हिस्सा बनने का सोच रहे हैं, तो यह निश्चित रूप से एक यादगार अनुभव होगा। कुल्लू फागली उत्सव, पलदी फागली उत्सव, कुल्लू में उत्सव, मुखौटा नृत्य कुल्लू, भूत-प्रेत भगाने की परंपरा, पारंपरिक उत्सव भारत, कुल्लू संस्कृति, अश्लील जुमले उत्सव में, कुल्लू घाटी की संस्कृति, सफर कुल्लू फागली उत्सव, इंडिया टुडे न्यूज, कुल्लू मेले की जानकारी

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow